पाकिस्तानी सबमरीन का काल बनेगा INS अर्णाला, ASW नौसेना में शामिल

5 hours ago

Last Updated:June 18, 2025, 19:10 IST

INDIAN NAVY ASW CRAFT: 2047 तक भारतीय नौसेना को पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनाने कि दिशा में तेजा से काम जारी है. अब जितने भी छोटे बड़े वॉरशिप, सबमरीन सभी देश में बन रहे हैं. इनका डिजाइन भी भारतीय, तकनीक भी भारतीय ...और पढ़ें

पाकिस्तानी सबमरीन का काल बनेगा INS अर्णाला, ASW नौसेना में शामिल

नौसेना में शामिल हुआ पाक सबमरीन का शिकारी

हाइलाइट्स

भारतीय नौसेना में शामिल हुआ स्वदेशी ASW शैलो वॉटर क्राफ्ट 'अर्णाला'.'अर्णाला' दुश्मन की सबमरीन का पता लगाकर उसे खत्म कर सकता है.भारतीय नौसेना 2026 तक 16 ASW शैलो वॉटर क्राफ्ट प्राप्त करेगी.

INDIAN NAVY ASW CRAFT: पाकिस्तान की नौसेना को चीन तेजी से मजबूत करने में जुटा हुआ है. 5 सबमरीन वाली पाकिस्तानी नेवी में 8 नई सबमरीन जोड़ने की तैयारी है. चीनी हथियारों का हश्र तो ऑपरेशन सिंदूर में पूरी दुनिया ने देखा है. अब पाकिस्तान के चीनी सबमरीन का डर भारतीय नौसेना में शामिल हो चुका है. यह कहना गलत नहीं होगा कि पाक सबमरीन का शिकारी आ चुका है. 18 जून को विशाखापत्तनम नेवल डॉकयार्ड में एंटी सबमरीन वॉरफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट ‘अर्णाला’ भारतीय नौसेना में शामिल हो गया है. सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने देश के पहले स्वदेशी एंटी सबमरीन वॉरफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट को नौसेना में शामिल किया. इस मौके पर सीडीएस ने कहा कि भारतीय नौसेना का जबरदस्त ट्रांसफॉर्मेशन हुआ है. अब यह बायर नेवी से बिल्डर नेवी में तब्दील हो गई है.

INS अर्णाला की ताकत
एंटी सबमरीन वॉरफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट की खासियत है कि यह तट से 100 से 150 नॉटिकल मील दूरी पर दुश्मन की सबमरीन का पता लगा सकती है. सबमरीन का इस्तेमाल डिफेंसिव और ऑफेंसिव ऑपरेशन के लिए किया जाता है. यह आसानी से 30-40 मीटर की गहराई वाले इलाकों में ऑपरेट कर सकती है. अगर दुश्मन की सबमरीन तट के पास भारतीय जंगी जहाज को निशाना बनाने की कोशिश करेगी, तो शैलो वॉटर क्राफ्ट उसका पता लगाएगी और उसे खत्म कर देगी. यह वॉरशिप नेवल हार्बर से मूव करने वाले बड़े वॉरशिप के लिए रूट को क्लियर करता है. इसमें एंटी सबमरीन रॉकेट लॉन्चर, लाइट वेट टॉरपीडो, 30 mm नेवल गन, ASW कॉम्बेट सूट, हल माउंटेड सोनार और लो फ्रीक्वेंसी वेरियेबल डेप्थ सोनार से लैस है. यह 25 नॉटिकल मील प्रति घंटे की रफ्तार से मूव कर सकता है और एक बार में 3300 किलोमीटर तक सेल कर सकता है.

स्वदेशी है ASW शैलो वॉटर क्राफ्ट
आत्मनिर्भर भारत की आत्मनिर्भर नेवी तेजी से आगे बढ़ रही है. ‘अर्णाला’ को सबसर्फेस सर्वेलांस, सर्च एंड रेस्क्यू मिशन और कम तीव्रता वाले मेरिटाइम ऑपरेशन के लिए बनाया गया है. 1490 टन भारी इस ASW अर्णाला की लंबाई 77 मीटर है. साल 2013 में रक्षा मंत्रालय की रक्षा खरीद परिषद (DAC) ने भारतीय नौसेना के लिए कुल 16 ASW शैलो वॉटर क्राफ्ट खरीदने की मंजूरी दी थी. जून 2014 में बाय एंड मेक इंडिया के तहत टेंडर जारी किया गया था। 2019 में कॉन्ट्रैक्ट पर दस्तखत हुए. 16 में से 8 कोचिन शिपयार्ड में और 8 GRSE शिपयार्ड कोलकाता में बनाए जा रहे हैं. अर्णाला GRSE कोलकाता ने तैयार किया है. नए आधुनिक ASW शैलो वॉटर क्राफ्ट पुराने हो चुके अभय क्लास कोर्वेट को रिप्लेस करेंगे. 16 में से 10 ASW शैलो वॉटर क्राफ्ट पानी में लॉन्च हो चुके हैं, जबकि 6 का अभी निर्माण जारी है. इसी साल दूसरा शिप भी नौसेना में शामिल हो जाएगा. सभी भारतीय नौसेना को सौंपे जाने की डेडलाइन 2026 तक की है. इस प्रोजेक्ट की कुल लागत 13,500 करोड़ रुपये के करीब है.

पाकिस्तान की चीनी नेवी
पाकिस्तान के पास फिलहाल 5 सबमरीन हैं. इसके अलावा चीन पाकिस्तान के लिए 8 सबमरीन तैयार कर रहा है. प्रोजेक्ट S-26 के तहत पाकिस्तान ने चीन से 8 यूआन क्लास एयर इंडीपेंडेंट सबमरीन का करार किया है. इन 8 सबमरीन में से 4 चीन में और बाकी 4 कराची शिपयार्ड में ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी के तहत तैयार हो रही हैं. सभी 8 सबमरीन 2028 तक पाकिस्तान को मिलने की डेडलाइन है. जब तक ये आएंगी, तब तक उनके शिकार के लिए 16 एंटी सबमरीन वॉरफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट नौसेना में इंतजार कर रहे होंगे. पाकिस्तानी पहले भी अपनी एक सबमरीन भारतीय नौसेना के हाथों खो चुके हैं. इसका नाम है PNS गाजी. 1971 में पाकिस्तानी सबमरीन को नौसेना ने विशाखापत्तनम के पास समंदर की गहराई में हमेशा के लिए सुला दिया था. PNS गाजी भारतीय एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत को निशाना बनाने के लिए हार्बर के बाहर इंतजार कर रही थी. नौसेना के वॉरशिप INS राजपूत ने उसे हमेशा के लिए समंदर की गहराई में सुला दिया था.

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