कंपनियों में प्रमोटर्स की हिस्‍सेदारी 8 साल में सबसे कम, क्‍यों घटाया हिस्‍सा

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Last Updated:August 04, 2025, 15:24 IST

Promoters Stake in Companies : प्राइम डाटाबेस ने अपनी हालिया रिपोर्ट में बताया है कि जून तिमाही में निजी कंपनियों में प्रमोटर्स की हिस्‍सेदारी 8 साल में सबसे कम रही है. इसके उलट सरकारी कंपनियों में प्रमोटर्स की...और पढ़ें

कंपनियों में प्रमोटर्स की हिस्‍सेदारी 8 साल में सबसे कम, क्‍यों घटाया हिस्‍सानिजी कंपनियों में प्रमोटर्स की हिस्‍सेदारी 8 साल में सबसे कम हो गई है.

हाइलाइट्स

प्राइवेट कंपनियों में प्रमोटर्स की हिस्सेदारी 8 साल में सबसे कम.प्रमोटर्स ने जून तिमाही में 54,732 करोड़ रुपये के शेयर बेचे.सरकारी कंपनियों में प्रमोटर्स की हिस्सेदारी बढ़कर 9.39% हो गई.

नई दिल्ली. शेयर बाजार में लिस्‍टेड भारतीय प्राइवेट कंपनियों में प्रमोटर्स अपनी हिस्‍सेदारी लगातार घटाते जा रहे हैं. 30 जून, 2025 तक देश की प्राइवेट कंपनियों में प्रमोटर्स की हिस्‍सेदारी गिरकर महज 40.58 फीसदी रह गई. यह पिछले 8 साल में सबस कम हिस्‍सेदारी है. सवाल यह उठता है कि आखिर खुद की खड़ी की गई कंपनियों में प्रमोटर्स अपनी हिस्‍सेदारी क्‍यों कम कर रहे हैं. इससे शेयर बाजार के निवेशकों पर क्‍या असर पड़ सकता है और इन कंपनियों में पैसे लगाने वालों पर क्‍या जोखिम बढ़ जाएगा. ऐसा माना जाता है कि जिन कंपनियों में प्रमोटर्स की हिस्‍सेदारी ज्‍यादा होती है, उस पर निवेशकों का भरोसा भी अधिक रहता है.

PRIME Database Group की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जून तिमाही में प्रमोटर्स ने अपनी हिस्‍सेदारी वाले 54,732 करोड़ रुपये के शेयर बेच डाले, जिसके बाद इन कंपनियों में प्रमोटर्स की हिस्‍सेदारी गिरकर 40 फीसदी के आसपास आ गई. PRIME Database Group के प्रबंध निदेशक प्रणव हल्दिया ने बताया कि प्रमोटरों द्वारा शेयर खरीदना हमेशा एक सकारात्मक संकेत होता है, लेकिन प्रमोटरों द्वारा शेयर बेचने के कई कारण हो सकते हैं. इसमें सबसे प्रमुख ये है कि बाजार जब तेजी पर होता है तो प्रमोटर्स अपने हिस्‍से के शेयर बेचकर मुनाफा कमाना चाहते हैं. दूसरा कारण इन कंपनियों का कर्ज घटाना भी हो सकता है, जबकि अन्‍य जगहों पर निवेश करने के लिए भी कुछ प्रमोटर्स ऐसा कदम उठाते हैं. कुछ प्रमोटर्स अपने व्‍यक्तिगत खर्चों के लिए भी शेयर बेचते हैं.

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प्रमोटर्स के लिए कितनी हिस्‍सेदारी जरूरी
सेबी के नियमों के तहत किसी भी प्राइवेट कंपनी में प्रमोटर बनने के लिए एक व्‍यक्ति के पास 10 फीसदी से ज्‍यादा हिस्‍सेदारी होना जरूरी है. प्रणव का कहना है कि कुछ हालिया आईपीओ कंपनियों में प्रमोटरों की अपेक्षाकृत कम हिस्सेदारी भी इस गिरावट का कारण हो सकता है. निजी कंपनियों के प्रमोटरों ने मार्च 2025 की तिमाही में 40.81 फीसदी हिस्सेदारी अपने रखी थी. पिछली बार इतनी कम हिस्सेदारी 30 सितंबर, 2017 की तिमाही में थी, जब निजी प्रमोटरों की हिस्सेदारी 40.19 फीसदी रह गई थी.

3 साल से घटाई जा रही हिस्‍सेदारी
प्रमोटर्स की ओर से अपनी हिस्‍सेदारी घटाने की कोशिशें पिछले तीन वर्षों से लगातार जारी हैं. पिछली 13 तिमाहियों में ही प्रमोटरों की हिस्सेदारी 45.13 प्रतिशत से घटकर 40.58 प्रतिशत हो गई है. हल्दिया के अनुसार, जब तक प्रमोटर बिक्री के बाद भी पर्याप्त हिस्सेदारी रखते हैं और बिक्री बाजार मूल्य पर भारी छूट पर नहीं होती है या कंपनी की बुनियादी बातों में कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं होता है, तब तक चिंता की कोई बात नहीं है.

2 हजार से ज्‍यादा कंपनियों का विश्‍लेषण
PRIME Database Group ने यह विश्‍लेषण एनएसई पर सूचीबद्ध 2,131 कंपनियों में से 2,086 कंपनियों के तिमाही रिपोर्ट के आधार पर तैयार किया है. 30 जून, 2025 की तिमाही के लिए दाखिल किए गए शेयरहोल्डिंग्‍स डाटा के अनुसार, एक तरफ जहां प्राइवेट कंपनियों के प्रमोटर्स ने अपनी हिस्‍सेदारी घटाई है, वहीं सरकारी कंपनियों में प्रमोटर्स की हिस्‍सेदारी बढ़ गई है. सरकारी कंपनियों में प्रमोटर्स की हिस्‍सेदारी 9.27 प्रतिशत से बढ़कर 9.39 प्रतिशत हो गई है.

घरेलू निवेशकों की रिकॉर्ड हिस्‍सेदारी
घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) की हिस्सेदारी इन प्राइवेट कंपनियों में 30 जून, 2025 तक बढ़कर 17.82 प्रतिशत के रिकॉर्ड लेवल पर पहुंच गई, जो पिछली तिमाही में 17.62 प्रतिशत थी. यह वृद्धि तिमाही के दौरान 1.68 लाख करोड़ रुपये के शुद्ध निवेश के बाद दिखी है. म्यूचुअल फंड्स में 1.17 लाख करोड़ रुपये के शुद्ध निवेश ने NSE पर सूचीबद्ध कंपनियों में म्यूचुअल फंड्स की हिस्सेदारी को 10.56 प्रतिशत के नए शिखर पर पहुंचा दिया, जो मार्च 2025 में 10.35 प्रतिशत थी. हालांकि, इस बीच विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) की हिस्सेदारी 17.22 प्रतिशत से घटकर 13 साल के निचले स्तर 17.04 प्रतिशत पर आ गई.

Pramod Kumar Tiwari

प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्‍वेस्‍टमेंट टिप्‍स, टैक्‍स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...और पढ़ें

प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्‍वेस्‍टमेंट टिप्‍स, टैक्‍स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...

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Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

August 04, 2025, 15:24 IST

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