Last Updated:October 23, 2025, 15:34 IST
Naga Peace Talks: घर छोड़ने के 61 साल बाद 91 वर्षीय थुइंगलेंग मुइवा बुधवार को अपने गांव सोमदल लौटे. उन्होंने नागा ध्वज और संविधान की मान्यता की मांग दोहरायी. वह नागा वार्ता के मुख्य वार्ताकार हैं.

Naga Peace Talks: नागा क्रांतिकारी आंदोलन में शामिल होने के लिए घर छोड़ने के 61 साल बाद नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालिम (एनएससीएन-आईएम) के महासचिव थुइंगलेंग मुइवा बुधवार को मणिपुर के नागा बहुल उखरुल जिले में अपने पैतृक गांव सोमदल लौटे. मणिपुर के विभिन्न भागों से बड़ी संख्या में आए नागाओं ने 91 वर्षीय इस बुजुर्ग का स्वागत किया. टी. मुइवा का हेलीकॉप्टर पड़ोसी नागालैंड से उड़ान भरकर उखरुल कस्बे के बख्शी मैदान में उतरा और वे तांगखुल नागा लांग मैदान पहुंचे, जहां उनके सम्मान में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया. बाद में हेलीकॉप्टर उन्हें लगभग 25 किलोमीटर दूर सोमदल ले गया, जहां एक ऐसा ही कार्यक्रम आयोजित किया गया था. अपनी बढ़ती उम्र के कारण वे कमजोर लग रहे थे. चलते हुए उन्हें दूसरों द्वारा सहायता करते हुए देखा गया.
टी. मुइवा पांच भाई-बहनों में चौथे नंबर के हैं. उनकी सबसे बड़ी बहन और दो बड़े भाइयों का निधन हो चुका है. उनका छोटा भाई सोमदल में रहता है, जो अब अस्सी साल के हैं. केंद्र के साथ एनएससीएन-आईएम की शांति वार्ता के मुख्य वार्ताकार टी. मुइवा 28 अक्टूबर तक गांव में रहेंगे. 29 अक्टूबर को उनका एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए सेनापति रवाना होने का कार्यक्रम है. सेनापति भी मणिपुर का एक और नागा-बहुल जिला है. उसी दिन वह नागालैंड लौट जाएंगे जहां 1997 में युद्धविराम पर हस्ताक्षर करने वाले एनएससीएन-आईएम का केंद्रीय मुख्यालय हेब्रोन है.
बने हुए हैं विद्रोह का चेहरा
91 साल की उम्र में भी टी. मुइवा दक्षिण एशिया के सबसे पुराने विद्रोहों में से एक का चेहरा और इन इलाकों में एक नायक बने हुए हैं. 1964 में नागा स्वायत्तता के लिए लड़ने के लिए वे नागा नेशनल काउंसिल में शामिल हुए. 1980 में एसएस खापलांग और इसाक चिशी स्वू (दोनों अब दिवंगत हो चुके हैं) के साथ मिलकर एनएससीएन (नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड) का गठन किया. 1997 में भारत सरकार के साथ युद्धविराम किया और तब से संघ के साथ शांति वार्ता की कमान संभाल रहे हैं. अब, अपने जीवन के अंतिम पड़ाव में टी. मुइवा एक सप्ताह की यात्रा के लिए अपने गांव लौट आए हैं जहां सरकार ने उन्हें लंबे समय तक जाने से रोक रखा था. बुधवार को टी. मुइवा अपनी पत्नी पकाहाओ के साथ उखरुल जिला मुख्यालय पहुंचे, जहां ‘अवखरार’ (स्थानीय तंगखुल बोली में परिवार के मुखिया) के लिए एक स्वागत समारोह आयोजित किया गया था.
किसी और ने दिया उनका भाषण
वीएस अतेम ने उनकी ओर से भाषण दिया. जब टी. मुइवा अपनी पत्नी के साथ उनके बगल में मंच पर बैठे थे अतेम ने कहा, “मेरी क्रांतिकारी यात्रा छह दशक पहले 1964 में यहीं तांगखुल देश से शुरू हुई थी. मैं सर्वशक्तिमान ईश्वर का धन्यवाद करता हूं कि उन्होंने मुझे बचा लिया और मेरा अपने गांव लौटना संभव बनाया. लेकिन बहुत से लोग जिन्हें मैं जानता था और जो मुझसे प्यार करते थे, अब नहीं हैं. एक पीढ़ी आती है और जाती है, लेकिन राष्ट्र बना रहता है. जिस मुद्दे के लिए हम लड़ रहे हैं, वह हममें से ज्यादातर लोगों से भी बड़ा और पुराना है जो आज इस तांगखुल नागा लॉन्ग मैदान में इकट्ठा हुए हैं.” लेकिन, दशकों तक भूमिगत रहने और केंद्र सरकार के साथ वर्षों से अधर में लटकी बातचीत के बाद टी. मुइवा के संबोधन में उनकी झुंझलाहट भी झलक रही थी. उन्होंने दोहराया कि अंतिम नागा राजनीतिक समझौता नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा 2015 में नागा समूहों के साथ बड़े धूमधाम से किए गए फ्रेमवर्क समझौते की तर्ज पर होना चाहिए और एक अलग नागा ध्वज और संविधान को मान्यता देनी होगी.
