Last Updated:June 06, 2025, 11:48 IST
Bangalore stampede: चिन्नास्वामी स्टेडियम में भगदड़ के बाद सफाईकर्मियों ने 150 बैग जूते-चप्पल इकट्ठे किए, जिनमें बच्चों की सैंडल और खून लगे जूते भी थे.

बेंगलुरु भगदड़ के बाद सड़कों पर बिखरे जूते-चप्पल
बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम में जो कुछ हुआ, उसे शब्दों में बयां करना बहुत मुश्किल है. एक शाम ऐसी आई जब वहां RCB के जश्न में शामिल होने आए लोग भगदड़ में फंस गए. इतनी भारी भीड़ के बीच कई लोग दब गए, चोटिल हुए और 11 लोगों की जान भी चली गई. लेकिन इस दर्दनाक हादसे की एक और कहानी है, जो अगले दिन साफ-सफाई करते समय सामने आई.
150 बैग जूते-चप्पलें
हादसे के बाद, करीब 40 सफाईकर्मी स्टेडियम के बाहर फैले जूते और चप्पलें इकट्ठा करने लगे. लगभग 150 बड़े कचरे के बैग भरे गए. इनमें कई जूते खून से सने थे. सबसे ज़्यादा चप्पलें बच्चों की थीं, जो इस हादसे की सच्चाई को और भी गहरा बनाती हैं. ये जूते, जो कभी किसी की पहचान थे, अब बस दर्द की गवाही दे रहे थे.
“अगर ये मेरे बच्चे की होती तो…”
रूपा और सुबूली जैसी सफाईकर्मियों ने अपनी आँखों से जो देखा, उसने उनका दिल टूट गया. उन्होंने बच्चों की छोटी-छोटी सैंडलें देखीं और सोच में पड़ गईं कि अगर ये उनका अपना बच्चा होता तो वे क्या महसूस करतीं. वो सब कुछ देखकर इतना बड़ा हादसा सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि एक दर्दनाक कहानी बन गया.
भीड़ का कहर और डर का मंजर
घटना के समय स्टेडियम के कर्मचारी भी अंदर और बाहर डर के साए में थे. भीड़ तेजी से बढ़ रही थी और लोग बेकाबू हो रहे थे. शशि नाम के कर्मचारी ने बताया कि उन्होंने भीड़ के बढ़ते खतरे को देखकर डर महसूस किया. वहीं, कई सफाईकर्मियों को पुलिस ने अंदर वापस जाने के लिए कहा, क्योंकि बाहर का मंजर बहुत खतरनाक था.
साफ-सफाई का काम, लेकिन दिल टूट गया
अगले दिन सफाई करते हुए कर्मचारियों को जल्दी काम खत्म करने का भी दबाव था, क्योंकि गृहमंत्री आने वाले थे. लेकिन उन जूतों को देख, जो किसी के सपनों और ज़िंदगी की निशानी थे, हर कोई भावुक हो उठा. ये जूते केवल फुटवेयर नहीं थे, बल्कि उन लोगों की यादें और जिन्दगी के आखिरी पल थे.
Location :
Bangalore,Karnataka