कैसा है ISS,जहां 14 दिन रहेंगे शुभ्रांशु,यहां पसीना मूत्र रिसाइकल कर पीते हैं

4 hours ago

Last Updated:June 25, 2025, 13:30 IST

Internation Space Station: लखनऊ के शुभ्रांशु शुक्ला 14 दिनों तक अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर रहेंगे. ये कैसा है. यहां लोग कैसे रहते हैं. खाते पीते और सोते हैं.

कैसा है ISS,जहां 14 दिन रहेंगे शुभ्रांशु,यहां पसीना मूत्र रिसाइकल कर पीते हैं

हाइलाइट्स

भारत के शुभ्रांशु शुक्ला 14 दिन ISS पर रहेंगेइंटरनेशनल स्पेस स्टेशन फुटबाल मैदान जितना बड़ा और चार मंजिला ऊंचाई वाला यहां रहने के लिए 6 कमरे और कई लैब हैं, जहां अंतरिक्षयात्री समय बिताते हैं

भारत के शुभांशु शुक्ला और तीन अन्य अंतरिक्ष यात्री इंटरेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस) के लिए रवाना हो गए हैं. एक्सियम-4 मिशन के तहत ये चारों अंतरिक्ष यात्री 14 दिनों तक आईएसएस में रहेंगे. कैसा है इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन. कितना बड़ा है, वहां क्या सुविधाएं हैं. वहां लोग कैसे रहते हैं, कैसे खाते पीते और सोते हैं. क्या वहां नहा भी सकते हैं.

आईएसएस को लेकर हमेशा से एक उत्सुकता लोगों के बीच रही है. खासकर वहां अंतरिक्षयात्रियों के जीवन बिताने के बीच. क्योंकि वहां जीवन पृथ्वी से बिल्कुल अलग होता है. ISS एक छोटा-सा अंतरिक्ष शहर है, जहां वैज्ञानिक गुरुत्वाकर्षण से मुक्त होकर नए आविष्कार कर रहे हैं।
आईएसएस को लेकर तमाम सवालों के जवाब

सवाल – ISS क्या है? इसे कब और कैसे बनाया गया. ये पृथ्वी से कितने ऊपर है?
– इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) एक विशाल अंतरिक्ष प्रयोगशाला है जो पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थित है. यह अंतरिक्ष में मानव द्वारा बनाई गई सबसे बड़ी संरचना है. इसे कई देशों ने मिलकर बनाया है. ISS का निर्माण 1998 में शुरू हुआ. 2011 तक इसे पूरा कर लिया गया. ये पृथ्वी से लगभग 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित है. 27,600 किमी/घंटा की गति से पृथ्वी का चक्कर लगाता है, जिससे यह हर 90 मिनट में एक पूरा चक्कर पूरा कर लेता है.

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में अंदर से दिखती हुई पृथ्वी ( news18)

सवाल – ISS कितना बड़ा है? इसके कितने हिस्से में लोग रहते हैं?
– ISS का आकार लगभग एक फुटबॉल मैदान जितना बड़ा है. इसकी लंबाई 73 मीटर (239 फीट), चौड़ाई 109 मीटर (356 फीट) है, इसकी ऊंचाई 20 मीटर है यानि करीब चार मंजिला मकान के बराबर. इसका कुल वजन 420 टन है. 420 टन वजन में लगभग 76 से 187 हाथी हो सकते हैं. एक वयस्क भारतीय हाथी का वजन लगभग 2.25 से 5.5 टन होता है. इसके 932 घन मीटर में लोग रह सकते हैं. ये जगह किसी बड़े घर के बराबर होती है.

