DNA Analysis: ईरान और इज़रायल के बीच चल रही जंग में अब तक ईरान के 585 लोग मारे गए हैं. और 1 हजार 326 लोग घायल हुए हैं. हर रोज ईरान के किसी जनरल या परमाणु वैज्ञानिक के मारे जाने की खबर आ रही है. इस जंग में मुस्लिम मुल्क जॉर्डन ने खुलकर इज़रायल की मदद करनी शुरू कर दी है. जॉर्डन इजरायल की तरफ जा रही ईरान की मिसाइलों और ड्रोन को निशाना बना रहा है. वहीं पाकिस्तान ने अमेरिकी एयरक्राफ्ट को अपना एयर स्पेस इस्तेमाल करने की छूट दे दी है. जिसका इस्तेमाल ईरान के खिलाफ और इजरायल के फेवर में हो रहा है.
यानी इस खबर से दो बड़ी बातें निकलकर आ रही हैं. जो आपको समझनी चाहिए. पहली बड़ी बात- ईरान के खिलाफ युद्ध में पाकिस्तान और जॉर्डन जैसे देश, इजरायल की मदद कर रहे हैं. और दूसरी बड़ी बात- दुनिया के मुस्लिम मुल्क, खासकर सुन्नी बहुल मुल्क ईरान के खिलाफ हो गए हैं.
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— Zee News (@ZeeNews) June 18, 2025
ये युद्ध शिया बनाम सुन्नी का युद्ध बनता जा रहा है?
तो क्या, ये युद्ध शिया बनाम सुन्नी का युद्ध बनता जा रहा है? आपको याद होगा इस जंग के शुरू होने के बाद 21 अरब मुस्लिम देशों ने इज़रायल के एक्शन की निंदा की थी और संघर्ष को समाप्त करने की अपील की थी. लेकिन सऊदी अरब, तुर्किए और यूएई जैसे मजबूत देशों की प्रतिक्रिया ईरान के लिए सहानुभूति से आगे नहीं बढ़ी. वहीं, पाकिस्तान और जॉर्डन जैसे देश तो ईरान के खिलाफ अमेरिका और इज़रायल की मदद कर रहे हैं. आज आपको भी ईरान के लिए मुस्लिम देशों के इस सौतेले व्यवहार की असली वजह समझनी चाहिए. इस दुनिया में ईरान-इज़रायल की जंग से सैकडों वर्ष पहले एक जंग शुरू हुई थी. जो मुस्लिम जगत के लिए आज भी इज़रायल और ईरान की जंग से बड़ी है. ये जंग है शिया और सुन्नी मुसलमानों की जंग. आज हमने आपके लिए इस जंग पर एक खास विश्लेषण तैयार किया है. जिसे आपको बहुत ध्यान से पढ़ना चाहिए.
* ईरान के बॉर्डर पर एक अमेरिकी जासूसी विमान BACN 11-9001 को Flight radar24 वेबसाइट ने ट्रैक किया.
* Battlefield Airborne Communications Node यानि BACN एक उन्नत संचार प्रणाली है. जो ग्राउंड यूनिट्स और एयर यूनिट्स के बीच रीयल टाइम डाटा लिंक करती है. यानि हमले के लिए सीधा संदेश भेजने में इसका इस्तेमाल किया जाता है.
* ईरान के बॉर्डर पर पाकिस्तान के एयर स्पेस में मंडरा रहे इस अमेरिकी विमान ने पाकिस्तान के डबल गेम को EXPOSE कर दिया है.
* इससे साफ होता है. पाकिस्तान अमेरिकी विमान को अपने एयरस्पेस और एयर बेस को इस्तेमाल करने की इजाजत दे रहा है. जिससे वह ईरान की सामरिक लोकेशन ट्रैक कर सके.
* अमेरिका के जासूसी विमान के पाकिस्तान-ईरान बॉर्डर पर देखे जाने के कुछ घंटों बाद तेहरान में ईरान की सरकारी मीडिया IRIC के मुख्यालय पर इज़रायल ने बम भी बरसाए. यानी ईरान पर इजरायल के इस हमले में कहीं ना कहीं पाकिस्तान का भी एक रोल रहा है।
ये वही पाकिस्तान है, जिसके नेता कैमरे के सामने आकर ईरान के लिए हमदर्दी जताते हैं और इजरायल के खिलाफ आग उगलते हैं. लेकिन पर्दे के पीछे वहां की हुकूमत. ऐसे कदम उठा रही है जिससे इजरायल को फायदा पहुंचे और ईरान का नुकसान हो.
