'कोई चोरी नहीं..' नेशनल हेराल्ड को क्यों दिए 25 लाख? डीके शिवकुमार ने बताई वजह

4 hours ago

Last Updated:May 24, 2025, 11:38 IST

Herald Case : डीके शिवकुमार और उनके भाई डीके सुरेश ने कांग्रेस से जुड़े नेशनल हेराल्ड को 25-25 लाख रुपये का डोनेशन दिया है. उन्होंने आरोप लगाया कि ED की चार्जशीट राजनीतिक चाल है.

'कोई चोरी नहीं..' नेशनल हेराल्ड को क्यों दिए 25 लाख? डीके शिवकुमार ने बताई वजह

डीके शिवकुमार ने साफ किया कि उन्होंने और उनके भाई डीके सुरेश ने कांग्रेस से जुड़े नेशनल हेराल्ड अखबार को 25-25 लाख रुपये का डोनेशन दिया है.

हाइलाइट्स

डीके शिवकुमार ने नेशनल हेराल्ड को 25 लाख का डोनेशन दिया.शिवकुमार ने कहा, 'यह पैसा ट्रस्ट से दिया गया, कोई काला धन नहीं.'डीके सुरेश ने ED की चार्जशीट को 'राजनीतिक चाल' बताया.

कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार ने शुक्रवार को साफ किया कि उन्होंने और उनके भाई डीके सुरेश ने कांग्रेस से जुड़े नेशनल हेराल्ड अखबार को 25-25 लाख रुपये का डोनेशन दिया है और यह कोई छुपा हुआ लेन-देन नहीं है.

यह बयान उस वक्त आया जब प्रवर्तन निदेशालय (ED) की तरफ दायर चार्जशीट में उनके और उनके भाई का नाम आने की खबरें सामने आईं. शिवकुमार ने कहा, ‘मैंने 25 लाख रुपये और मेरे भाई ने 25 लाख रुपये दिए. इसमें क्या गलत है? ये पैसा हमारे ट्रस्ट से दिया गया है, ये मेहनत की कमाई है, कोई काला धन नहीं.’

‘डोनेशन था, अपराध नहीं’

डीके शिवकुमार ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि यह पैसा एक अखबार को दिया गया, जो कांग्रेस पार्टी से जुड़ा है. उन्होंने कहा, ‘हमने हमेशा पारदर्शिता से काम किया है, और आगे भी इसी तरह योगदान देते रहेंगे’.

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वहीं उनके भाई और पूर्व सांसद डीके सुरेश ने इसे ‘राजनीतिक चाल’ बताया और आरोप लगाया कि कांग्रेस नेताओं को फंसाने के लिए जानबूझकर ED की चार्जशीट को इस तरह तैयार किया गया है.

‘यंग इंडिया ट्रस्ट को दिया डोनेशन’

डीके सुरेश ने स्पष्ट किया कि यह डोनेशन यंग इंडिया लिमिटेड (YIL) को दिया गया था, न कि सोनिया गांधी के किसी निजी ट्रस्ट को. उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह पूरी रकम आयकर रिटर्न में घोषित की गई थी.

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उधर कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘दान देना गलत नहीं है. यह चैरिटी है, इसमें कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है.’

क्या है नेशनल हेराल्ड केस?

यह मामला 2012 में भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी की शिकायत से शुरू हुआ था. उन्होंने आरोप लगाया कि सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य कांग्रेस नेताओं ने असोशिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) की 2000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियों को यंग इंडिया लिमिटेड (YIL) के जरिये मात्र 50 लाख रुपये में अधिग्रहित कर लिया.

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AJL पहले नेशनल हेराल्ड, नवजीवन (हिंदी) और कौमी आवाज़ (उर्दू) अखबारों का प्रकाशन करता था. 2008 में यह बंद हो गया और उस पर कांग्रेस का लगभग 90.25 करोड़ रुपये का कर्ज था. 2010 में कांग्रेस ने यह कर्ज YIL को 50 लाख में ट्रांसफर किया और YIL को AJL पर नियंत्रण मिल गया.

अब सवाल उठ रहा है कि ये ट्रांसफर किसी सरकारी निगरानी संस्था जैसे NCLT की निगरानी में क्यों नहीं हुआ और क्या इससे नियमों का उल्लंघन हुआ?

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Saad Omar

An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...और पढ़ें

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