सवाल – ISS कैसे काम करता है? कौन का ईंधन इसको चलाता रहता है?
– ISS को चलाने के लिए ये प्रमुख प्रणालियां काम करती हैं
1. सौर ऊर्जा प्रणाली – ISS सौर पैनलों से बिजली प्राप्त करता है. इसके 8 विशाल सौर पैनल हैं, जो सूर्य की रोशनी को विद्युत ऊर्जा में बदलते हैं. ये पैनल लगभग 2,500 वर्ग मीटर में फैले हुए हैं और 84 से 120 किलोवाट बिजली पैदा करते हैं.
2. जीवन-निर्वाह प्रणाली – ISS पर ऑक्सीजन, पानी और तापमान नियंत्रण के लिए उन्नत प्रणालियां लगी हैं. पानी को इलेक्ट्रोलिसिस से तोड़कर ऑक्सीजन बनाई जाती है.
3 . पानी की रिसाइक्लिंग – अंतरिक्ष यात्रियों का पसीना, मूत्र और अन्य नमी को शुद्ध करके पीने के पानी में बदला जाता है. यानि अंतरिक्ष यात्रियों को यहां अपना रिसाइकल किया हुआ पसीना और मूत्र भी पीना पड़ता है.
4. कार्बन डाइऑक्साइड निष्कासन – विशेष फिल्टर हवा से CO₂ को हटाते हैं.
5. संचार प्रणाली – ISS पृथ्वी से संपर्क के लिए उपग्रहों और ग्राउंड स्टेशनों का उपयोग करता है. NASA का ट्रैकिंग एंड डेटा रिले सैटेलाइट सिस्टम इसमें मदद करता है.
6. नेविगेशन एवं माइक्रोग्रैविटी – ISS में गुरुत्वाकर्षण नहीं होता, इसलिए सभी वस्तुएं तैरती रहती हैं। यहां माइक्रोग्रैविटी (लगभग शून्य गुरुत्व) का वातावरण होता है, जिससे वैज्ञानिक प्रयोग किए जाते हैं.

सवाल – आईएसएस बहुत तेजी के साथ घूमता रहता है. इसके लिए इसे ईंधन कहां से मिलता है, ये उसे कैसे इस्तेमाल करता है?
– अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) को कक्षा में बनाए रखने और उसकी ऊंचाई बनाए रखने के लिए दो प्रमुख प्रणालियां ईंधन का उपयोग करती हैं.
1. प्रोपल्शन सिस्टम (ऊंचाई नियंत्रण और मैन्युवरिंग) – ये काम रॉकेट इंजन के जरिए होता है. रूसी सेगमेंट हाइपरगोलिक ईंधन का इस्तेमाल करता है, ये नाइट्रोजन टेट्रॉक्साइड होता है. ये रसायन खुद जलता है. रूसी प्रोग्रेस कार्गो शिप और ज़्वेज़्दा मॉड्यूल के इंजन इसी ईंधन का उपयोग करते हैं.
2. अमेरिकी इंटरनेशनल सेगमेंट इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन (आयन थ्रस्टर्स) का इस्तेमाल करते हैं. वो ईंधन के तौर पर ज़ेनॉन गैस का उपयोग में लाते हैं. आयन थ्रस्टर्स बिजली से ज़ेनॉन गैस को आयनित करके थ्रस्ट पैदा करते हैं. यह सिस्टम कम ईंधन में लंबे समय तक काम कर सकता है, लेकिन इसकी थ्रस्ट कम होती है.

सवाल – इस स्पेस स्टेशन को कहां से ईंधन मिलता है?
– रूसी प्रोग्रेस कार्गो शिप और नॉर्थ्रॉप ग्रुम्मन का साइग्नस शिप UDMH और N₂O₄ ईंधन ISS तक पहुंचाते हैं. स्पेसएक्स ड्रैगन जैसे कार्गो शिप बिजली और अन्य आपूर्ति लेकर जाते हैं, लेकिन ईंधन नहीं ढोते. भविष्य में मीथेन-आधारित इंजन उपयोग में लाया जा सकता है. हाइड्रोजन-ऑक्सीजन प्रोपल्शन भी एक विकल्प है.

