Last Updated:May 23, 2025, 10:42 IST
First Female director of AIIMS, AIIMS News: दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS)कई मायनों में खास है. हर साल लाखों युवा यहां से डॉक्टरी की पढ़ाई करने का ख्वाब देखते हैं, तो देश के तमाम हिस्सों स...और पढ़ें

who was First Female director of AIIMS, AIIMS Director Biography, Indira Gandhi Death: एम्स की पहली महिला डायरेक्टर ने खोला राज.
हाइलाइट्स
डॉ. स्नेह भार्गव एम्स की पहली महिला निदेशक थीं.इंदिरा गांधी की मृत्यु की घोषणा 4 घंटे टाली गई.डॉ. भार्गव ने सिख कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए पुलिस तैनात की.First Female director of AIIMS, AIIMS News: एम्स की पहली महिला निदेशक ने इस किताब में इस रहस्य से भी पर्दा उठाया है कि देश की तत्कालीन प्रधानमंती इंदिरा गांधी की मृत्यु की घोषणा 4 घंटे तक क्यों टालनी पड़ी? आपको बता दें कि एम्स की पहली डायरेक्टर डॉ.स्नेह भार्गव थीं. डॉ.स्नेह भार्गव एक ऐतिहासिक नाम हैं. डॉ.स्नेह भार्गव को 1984 में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS)की पहली महिला निदेशक बनने का गौरव प्राप्त हुआ. 1962 में एक जूनियर रेडियोलॉजिस्ट के रूप में उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के इलाज में भी सहयोग किया था. 31 अक्टूबर, 1984 को उन्होंने एम्स के निदेशक का पद संभाला. उनकी आत्मकथा द वूमन हू रैन एम्स में उन्होंने कई अहम खुलासे किए. अब उनकी उम्र 95 वर्ष हो चुकी है.
Indira Gandhi Death: इंदिरा गांधी की मौत को लेकर क्या लिखा?
डॉ.स्नेह भार्गव ने अपनी आत्मकथा द वूमन हू रैन एम्स में लिखा है कि 31 अक्टूबर,1984 की सुबह जब उन्होंने दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS)की पहली महिला निदेशक के रूप में कार्यभार संभाला,उन्हें एक भयावह स्थिति का सामना करना पड़ा. उसी दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का खून से लथपथ शरीर अस्पताल के आपातकालीन कक्ष में लाया गया. उनकी केसरिया साड़ी में 33 गोलियों के निशान थे. डॉ.भार्गव लिखती हैं कि गर्नी की ठंडी धातु किसी भी मरीज को सिहरन दे सकती थी. इंदिरा गांधी की पुत्रवधू सोनिया गांधी सदमे में केवल इतना कह पाईं,’उन्हें गोली मार दी गई है’ और फिर बेहोश हो गईं. सर्जनों ने गोलियां निकालने की कोशिश की ‘जो फर्श पर खनकती हुई गिरीं,’ लेकिन कोई उम्मीद नहीं बची थी.
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AIIMS Director Biography: उनकी जान बचाने की कोशिश का दिखावा
डॉ.भार्गव ने उस पल को याद करते हुए लिखा है कि उनकी नब्ज नहीं थी.खून की कमी के कारण स्थिति और गंभीर हो गई. इंदिरा का दुर्लभ बी-नेगेटिव ब्लड ग्रुप खत्म हो चुका था,ओ-नेगेटिव स्टॉक भी कम पड़ गया और हार्ट-लंग मशीन चलाने वाला एक सिख कर्मचारी भीड़ के डर से भाग गया.हालांकि इंदिरा को मृत घोषित कर दिया गया था, लेकिन उनकी मृत्यु की घोषणा चार घंटे तक टालने का आदेश मिला. राष्ट्रपति जैल सिंह विदेश में थे और राजीव गांधी प्रचार में व्यस्त थे. इस सियासी संकट से बचने के लिए डॉ.भार्गव को यह दिखावा करना पड़ा कि वे उनकी जान बचाने की कोशिश कर रही हैं. वे लिखती हैं-‘हमारा काम था… यह दिखावा करना कि हम उनकी जान बचाने की कोशिश कर रहे हैं.’बाहर सिख विरोधी दंगे भड़क रहे थे. डॉ.भार्गव ने सिख कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए पुलिस तैनात की और अपने घर को आश्रय स्थल में बदल दिया. वे याद करती हैं-‘कई घायल लोग जलने की चोटों के साथ एम्स लाए गए.’
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Dhiraj Raiअसिस्टेंट एडिटर
न्यूज़18 हिंदी (Network 18) डिजिटल में असिस्टेंट एडिटर के तौर पर कार्यरत. करीब 13 वर्ष से अधिक समय से मीडिया में सक्रिय. हिन्दुस्तान, दैनिक भास्कर के प्रिंट व डिजिटल संस्करण के अलावा कई अन्य संस्थानों में कार्य...और पढ़ें
न्यूज़18 हिंदी (Network 18) डिजिटल में असिस्टेंट एडिटर के तौर पर कार्यरत. करीब 13 वर्ष से अधिक समय से मीडिया में सक्रिय. हिन्दुस्तान, दैनिक भास्कर के प्रिंट व डिजिटल संस्करण के अलावा कई अन्य संस्थानों में कार्य...
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