क्‍या बिहार में पहली बार किया गया SIR? जान लें देश में कब-कब हुआ ऐसा

5 hours ago

Last Updated:August 04, 2025, 13:56 IST

Election Commission SIR: बिहार में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले वोटर लिस्‍ट को संशोधित करने के लिए SIR यानी स्‍पेशल इंटेसिव रिवीजन कैंपेन चलाया गया. विरोधी दल लगातार उसका विरोध कर रहे हैं.

क्‍या बिहार में पहली बार किया गया SIR? जान लें देश में कब-कब हुआ ऐसाबिहार में SIR को लेकर काफी विवाद चल रहा है.

हाइलाइट्स

बिहार विधानसभा चुाव से ठीक पहले वोटर लिस्‍ट की समीक्षा पर बवालविपक्षी पर्टियां चुनाव आयोग पर लगातार लगा रही हैं बेहद गंभीर आरोपइन सबके बीच बड़ा सवाल- देश में क्‍या पहली बार हो रहा है SIR

ECI SIR: बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्‍ट को संशोधित करने के लिए विशेष गहन पुनरीक्षण यानी SIR अभियान चलाया जा रहा है. विपक्षी दल इस पूरी प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठा रहे हैं. संसद और विधानसभा से लेकर सड़क तक पर इसको लेकर हंगामा चल रहा है. इन सबके बीच सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्‍या देश के किसी राज्‍य में पहली बार SIR चलाया गया या इससे पहले भी चुनाव आयोग की ओर से इस तरह के कैंपेन चलाए जा चुके हैं. दरअसल, भारत में मतदाता सूची की दुरुस्‍त और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए समय-समय पर विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) का आयोजन किया जाता है. यह प्रक्रिया भारतीय निर्वाचन आयोग (ECI) द्वारा संचालित होती है, जिसका उद्देश्य मतदाता सूची को त्रुटिरहित बनाना, अपात्र व्यक्तियों को हटाना और सभी योग्य नागरिकों को मतदाता सूची में शामिल करना है.

हाल ही में बिहार में SIR की प्रक्रिया ने सुर्खियां बटोरी हैं. भारत में मतदाता सूची के पुनरीक्षण की प्रक्रिया 1950 के दशक से शुरू हुई, जब जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 (Representation of the People Act, 1950) और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत निर्वाचन आयोग को मतदाता सूची तैयार करने और संशोधन करने का अधिकार दिया गया. SIR एक विशेष प्रक्रिया है, जो सामान्य वार्षिक पुनरीक्षण से अलग होती है और इसे तब लागू किया जाता है, जब मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर त्रुटियां या अपात्र मतदाताओं की मौजूदगी का पता चलता है.

SIR का आयोजन

1952–1956: प्रारंभिक वर्षों में देश के विभिन्न हिस्सों में SIR का आयोजन किया गया, ताकि स्वतंत्र भारत की पहली मतदाता सूची को सटीक बनाया जा सके. इस दौरान हर पांचवें हिस्से को कवर करने की रणनीति अपनाई गई.
1957, 1961, 1965, 1966: इन वर्षों में देश के विभिन्न राज्यों में SIR की प्रक्रिया लागू की गई, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर विसंगतियां पाई गईं.
1983–1984, 1987–1989: इन वर्षों में भी SIR का आयोजन हुआ, जिसका फोकस शहरीकरण और जनसंख्या वृद्धि के कारण मतदाता सूची को अपडेट करना था.
1992, 1993, 1995: इन वर्षों में SIR का उपयोग मृत, स्थानांतरित, या डुप्लिकेट मतदाताओं को हटाने के लिए किया गया.
2002, 2003, 2004: बिहार सहित कई राज्यों में SIR आयोजित किया गया. बिहार में 2003 में अंतिम SIR हुआ, जिसके बाद 2025 में यह प्रक्रिया फिर से शुरू हुई.
2025: बिहार में 24 जून 2025 से SIR शुरू हुआ, जिसके तहत 7.9 करोड़ मतदाताओं के लिए फॉर्म वितरित किए गए. इस प्रक्रिया का मसौदा मतदाता सूची 1 अगस्त 2025 को प्रकाशित हुआ. अब निर्वाचन आयोग ने इसे पूरे देश में लागू करने की घोषणा की है, जिसका विस्तृत शेड्यूल जल्द जारी होगा.

SIR का महत्व और प्रक्रिया

SIR एक समयबद्ध, घर-घर जाकर सत्यापन की प्रक्रिया है, जिसे बूथ स्तर के अधिकारी (Booth Level Officers – BLO) संचालित करते हैं. इसका उद्देश्य निम्नलिखित है:

सटीकता: मृत, स्थानांतरित, या डुप्लिकेट मतदाताओं को हटाना.
समावेशिता: सभी योग्य नागरिकों, विशेष रूप से 18 वर्ष से अधिक आयु के नए मतदाताओं को शामिल करना.
पारदर्शिता: अवैध प्रवासियों या गैर-पात्र व्यक्तियों को मतदाता सूची से हटाकर निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करना.

Manish Kumar

बिहार, उत्‍तर प्रदेश और दिल्‍ली से प्रारंभिक के साथ उच्‍च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्‍ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्‍लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें

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Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

August 04, 2025, 13:54 IST

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