नई दिल्ली. हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे मंगलवार को घोषित होने के साथ ही यह लगभग तय हो जाएगा कि यहां किसकी सरकार बनने जा रही है. हालांकि, मतदान के बाद आए लगभग सभी एग्जिट पोल ने इस चुनाव में कांग्रेस की जीत की संभावना जताई है और अगर एग्जिट पोल नतीजों में तब्दील हो जाता है तो यह कांग्रेस के लिए मुख्यमंत्री पद को लेकर एक अलग परेशानी खड़ी कर सकती है. हरियाणा में विधानसभा चुनाव एक चरण में पांच अक्टूबर को हुए थे.
हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों की घोषणा से एक दिन पहले इस बात को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं कि कांग्रेस की जीत की स्थिति में मुख्यमंत्री कौन बनेगा. हालांकि, इस पद के दोनों प्रमुख दावेदारों भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी सैलजा ने सोमवार को स्पष्ट किया कि अंतिम फैसला आलाकमान को करना है. हुड्डा और सैलजा ने यह भी कहा कि कांग्रेस आलाकमान का फैसला उन्हें मंजूर होगा.
लगभग सभी एग्जिट पोल में कांग्रेस की जीत का अनुमान जताए जाने के बाद और मतगणना से एक दिन पहले ये दोनों नेता मीडिया से मुखातिब हुए और मुख्यमंत्री पद के लिए अपनी सीधी दावेदारी पेश करने से बचते हुए गेंद आलाकमान के पाले में डालने की कोशिश की. पूर्व मुख्यमंत्री 77 वर्षीय हुड्डा ने फिर कहा कि वह न तो ‘टायर्ड’ (थके) हैं और न ही ‘रिटायर्ड’ (सेवानिवृत्त) हैं. हुड्डा ने संवाददाताओं से बातचीत में यह भी कहा कि मुख्यमंत्री पद को लेकर कांग्रेस आलाकमान के फैसले को पार्टी के सभी नेता मानेंगे.
कांग्रेस महासचिव कुमारी सैलजा ने हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों की घोषणा से एक दिन पहले सोमवार को कहा कि मुख्यमंत्री पद के लिए दावा कोई भी कर सकता है, लेकिन इसका फैसला आखिरकार पार्टी आलाकमान को ही करना है. उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस आलाकमान पार्टी के हित को भी ध्यान में रखते हुए फैसला करेगा और यह निर्णय सबको स्वीकार्य होगा. वैसे, सैलजा (62) पिछले दिनों मुख्यमंत्री पद के लिए दावा पेश कर चुकी हैं.
हुड्डा और सैलजा के साथ ही कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला भी कुछ हफ्ते पहले तक मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल थे, लेकिन अब चर्चा हुड्डा और सैलजा के इर्द-गिर्द ही सिमट कर रह गई है. कांग्रेस आलाकमान के लिये हुड्डा और सैलजा में से किसी एक को चुनना बड़ी चुनौती होगी क्योंकि दोनों के साथ अपने-अपने राजनीतिक समीकरण और दूरगामी निहितार्थ जुड़े हैं.
जाट समुदाय से आने वाले हुड्डा हरियाणा में कांग्रेस के सबसे बड़े नेता के रूप में देखे जाते हैं. संगठन, कार्यकर्ताओं से जुड़ाव, लोकप्रियता, प्रशासनिक अनुभव और राजस्थान एवं हरियाणा में जाट समुदाय का कांग्रेस के प्रति झुकाव, कुछ ऐसे फैक्टर हैं, जो हुड्डा की दावेदारी को प्रबल बनाते हैं.
दूसरी तरफ, लोकसभा चुनाव में दलित समुदाय के एक बड़े हिस्से का कांग्रेस को समर्थन, राहुल गांधी द्वारा सामाजिक न्याय एवं संविधान के प्रति बार-बार प्रतिबद्धता जताना, दलित महिला को मुख्यमंत्री बनाने के राष्ट्रव्यापी संदेश, कुछ ऐसे कारक हैं, जो सैलजा की दावेदारी को पुख्ता बनाते हैं.
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि कांग्रेस आलाकमान के मनमाफिक फैसले के लिए यह भी जरूरी है कि कांग्रेस को प्रचंड बहुमत मिले क्योंकि पार्टी को साधारण बहुमत मिलता है, तो फिर हुड्डा का पलड़ा भारी हो सकता है क्योंकि उम्मीदवारों में उनके समर्थकों की संख्या अधिक मानी जाती है.
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FIRST PUBLISHED :
October 8, 2024, 02:28 IST