कैसे 20 सालों में वियतनाम ने खत्म की गरीबी, प्रति व्यक्ति आय में भारत से आगे

3 hours ago

देशभर में साफसुथरी सड़कें. कहीं कोई गंदगी नहीं. कहीं स्लम्स नहीं. कहीं कच्चे घर नहीं. कहीं ट्रैफिक की चिल्लपों नहीं. सड़कों पर महंगी कारें भाग रही हैं. ऊंची बहुमंजिला इमारतें खड़ी नजर आती हैं. नदी के किनारों पर स्पेशल जोन में सैकड़ों क्रेनें मालवाहक जहाजों पर सामान लाद रही हैं. पीछे तमाम इंडस्ट्रीज. वियतनाम को उत्तर के हनोई से दक्षिण के हो ची मिन्ह तक घूम लीजिए तो ये एक नजर में बहुत अनुशासित, खुशमिजाज और संपन्न देश लगता है. नेचर ने इसे सुंदरता दी है. केवल 30 साल पहले तक ये देश भारत से ज्यादा गरीब था. 80 फीसदी लोग गरीबी रेखा से नीचे रहते थे. अब यहां की प्रति व्यक्ति आय भारत से तीन गुनी ज्यादा है. भारत की प्रति व्यक्ति सालाना आय 1.84 लाख रुपए. वियतनाम 4.38 लाख रुपए.

भारत से वियतनाम घूमने जाने वाले इस देश का अनुशासन और तरक्की देखकर हैरान हो सकते हैं. आखिर ऐसा क्या हो गया कि इस देश ने अपनी किस्मत जादू की छड़ी सा घुमाते हुए बदल दी. अगर आबादी की बात करें तो इस देश की आबादी 10 करोड़ से कुछ ऊपर है यानि यूपी की आबादी से करीब आधी. क्षेत्रफल में राजस्थान के बराबर.

अतीत में वियतनाम भारत से भी कहीं ज्यादा गरीब था. 1990 के दशक की शुरुआत तक वियतनाम की 80% आबादी गरीबी रेखा से नीचे रहती थी. 1993 में करीब 61–80% लोग मूलभूत सुविधाओं व भोजन की कमी से जूझते थे. ग्रामीण क्षेत्रों में तो हालात इतने खराब थे कि लाखों लोगों को पर्याप्त खाने को भी नहीं मिलता था. उनकी प्रति व्यक्ति आय 1985 में केवल 20,000 रुपए सालाना थी यानि भारत में सबसे कम आय वाले राज्यों के स्तर से भी कम.

रात में साइगॉन नदी पर जगमगाता हो ची मिन्ह शहर, जो वियतनाम का प्रमुख कामर्शियल शहर है. (Photo by Sanjay Srivastava)

70 के दशक के बीच में जब अमेरिका ने वियतनाम के खिलाफ करीब 20 तक चले दुनिया के सबसे लंबे युद्ध को खत्म किया तो वियतनाम पूरी तरह बर्बाद हो चुका था. अमेरिका ने इस युद्ध में उसका सबकुछ चौपट कर दिया था. 40 लाख के आसपास लोग मारे गए. आरेंज एजेंट जैसे खतरनाक केमिकल हथियार से उसकी जमीनें बड़े पैमाने पर बंजर की जा चुकी थीं. देश का आत्मविश्वास हिला हुआ था. उसके बाद से वियतनाम ने जो कुछ भी किया, वो वाकई ये दिखाता है कि किसी देश का बदला हुआ आत्मविश्वास और दृढ़ इच्छाशक्ति उसे कहां से कहां तक पहुंचा सकती है.

आप ये कह सकते हैं कि वियतनाम 1975 तक पिछले 125 सालों में लंबे युद्धों को ही झेल रहा था. 1980 के दशक के अंत तक यहां भारी खाद्य कमी, कुपोषण, और बुनियादी संसाधनों का अभाव आम था. सरकारी रिपोर्ट और विश्व बैंक के अनुसार, 1993 में ग्रामीण वियतनाम के अधिकांश लोगों के पास न पर्याप्त कपड़े थे न ही नियमित भोजन.​

फिर ये कैसे बदला

वियतनाम में चीन की तरह की तरह ही एक दलीय कम्युनिस्ट सरकार है. 1986 के बाद इसने डोई मोई के नाम से सुधार कार्यक्रम शुरू किए, जो कृषि के साथ उद्योग क्षेत्र से जुड़े थे. 1993–2019 के बीच गरीबी दर 61% से घटकर मात्र 3.75% रह गई. नए आंकड़े कहते हैं अब उनकी गरीबी 1.5 फीसदी के आसपास सिमट कर रह गई है. बड़े पैमाने पर विदेशी टूरिस्ट इस देश में जाते हैं और इसे देखकर अचरज करते हैं – खासकर इसकी बदली रंगत को देखकर.

वियतनाम की राजधानी हा नोई. ये शहर रातभर जगा रहता है और पर्यटकों का सैलाब यहां नजर आता रहता है. इस शहर में दुनियाभर के सारे बड़े ब्रांड नजर आ जाते हैं. (Photo by Sanjay Srivastava)

गहन बदलाव के कारण आज वियतनाम कई मामलों में भारत से आगे निकल चुका है. जिसमें प्रति व्यक्ति आय और गरीबी की दर है. वियतनाम की प्रति व्यक्ति आय औसतन 5000 डॉलर सालाना है तो भारत की औसतन 2100 डॉलर सालाना. जिस तरह 2005 से लेकर 2025 के बीच इस देश ने गरीबी को करीब खत्म किया, उससे ये विश्व बैंक और संयुक्त राष्ट्र द्वारा “गरीबी उन्मूलन का मॉडल” कहा जाने लगा. हालांकि इस बदलाव के पीछे अगर आर्थिक सुधारों ने रोल निभाया तो सामाजिक कल्याण योजनाएं और सरकार की दीर्घकालिक नीतियां भी थीं.

