Last Updated:December 04, 2025, 15:04 IST
Supreme Court: घरेलू हिंसा में महिलाओं को एसिड पिलाने के मामले बढ़ रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर गंभीर चिंता जताई है.कोर्ट ने केंद्र और सभी राज्यों को नोटिस भेजा है और चार हफ्ते में जवाब मांगा. एसिड सर्वाइवर शाहीन मलिक ने याचिका दायर कर खास कानून और मुआवजे की मांग की है.
एसीड अटैक मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई चिंताSupreme Court News: घरेलू हिंसा में महिलाओं पर एसिड फेंकने की घटनाएं कई बार देखी और सुनी होंगी लेकिन इस बार मामला अलग है. एक साहसी महिला जो खुद एसिड पीड़िता हैं, सुप्रीम कोर्ट पहुंची हैं. उन्होंने याचिका दायर कर मांग की है कि घरेलू हिंसा के दौरान महिलाओं को एसिड पिलाए जाने के बढ़ते मामलों के लिए अलग और साफ कानून बनाया जाए.
उनका कहना है कि 2016 में जो कानून बना था उसमें ऐसे पीड़िताओं के मुआवजे का कोई प्रावधान नहीं है. एसिड अटैक की घटनाएं अक्सर देखने को मिलती रहती है. इनको लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई दिशा निर्देश भी जारी किया गया है. लेकिन अब एसिड पिलाने की घटना सामने आई है. जिसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता व्यक्त की है.
सुप्रीम कोर्ट ने चार हफ्ते में जवाब मांगा
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मांग पर गंभीर चिंता जताते हुए कोर्ट ने केंद्र सरकार सहित सभी राज्यों को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है. बता दें, शाहीन मलिक की कहानी दर्दनाक है लेकिन उनकी हिम्मत प्रेरणा देती है. 2009 में वह 26 साल की थीं और दिल्ली में MBA कर रही थीं. इसी दौरान उनके ऑफिस के बाहर एक हमलावर ने उन पर तेजाब फेंक दिया.
इसके बाद उन्होंने 25 रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी कराईं लेकिन उनका केस अब भी अधर में है. रोहिणी कोर्ट में यह मामला 16 साल से लंबित पड़ा है. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस ज्योमलया बागची ने इस देरी को राष्ट्रीय शर्म कहा. CJI ने साफ कहा कि एसिड अटैक के आरोपी किसी सहानुभूति के लायक नहीं हैं और सिस्टम को ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई करनी चाहिए.
एसिड सर्वाइवर्स के लिए बेहतर कानून की मांग
लेकिन इस बार शाहीन ने कोर्ट में अपनी और अन्य पीड़िताओं की व्यथा बयां की. उन्होंने बताया कि एसिड फेंकने के अलावा अब घरेलू हिंसा के मामलों में महिलाओं को जबरन एसिड पिला दिया जा रहा है. इससे पीड़िताएं आर्टिफिशियल फीडिंग ट्यूब पर जीने को मजबूर हो जाती हैं, गंभीर विकलांगता का शिकार होती हैं और उनके घाव बाहर न दिखने के कारण उन्हें सामाजिक-कानूनी मदद भी मुश्किल से मिलती है.
शाहीन की याचिका का मकसद यह है कि एसिड अटैक सर्वाइवर्स को राइट्स ऑफ पर्सन्स विथ डिसेबिलिटीज एक्ट 2016 (RPwD Act) के तहत संदर्भित करता है, जो एसिड अटैक पीड़ितों को विकलांगता का दर्जा देता है. यह अधिनियम एसिड पीड़ितों के लिए विकलांगता प्रमाण पत्र प्राप्त करना, सरकारी नौकरियों में आरक्षण पाना और शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और कौशल विकास जैसे लाभों का दावा करना संभव बनाता है.
ऐसे मामलों में रोजाना सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों की रोजाना सुनवाई होनी चाहिए ताकि न्याय में देरी न हो. शाहीन मलिक जो अब ब्रेव सोल्स फाउंडेशन चलाती हैं, एसिड पीड़िताओं को शेल्टर काउंसलिंग और कानूनी मदद देती हैं. उनकी यह लड़ाई सिर्फ उनके अपने न्याय के लिए नहीं है बल्कि देश की हर उस महिला के लिए है जो ऐसे अपराध की शिकार होती है.
First Published :
December 04, 2025, 14:56 IST

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