सवाल – आईएसएस के अंदर कितने कमरे या मॉड्यूल हैं?
– ISS में कई मॉड्यूल (कमरे) हैं, जिन्हें अलग-अलग देशों ने बनाया है. इसमें 16 देशों (अमेरिका, रूस, जापान, यूरोपीय देश, कनाडा आदि) का योगदान है.
1. प्रमुख मॉड्यूल – इसमें अमेरिकी प्रयोगशाला डेस्टिनी, जापानी प्रयोगशाला किबो, यूरोपीय लैब कोलंबस और रूसी मॉड्यूल ज्वेज्दा, पॉयस्क हैं. यहीं अंतरिक्ष यात्री काम करते हैं.
2. ISS में 6 सोने के काम में आते हैं, साथ में 2 बाथरूम और एक जिम है. अंतरिक्ष यात्री छोटे केबिन में सोते हैं, जिनमें स्लीपिंग बैग लगे होते हैं. अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण नहीं होता, इसलिए यात्री दीवारों से बंधे स्लीपिंग बैग में सोते हैं ताकि वे इधर-उधर न तैरें.

सवाल – अंतरिक्ष यात्रियों का खाना-पीना स्पेस स्टेशन में कैसे होता है?
– उनका खाना डिब्बाबंद, सूखा या फ्रीज-ड्राइड होता है. वो इसे गर्म करके खा सकते हैं. पानी पाइप के जरिए पिया जाता है. गुरुत्वाकर्षण न होने के कारण ग्लास से नहीं पी सकते. नमक और मिर्च तरल रूप में होती है ताकि वे हवा में न फैलें.

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में इस तरह सोते हैं अंतरिक्ष यात्री.

सवाल – यहां नहाने का काम कैसे होता है?
– ISS पर शावर नहीं होते. यात्री गीले तौलिये और नो-रिंस शैम्पू से सफाई करते हैं. टॉयलेट में सक्शन सिस्टम होता है, जो गंदगी और नमी को साफ करता या सोखता रहता है.

सवाल – क्या इस पर जिम भी होता है?
– अंतरिक्ष यात्रियों की मांसपेशियां और हड्डियां कमजोर न हों, इसलिए यात्री रोज 2 घंटे व्यायाम करते हैं. ISS में ट्रेडमिल, साइकिल और रेजिस्टेंस मशीनें हैं.

सवाल – ISS पर कितने प्रयोग हो चुके हैं, ये किस तरह के रहे हैं?
– आईएसएस पर 3,000 से अधिक प्रयोग किए जा चुके हैं, जिनमें माइक्रोग्रैविटी में वैज्ञानिक शोध, मानव शरीर पर अंतरिक्ष के प्रभाव का अध्ययन, नई दवाओं और सामग्रियों का परीक्षण जैसे प्रयोग हो चुके हैं तो भविष्य के मंगल मिशन की तैयारी भी.

सवाल – आईएसएस (ISS) में एक साथ कितने लोग रह सकते हैं?
– अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) आमतौर पर 6 स्थायी सदस्यों के लिए डिज़ाइन किया गया है, लेकिन कुछ विशेष मिशनों के दौरान यह संख्या 7 से 10 तक भी पहुंच सकती है. ISS में 6 सोने के केबिन हैं. ये केबिन रूसी और अमेरिकी सेगमेंट में बंटे हुए हैं. अधिकांश समय ISS पर 3 अमेरिकी/यूरोपीय/जापानी और 3 रूसी अंतरिक्ष यात्री रहते हैं. कभी-कभी जब कमर्शियल क्रू मिशन (SpaceX, Boeing) या स्पेस टूरिस्ट आते हैं, तो यात्रियों की संख्या बढ़ जाती है. 2021 में SpaceX के Inspiration4 मिशन के दौरान ISS पर 10 लोग एक साथ रहे.

संजय श्रीवास्तवडिप्टी एडीटर

लेखक न्यूज18 में डिप्टी एडीटर हैं. प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में काम करने का 30 सालों से ज्यादा का अनुभव. लंबे पत्रकारिता जीवन में लोकल रिपोर्टिंग से लेकर खेल पत्रकारिता का अनुभव. रिसर्च जैसे विषयों में खास...और पढ़ें

लेखक न्यूज18 में डिप्टी एडीटर हैं. प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में काम करने का 30 सालों से ज्यादा का अनुभव. लंबे पत्रकारिता जीवन में लोकल रिपोर्टिंग से लेकर खेल पत्रकारिता का अनुभव. रिसर्च जैसे विषयों में खास...

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