हिंसक सशस्त्र विरोध की धमकी
टी. मुइवा ने पिछले नवंबर में एनएससीएन (आईएम) ने फ्रेमवर्क समझौते के आधार पर अंतिम समझौते के अभाव में ‘भारत के खिलाफ हिंसक सशस्त्र विरोध फिर से शुरू करने’ की धमकी भी दी थी. अटेम ने पढ़ा, “मुझे पूरा विश्वास है कि नागा लोग भटके हुए लोग नहीं हैं. इसलिए, मैं और एनएससीएन/जीपीआरएन, नागालिम के अनूठे इतिहास, नागालिम की संप्रभुता, नागालिम क्षेत्र और अटूट नागा राष्ट्रीय ध्वज और नागा राष्ट्रीय संविधान की रक्षा और सुरक्षा करेंगे चाहे कुछ भी हो जाए. कहीं हम भूल न जाएं! नागालिम और नागा लोगों की आजादी सर्वशक्तिमान ईश्वर द्वारा दिया गया एक उपहार है… जिसके लिए सैकड़ों-हजारों नागालिम स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने प्राणों की आहुति दी है.”
कौन- कौन आया स्वागत करने
टी. मुइवा के स्वागत समारोह में कम से कम तीन प्रमुख मैतेई दबाव समूहों – कोकोमी, अमुको और एफओसीएस – के प्रतिनिधि मौजूद थे. मैतेई लोगों का नागा आंदोलन के साथ लंबे समय से तनावपूर्ण रिश्ता रहा है. क्योंकि ‘एकीकृत नागा मातृभूमि’ – या नागालिम – के विचार में मणिपुर के वे भू-भाग शामिल हैं जहां मैतेई रहते हैं. नागा के बाद मैतेई राज्य का दूसरा सबसे बड़ा जातीय समूह है. दरअसल, 2010 में टी. मुइवा की सोमदल जाने की आखिरी कोशिश को तत्कालीन मणिपुर सरकार (कांग्रेस के ओकराम इबोबी सिंह के नेतृत्व वाली) ने नाकाम कर दिया था और उन्हें राज्य में प्रवेश नहीं दिया था. पंद्रह साल बाद मणिपुर मैतेई और कुकी-ज़ो के बीच एक नए संघर्ष से जूझ रहा है. जबकि टी. मुइवा की उम्र और कद काफी हद तक उन्हें जातीय विभाजन से ऊपर एक अलग मुकाम पर रखा जा सकता है.
एक माह से तैयारी कर रहे थे गांववाले
टी. मुइवा के दौरे की खबर लगभग दो हफ्ते पहले आयी थी, लेकिन सोमदल में तैयारियां एक महीने से चल रही थीं. जिस हेलीपैड पर उनका हेलिकॉप्टर उतरा उसे गांव के स्वयंसेवकों ने एक पुराने चर्च की जगह पर बनाया था और दौरे से सिर्फ दो दिन पहले ही पूरा हुआ था. टी. मुइवा 29 अक्टूबर तक गांव में रहेंगे और पुनर्निर्मित प्रार्थना कक्ष ‘गेथसेमेन’ में रुकेंगे. मुइवा और उनकी पत्नी की एक मूर्ति गांव की मुख्य सड़क के किनारे लगी है, जो हाल ही में बनी है. न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक गांव के एक बुज़ुर्ग समीओन मुइनाओ ने कहा, “वे सभी के लिए प्रेरणा हैं, चाहे वे बच्चे हों या बड़े… सिर्फ इस गांव के लिए ही नहीं, बल्कि सभी नागाओं के लिए. यही वजह है कि आज सभी बच्चे और बुज़ुर्ग उनका स्वागत करने के लिए इकट्ठा हुए हैं.”
नागा वार्ता को लेकर नई उम्मीद
फिर भी टी. मुइवा की इस यात्रा ने नागा वार्ता को लेकर नई उम्मीद जगाई है. उखरुल के एक चर्च नेता जेम्स होसन्ना ने कहा, “हम राष्ट्रहित के प्रति अपनी एकजुटता, एकता, समर्थन, प्रार्थना और अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त करने के लिए एकत्र हुए हैं. वह अद्वितीय हैं क्योंकि नागा विद्रोह के जनक, स्वर्गीय ए.जेड. फिजो के देश छोड़ने के बाद टी. मुइवा और उनके अनुयायियों ने जनता, विद्रोह और भारत सरकार के साथ वार्ता का नेतृत्व किया. वह हमारे राष्ट्रीय नायक हैं.”
क्या चाहते हैं मुइवा
टी. मुइवा ने स्पष्ट किया है कि भारत सरकार के साथ चल रही नागा शांति वार्ता में नागा राष्ट्रीय ध्वज और संविधान को मान्यता देना गैर-समझौता योग्य है. वह चाहते हैं कि कोई भी राजनीतिक समझौता 2015 में हस्ताक्षरित ‘फ्रेमवर्क एग्रीमेंट’ की भावना के अनुरूप हो, जो नागालिम (Greater Nagalim) के अद्वितीय इतिहास, संप्रभुता और क्षेत्र को आधिकारिक रूप से मान्यता देता है. उन्होंने दोहराया है कि नागालिम सर्वशक्तिमान ईश्वर द्वारा दिया गया क्षेत्र है और नागा लोग पिछले 79 वर्षों से इसके संप्रभु अस्तित्व की रक्षा कर रहे हैं. उनकी वापसी को नगा समुदाय के बीच एकजुटता और समर्थन प्रदर्शित करने के रूप में भी देखा जा रहा है.
न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
October 23, 2025, 15:23 IST