दुनिया के लिए बाजार खोला

1986 में जब वियतनाम ने “डोई मोई” सुधार शुरू किए तो उसने केंद्रीकृत समाजवादी संरचना से बाज़ार अर्थव्यवस्था की ओर रुख किया, जिससे रोज़गार और उत्पादन में तेजी आई. कृषि सुधारों, निर्यात-आधारित औद्योगिकीकरण और विदेशी निवेश की नीतियों से जीडीपी बढ़ने लगा. 1990 से 2020 के बीच औसतन 6-7% वार्षिक. आज ये देश कपड़ा, इलेक्ट्रॉनिक्स, मछली उत्पाद में दुनिया का बड़ा हब है. श्रम-प्रधान उद्योगों ने करोड़ों लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर उठाया.

दुनिया में सबसे तेजी से गरीबी को घटाया

इसी दौरान सरकार ने सटीक तरीके से तीन चरणों में गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम चलाए, जिसमें आधारभूत ढांचे को बेहतर करना था, जो शिक्षा, स्वास्थ्य और सिंचाई को कवर करता था. आर्थिक सहायता और रोजगार की योजनाएं भी चलीं. कुल मिलाकर वर्ष 2025 के आते आते वो जो चाहते थे, वो हो चुका था. वो देशभर में गरीबी को 1–1.5% तक लाने के लक्ष्य तक पहुंच चुके थे.

वियतनाम की 50 फीसदी वर्कफोर्स वहां की महिलाएं हैं. जो हर जगह काम संभालती हुई दीखती हैं. (Photo by Sanjay Srivastava)

2023 में सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक, वियतनाम में करीब 1.58 मिलियन गरीब व गरीबी के करीब परिवार थे.​ ग्रामीण और पहाड़ी इलाकों में गरीबी अब भी बाकी देश से ज्यादा है, लेकिन पूरे देश में गरीबी बहुत तेजी से घटी है. इस तरह वियतनाम आज विश्व के सबसे तेज़ गरीबी घटाने वाले देशों में गिना जाता है.

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, 2016 में बहुआयामी गरीबी 9.9% थी जो 2023 तक घटकर 4.5% रह गई. पिछले 20 वर्षों में अनुमानित तौर पर 40 मिलियन से अधिक या 4 करोड़ से ज्यादा लोग गरीबी से बाहर निकले हैं.

अगर पूछा जाए कि ऐसा क्या हुआ कि वियतनाम एशिया का सबसे उल्लेखनीय उदाहरण बन गया तो इसको “तेज़ आर्थिक विकास + लक्षित सामाजिक नीतियाँ + क्षेत्रीय असमानता पर ध्यान” के मॉडल का परिणाम कह सकते हैं.

कैसे हैं उसके स्पेशल जोन

इस देश को अगर आप उत्तर से लेकर दक्षिण तक घूमिए तो पता लगता है कि इसकी नदियां तो इसकी निर्यात प्रणाली और स्पेशल जोन की औद्योगिक इकाइयों के लिए वरदान बन गई हैं. इनमें मझोले मालवाहक जहाज खड़े मिलते हैं और सैकड़ों क्रेनों का जमावड़ा इन पर सामान चढ़ा रहा होता है.

इस तरह के कई स्पेशल जोन वियतनाम में नजर आते हैं. जो नदियों के किनारे ज्यादा विकसित किए गए हैं. (Photo by Sanjay Srivastava)

वियतनाम ने विशेष आर्थिक क्षेत्रों (SEZs) में कर-राहत और सरल लाइसेंसिंग व्यवस्था के जरिए इलेक्ट्रॉनिक्स, कपड़ा और असेंबली उद्योगों को आकर्षित किया.

अनुसंधानों से पता चला कि वियतनाम और भारत दोनों में खेती से बाहर रोजगार अवसर (जैसे हस्तशिल्प, निर्माण, या सेवा क्षेत्र) गरीबी घटाने में अधिक असरदार साबित हुए हैं.

वियतनाम की बड़ी ताकत उसका लो-डेब्ट, हाई-कॉम्प्लायंस शासन मॉडल है, जहां कंपनियों को 10–15 वर्षों तक 10–17% की कम कॉर्पोरेट टैक्स छूट मिलती है.

सामाजिक ढांचा कैसा

वियतनाम का सामाजिक संरक्षण ढांचा तीन स्तंभों पर चलता है -सामाजिक बीमा, सामाजिक सहायता, और सक्रिय श्रम बाजार कार्यक्रम -जो हर वर्ग को सुरक्षा देता है. वियतनाम ने गरीबी उन्मूलन के साथ शिक्षा, तकनीकी प्रशिक्षण और महिला सशक्तिकरण को जोड़ा है. वैसे भी इस देश की 50 फीसदी वर्कफोर्स महिलाएं हैं. वियतनाम की नीति थी कि “केंद्र से नहीं, ग्राम स्तर से नीति कार्यान्वयन” हो. तो ये था वियतनाम की सफलता का फार्मूला. लेकिन इसमें ये भी जोड़ें कि इस देश का मुख्य कैरेक्टर यहां के राष्ट्रीय अनुशासन में है, जो सफाई, मेहनत, राष्ट्रभक्ति से लेकर ईमानदारी तक में नजर आती है.

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