पाकिस्तान के डबल क्रॉस का दूसरा सबूत
आज शिया मुल्क ईरान सुन्नी देश पाकिस्तान के डबल क्रॉस का दूसरा सबूत व्हाइट हाउस में देखेगा. जब पाकिस्तान का सबसे ताकतवर व्यक्ति यानि सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के साथ व्हाइट हाउस में लंच करता दिखाई देगा. ये लंच अब से ठीक डेढ़ घंटे बाद होगा. उस समय अमेरिका में दोपहर के एक बज रहे होंगे. अब सोचिए, जिस वक्त ईरान और इज़रायल का युद्ध चल रहा है, उस वक्त मुनीर अगर ट्रंप के साथ लंच कर रहा है तो इससे संदेश क्या जाएगा? संदेश यही जाएगा कि इस युद्ध में पाकिस्तान कम से कम ईरान की तरफ तो नहीं ही है. इस मुलाकात का समय और BACN विमान की सक्रियता इस ओर भी इशारा कर रही है कि पाकिस्तान में अमेरिका की मदद आसिम मुनीर के इशारे पर ही हो रही है. डॉनल्ड ट्रंप खुद को लीडर से ज्यादा डीलर के रूप में देखते हैं। इसलिए, मुनीर को व्हाइट हाउस बुलाकर अमेरिकी थाली में भरपेट खिलाने की कीमत वो जरूर वसूलेंगे. और शायद इस वसूली की शुरुआत पाकिस्तानी एयर स्पेस के जरिए हो चुकी है.
लेकिन ईरान के दुश्मन बनकर अमेरिका पहुंचे आसिम मुनीर की असलियत पाकिस्तान के लोगों ने ही बता दी. अमेरिका में मुनीर का जोरदार विरोध हुआ. पाकिस्तानी मुनीर को देखते ही ऐसे अपशब्द कहने लगे, जिन्हें हम आपको बता भी नहीं सकते. आसिम मुनीर को लेकर पाकिस्तान में जो नफरत और गुस्सा है. उसकी खबर अमेरिका के राष्ट्रपति तक भी पहुंच गई होगी. आसिम मुनीर को कातिल कहा गया. पाकिस्तान में लोकतंत्र की हत्या करने वाला कहा गया. और ये ही व्यक्ति अमेरिका में बैठकर पाकिस्तान के लिए डील कर रहा है. ईरान को डबल क्रॉस की स्क्रिप्ट लिख रहा है.
पाकिस्तान ने युद्ध की शुरूआत में ईरान से जो हमदर्दी दिखाई थी, उसके खत्म होने का एक और सबूत उस वक्त सामने आया, जब पाकिस्तान की संसद में ईरान के एक और दावे को खारिज कर दिया गया. जिसमें कहा गया था कि ईरान पर अगर परमाणु हमला हुआ तो पाकिस्तान इसका बदला इज़रायल से लेगा. लेकिन पाकिस्तान ने ईरान के अरमानों पर पानी फेर दिया.
जिस तरह पाकिस्तान ईरान से इस मुश्किल समय में दूरी बना रहा है. उससे साफ है कि वो इजरायल के दोस्त अमेरिका के साथ खड़ा है. पाकिस्तान की ईरान के साथ 900 किलोमीटर की सीमा लगती है. अगर पाकिस्तान ने अमेरिका को सीमा-पार निगरानी, ड्रोन ऑपरेशन, या लॉजिस्टिक रूट्स की मदद देनी जारी रखी तो ईरान के लिए मुश्किलें बढ़ जाएंगी.
ईरान के खिलाफ एक और सुन्नी मुस्लिम देश जार्डन ने भी इज़रायल की मदद शुरू कर दी है. जार्डन सीधे इस युद्ध में शामिल नहीं है, लेकिन बिना शोर मचाए. इजरायल की मदद कर रहा है. आपको इज़रायल की मदद करने वाली जार्डन की रणनीति को समझने के लिए इस मैप को ध्यान से देखना चाहिए. किस तरह इज़रायल के पड़ोस में मौजूद जार्डन उसके लिए मुश्किल समय में ढाल बन जाता है. क्योंकि ईरान से इज़रायल तक किसी मिसाइल या ड्रोन को पहुंचने के लिए जॉर्डन को पार करना पड़ेगा.
* लेकिन जब 13–14 जून की रात इज़रायल के हमले के बाद ईरान ने पलटवार किया तो जार्डन की वायुसेना ने कई ईरानी ड्रोन और मिसाइलों को अपने आसमान में इंटरसेप्ट करके गिरा दिया.
* इससे इज़रायल के खिलाफ ईरान का हमला कमजोर पड़ा, और जार्डन एक तरह से "एयर शील्ड" बन गया.
