Haryana Chunav Results: कांग्रेस में एक साथ तीन-तीन मुख्यमंत्री के दावेदारों ने हरियाणा चुनाव में पार्टी के बेड़ा गर्क कर दिया. कांग्रेस आलाकमान सबको खुश करने के चक्कर में हरियाणा तो गवां दिया. कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता की मानें तो हमारे नेताओं ने बीजेपी को हरियाणा की सीएम की कुर्सी गिफ्ट में दी. भूपेंद्र सिंह हुड्डा का राजनीति इस चुनाव के बाद खत्म हो सकता है. लेकिन, रणदीप सुरजेवाला या कुमारी सैलजा की भी मुश्किलें बढ़ सकती हैं. क्योंकि, कांग्रेस की की तीसरी बार हार से यह साबित हो गया है कि हुड्डा जाट के अलावा और दूसरे वर्गों को साधन हीं पाए. ऐसे में सवाल उठता है कि हरियाणा में कांग्रेस की हार के कौन-कौन से कारण हैं?
कांग्रेंस एग्जिट पोल के नतीजे से काफी उत्साहित नजर आ रही थी. मंगलवार को 10 बजे तक तकरीबन बीजेपी कांग्रेंस से काफी पिछड़ रही थी, लेकिन एकाएक चमत्कार शुरू हुआ और बीजेपी 36 से सरसरा कर 52 तक पहुंच गई. इसके बाद से लगातार बीजेपी तकरीबन 12 बजे दिन तक 49-50 सीटों पर बढ़त कायर रख रखा है. इस बीच 52 सीटों से घटकर कांग्रेस 35 सीट पर पहुंच गई है. हालांकि, लगभग एक दर्जन सीटों पर हार-जीत का अंतर 1000-2000 के बीच होने का अनुमान है.
कांग्रेस को लगा जोर झटका धीरे से
बीजेपीर क्यों लगातार तीसरी बार सत्ता में आएगी. इसके कई कारण हैं. बीजेपी अलाकामान ने अपने नेताओं को संयमित रहने को कहा. साथ ही ग्राउंड लेवल पर कार्यकर्ताओं में ऊर्जा का संचार किया. हार मान चुके कार्यकर्ताओं के अंदर विश्वास जगाया है कि अंतिम तक लडो. पीएम मोदी और केंद्र सरकार की योजनाओं को जनता को बताओ.
लेकिन, कांग्रेस ने क्या किया. एक तरफ भूपेंद्र सिंह हुड्डा लगातार चुनाव प्रचार में व्यस्त थे तो सैलजा दिल्ली में आकर बैठ गईं. कहा गया कि उनके नेताओं को टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर दिल्ली आ गई हैं. रणदीव सुरजेवाला भी सीएम पद खुलकर बोल रहे थे. यहां तक की एग्जिट पोल के नतीजे के बाद भी बोल रहे थे कि मैं सीएम पद के लिए सबसे फिट हूं. लेकिन,. स्थिति ये है कि जिस सीट पर बेटे को टिकट दिलवाया, वहां पर भी बीजेपी आगे चल रही है.
हार के लिए हुड्डा, सैलजा और सुरजेवाला नहीं…
दरअसल, हरियाणा चुनाव प्रचार के ऐलान के बाद से ही कांग्रेस में हुड्डा वर्सेज ऑल कैंपेन शुरू हो गया था. कुमारी सैलजा और सुरजेवाला दोनों सीएम पद पर दावा ठोकने लगे थे. टिकट बंटवारे में भी हुड्डा का जलवा ही कायम था. ऐसे में नाराज होकर सैलजा और सुरजेवाला दिल्ली पहुंच गए. वहीं, भूपेंद्र सिंह हुड्डा चुपचाप चुनाव प्रचार में लगे हुए थे. भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा दोनों लगातार गांव से लेकर शहरों की खाक छान रहे थे.
राहुल गांधी के अतिआत्मविश्वास से मिली हार
लेकिन, कांग्रेस आलाकमान को लग रहा था कि हुड्डा की वजह से कांग्रेस सत्ता में आ जाएगी. इसके साथ ही लोकसभा में प्रदर्शन और 10 सालों का एंटी-इनकंबेंसी से बीजेपी खुद बाहर हो जाएगी. रही सही कसर पहलवान और किसान पूरा कर देंगे. राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के अतिआत्मविश्वास ने काग्रेस को काफी नुकसान पहुंचाया.
राहुल गांधी ने बेशक कुमारी सैलजा और हुड्डा की मीटिंग करवााई और हाथ मिलवाया, लेकिन दिल नहीं मिलवा पाये. जिसका असर ये हुआ कि दलित वोट बैंक में बीजेपी ने सेंध लगा लिया. बीजेपी को लोकसभा चुनाव में जो नुकसान पहुंचा था, उसकी भरपाई विधानसभा चुनाव में कर लिया. दूसरी तरफ कांग्रेस लोकसभा में 5 सीट जीतकर दलित वोटबैंक पर जो एकाधिकार समझ रही थी, उसको विधानसभा चुनाव में झटका लगा.
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FIRST PUBLISHED :
October 8, 2024, 12:56 IST