Last Updated:December 08, 2025, 17:03 IST
फरीदाबाद आतंकी मॉड्यूल के जरिए पाकिस्तान फिर से कश्मीर में अलगाववाद को हवा देने की कोशिश में था.नई दिल्ली. फरीदाबाद मॉड्यूल की जांच में जो सच सामने आया है, उसने सुरक्षा एजेंसियों के कान खड़े कर दिए हैं. अब तक माना जा रहा था कि यह गिरोह सिर्फ दिल्ली और एनसीआर को दहलाने की फिराक में था. लेकिन कहानी इससे कहीं ज्यादा खौफनाक निकली. इनका असली मकसद सिर्फ बम धमाके करना नहीं, बल्कि जम्मू-कश्मीर में उस ‘अलगाववाद’ के जिन्न को फिर से बोतल से बाहर निकालना था, जिसे बड़ी मुश्किल से दफन किया गया था. अनुच्छेद 370 हटने के बाद घाटी में जो शांति लौटी थी, यह मॉड्यूल उसे फिर से आग लगाने की तैयारी में था. जांच में मिले पोस्टर और साहित्य इस बात की गवाही दे रहे हैं कि कश्मीर को फिर से 2019 से पहले वाले काले दौर में धकेलने की पूरी स्क्रिप्ट तैयार कर ली गई थी. पाकिस्तान के इशारे पर यह सब हो रहा था.
मास्टरमाइंड मुफ्ती इरफान ने कबूली खौफनाक साजिश: जांच एजेंसियों ने मॉड्यूल के सरगना मुफ्ती इरफान अहमद से जब कड़ाई से पूछताछ की, तो उसने सब कुछ उगल दिया. उसने कबूल किया कि बम धमाकों के साथ-साथ उनका बड़ा टारगेट कश्मीर की फिजा को खराब करना था. पुलिस को उसके पास से अलगाववादी साहित्य का जखीरा मिला है. यह गिरोह चाहता था कि कश्मीर के हालात फिर से वैसे ही हो जाएं, जैसे 2019 से पहले थे. जब अलगाववादी नेता खुलेआम घूमते थे, युवाओं को भड़काते थे और हर शुक्रवार की नमाज के बाद पत्थरबाजी करवाते थे. मुफ्ती इरफान का प्लान युवाओं को फिर से गुमराह करके सड़कों पर उतारना था.
अनुच्छेद 370 हटने के बाद टूट गई थी कमर: एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद कश्मीर में अलगाववाद अपनी आखिरी सांसें गिन रहा था. सरकार ने घाटी को मुख्यधारा से जोड़ा और अलगाववादी नेताओं पर मनी लॉन्ड्रिंग के केस चलाकर उनकी कमर तोड़ दी. इसका नतीजा यह हुआ कि युवाओं को भड़काने वाला नेटवर्क ध्वस्त हो गया. पहले जहां जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे संगठनों में हर महीने नए लड़के शामिल होते थे, अब यह भर्ती लगभग बंद हो चुकी है. युवाओं को गुमराह करने वाले नेता अब या तो जेल में हैं या खामोश हैं, जिससे पाकिस्तान बेचैन है.
पाकिस्तान की बौखलाहट और नया प्रोपेगेंडा: सीमा पार बैठा पाकिस्तान लगातार कोशिश कर रहा है कि कश्मीर में आतंकवाद जिंदा रहे. लेकिन उसे समझ आ गया है कि सिर्फ हथियारबंद आतंकी भेजने से बात नहीं बनेगी. उसे घाटी में अपनी विचारधारा फैलाने के लिए लोकल अलगाववादी चेहरों की जरूरत है. यही वजह है कि फरीदाबाद मॉड्यूल को सिर्फ हथियारों की नहीं, बल्कि वैचारिक जहर फैलाने की जिम्मेदारी दी गई थी. जांच में पता चला है कि यह गैंग घाटी में बड़े पैमाने पर पोस्टर, बैनर और पर्चे बांटने वाला था. इनका मकसद युवाओं के दिमाग में फिर से भारत विरोधी जहर भरना था ताकि वे हथियार उठा लें.
पुलवामा में मिली साजिश की ‘ब्लूप्रिंट’: रविवार को पुलिस ने जब पुलवामा में छापेमारी की, तो वहां से जो चीजें मिलीं, वो हैरान करने वाली थीं. मौके से प्रतिबंधित संगठनों का लिटरेचर, भड़काऊ पोस्टर और पर्चे बरामद हुए. यह सब इस बात का सबूत है कि यह मॉड्यूल पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतरा था. उन्होंने पूरा ‘प्रचार अभियान’ तैयार कर रखा था. इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारियों का कहना है कि अलगाववाद खत्म होने का मतलब है कि हथियार उठाने की वजह खत्म हो जाना. सरकार अब युवाओं को पढ़ाई, खेल और बिजनेस की तरफ मोड़ रही है. हालांकि, पहलगाम हमले जैसे कृत्यों से डर फैलाने की कोशिश हुई, लेकिन घाटी के लोग अब विकास के साथ हैं और पाकिस्तान की यह चाल भी नाकाम हो गई है.
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राकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h...और पढ़ें
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New Delhi,Delhi
First Published :
December 08, 2025, 17:03 IST

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