* जॉर्डन ने कहा कि ड्रोन और मिसाइल रोककर उसने अपने मुल्क की हिफाजत की । लेकिन तकनीकी रूप से सुन्नी देश जॉर्डन..इज़रायल की हिफाजत कर रहा है.
* इसके अलावा जॉर्डन ने अपना एयर स्पेस इज़रायली विमानों के लिए खुला रखा है । यानी ईरान के लिए अपने एयर स्पेस को बंद करने वाला जॉर्डन..इजरायल को पूरा एयर स्पेस दे रहा है.
*अब जॉर्डन की भौगोलिक स्थिति समझिए..वो पश्चिमी एशिया के उस हिस्से पर है..जहां इज़रायल से ईरान की दिशा में जाने वाले लड़ाकू विमान या मिसाइलों को उसके ऊपर से गुजरना पड़ता है.
* अगर जॉर्डन इसे बंद कर देता तो इज़रायल को लंबा रास्ता तय करना पड़ता. लेकिन जॉर्डन ने अब तक ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं लगाया. इसका मतलब साफ है उसने इज़रायल के ऑपरेशन "Rising Lion" को तकनीकी अनुमति दी. यानि एक और सुन्नी मुल्क ईरान के खिलाफ खड़ा है.
दुनिया में इस्लाम की दो मुख्य शाखाएं
सिर्फ जॉर्डन नहीं सऊदी अरब भी चाहे तो इज़रायल की मिसाइलों और वायुसेना पर पाबंदी लगा सकता है. या फिर अपने एयर स्पेस से गुजरने वाली इज़रायल की मिसाइलों को नष्ट कर सकता है. लेकिन ऐसा नहीं करके वो भी इज़रायल और अमेरिका के पक्ष में ही खड़ा दिख रहा है. अब आपको इसके पीछे मौजूद शिया और सुन्नी विवाद को भी समझना चाहिए.
- दुनिया में इस्लाम की दो मुख्य शाखाएं हैं शिया और सुन्नी.
- दुनिया में कुल मुस्लिम आबादी लगभग 2 अरब है.
- इसमें लगभग 90 प्रतिशत यानि 1 अरब 74 करोड़ सुन्नी मुसलमान हैं.
- और सिर्फ 10 प्रतिशत यानि 26 करोड़ शिया मुसलमान हैं.
- शिया और सुन्नी मुलसमानों में विवाद पैगंबर मोहम्मद के उत्तराधिकार को लेकर शुरू हुआ.
- शिया मुसलमान चाहते थे मोहम्मद साहब के बाद हजरत अली को खलीफा बनाया जाए.
- जबकि सुन्नी मुसलमान उनके बाद खलीफा बनाए गए अबू बक्र को ही उत्तराधिकारी मानते हैं.
- शिया और सुन्नियों का ये विवाद सदियों से राजनीति, युद्ध और धार्मिक नेतृत्व का हिस्सा बन चुका है.
- ईरान शिया मुस्लिम देशों का लीडर है. जिसने इराक, सीरिया, लेबनान, यमन में शिया मिलिशिया खड़े किए.
- सऊदी अरब और इज़रायल और फिलिस्तीन
UAE जैसे प्रभावशाली सुन्नी मुस्लिम देशों को लगता है कि ईरान पूरे मिडिल ईस्ट में शिया प्रभाव बढ़ा रहा है.
- ईरान के प्रॉक्सी हूती को सऊदी सीधे अपने लिए खतरा भी समझता है. हूती को अमेरिका समेत पश्चिमी देश आतंकी संगठन मानते हैं. इनसबके बीच, एक और सुन्नी बहुल देश तुर्किये है. जो पाकिस्तान की तरह सिर्फ बातों से ईरान के साथ है. जबकि हकीकत ये है कि तुर्किए और ईरान सीरिया में एक दूसरे के खिलाफ खड़े हैं.
इज़रायल और फिलिस्तीन
इज़रायल और फिलिस्तीन विवाद के बाद से दुनिया भर के मुस्लिम देश इज़रायल को मुसलमानों के लिए खतरा मानते हैं. लेकिन शिया और सुन्नी की नफरत इतनी बड़ी है कि कोई सुन्नी मुस्लिम देश ईरान के साथ खड़ा नहीं होना चाहता. परदे के पीछे भी ईरान की मदद करना सुन्नी मुल्कों को कबूल नहीं है. वैसे इसकी एक वजह अमेरिका के प्रभाव और ताकत को भी माना जा सकता है. सउदी अरब और यूएई जैसे बड़े मुस्लिम देश भी अमेरिका के सहयोगी हैं. इस वजह से भी ईरान मुस्लिम जगत में अलग थलग पड़ा है.