क्‍या सैनिक स्‍कूल और न्‍यू सैनिक स्‍कूल के बीच है अंतर? समझें एडमिशन प्रॉसेस

22 minutes ago

Admission in Sainik Schools: यदि आप अपने बच्‍चे का एडमिशन सैनिक स्‍कूल में कराना चाहते हैं तो कोई भी कदम आगे बढ़ाने से पहले आप इनसे जुड़ी कुछ बातें जरूर जान लें. सबसे पहले आपके यह जानना बेहद जरूरी है कि सैनिक स्‍कूल और न्‍यू सैनिक स्‍कूल के बीच कहीं कोई अंतर तो नहीं है. जी हां, आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मौजूदा समय में देश में कुल 102 सैनिक स्‍कूल हैं, जिसमें 33 को सैनिक स्‍कूल और बाकी 69 को न्‍यू सैनिक स्‍कूल कहा जाता है.

तो चलिए, सबसे पहले समझते हैं सैनिक स्‍कूल और न्‍यू सैनिक स्‍कूल के बीच अंतर की. मैनेजमेंट की बात करें तो सैनिक स्कूल पूरी तरह सैनिक स्कूल सोसाइटी द्वारा संचालित होते हैं. इन स्‍कूलों का प्रबंधन रक्षा मंत्रालय और राज्य सरकारें मिलकर करती हैं. वहीं दूसरी तरफ, न्यू सैनिक स्कूल पब्लिक–प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल के तहत चलाए जाते हैं. सैनिक स्कूल सोसाइटी से अफिलिएटेड न्‍यू सैनिक स्‍कूलों का संचालन प्राइवेट, एनजीओ, एजुकेशन ट्रस्ट द्वारा किया जाता है.

अब बात करते हैं सैनिक स्‍कूल और न्‍यू सैनिक स्‍कूल के माहौल और ट्रेनिंग की. सैनिक स्कूल की शिक्षा व्‍यवस्‍था पूरी तरह से मिलिट्री पैटर्न पर आधारित होती है. सैनिक स्‍कूल में एनसीसी, पीटी, ड्रिल या अनुशासन सबकुछ आर्मी की तरह होता है. वहीं, न्यू सैनिक स्कूल में सैनिक स्कूल के कुछ तत्व अपनाए जाते हैं, लेकिन यह जरूरी नहीं कि मिलिट्री पैटर्न पूरी तरह लागू ही हो. वहीं, एनसीसी की उपलब्‍धता भी स्‍कूल की सुविधा पर निर्भर करता है. इन स्‍कूल का फीस स्‍ट्रक्‍चर भी अलग-अलग है.

दोनों सैनिक स्‍कूल्‍स में क्‍या है एडमीशन प्रॉसेस?
सैनिक स्कूल सोसाइटी ने एकेडमिक ईयर 2026-27 के लिए 33 सैनिक स्कूल्स और 69 अप्रूव्ड न्यू सैनिक स्कूल्स में एडमिशन के लिए प्रॉसेस फिलहाल जारी है. दोनों कैटेगरी के सैनिक स्‍कूल्‍स में ऑल इंडिया सैनिक स्कूल एंट्रेंस एग्जाम (AISSEE) के जरिए 6वीं और 9वीं क्लास में ही एडमिशन लिए जाते हैं. साथ ही, यह एंट्रेंस एग्‍जाम नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) कंडक्ट कराती है. आइए, अब समझते हैं सैनिक स्‍कूल और न्‍यू सैनिक स्‍कूल में एडमिशन का पूरा प्रॉसेस क्‍या है?

क्‍या है पुराने सैनिक स्कूल्स में एडमिशन का प्रॉसेस?
सैनिक स्कूल सोसाइटी द्वारा संचालित सभी 33 सैनिक स्‍कूल में ऑल इंडिया सैनिक स्कूल एंट्रेंस एग्जाम (AISSEE) के जरिए छठवीं और नौवीं कक्षा में एडमिशन होता है. AISSEE का रिजल्‍ट आने के बाद 6वीं और 9वीं कक्षा के लिए ई-काउंसलिंग होती है. इसके बाद, स्कूल, जेंडर और कैटेगरी वाइज लिस्‍ट तैयार की जाती है. इस लिस्‍ट को होम स्‍टेट और अदर स्‍टेट के हिसाब से बांटकर मेरिट लिस्‍ट तैयार की जाती है. यहां होम स्‍टेट का मतबल है, बच्चा जिस स्टेट का डोमिसाइल सर्टिफिकेट रखता है.

बच्‍चा जिस स्‍टेट का डोमेसाइल सर्टिफिकेट रखता है, उसी राज्‍य में स्थित सैनिक स्कूल के लिए अप्लाई किया है, तो उसे होम स्‍टेट कोटा मिलेगा. मिसाल के तौर पर, मध्‍य प्रदेश का बच्चा अगर रीवां सैनिक स्कूल चुनता है तो उसे मध्‍य प्रदेश का होम स्‍टेट कोटा मिलेगा. लेकिन हरियाणा का बच्चा वही स्कूल चुने तो अदर स्‍टेट कोटा में आएगा. फाइनल एडमिशन के लिए मेडिकल फिटनेस और ओरिजिनल डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के बाद ही किया जाता है.

न्यू सैनिक स्कूल्स में दो एडमीशन के हैं दो रास्ते
न्यू सैनिक स्कूल्स में एडमिशन का सिस्टम थोड़ा अलग और इंटरेस्टिंग है. यहां कुल सीट्स को दो कैटेगरी में बांटा गया है. पहली कैटेगरी में 40 फीसदी सीटें रखी गई हैं, जबकि दूसरी कैटेगरी में 60 फीसदी सीटें रखी गई हैं. पहली कैटेगरी में ऑल इंडिया ओपन मेरिट लिस्‍ट के जरिए स्‍कूल में 40 फीसदी एडमिशन होगें. यहां डोमिसाइल या कैटेगरी का कोई रोल नहीं होगा. इसका मतलब है कि बच्चा किसी भी राज्‍य का हो, यदि वह अच्छे नंबर लाया तो पूरे भारत के किसी भी न्यू सैनिक स्कूल में ई-काउंसलिंग के दौरान चुना जा सकता है.

वहीं, कैटेगरी बी के तहत 60 फीसदी सीटों पर स्‍कूल अपने ही बच्‍चों का एडमिशन लेगा. इसका मतलब है कि 60 फीसदी सीट्स न्यू सैनिक स्कूल में पहले से 5वीं कक्षा में पढ़ रहे बच्चों के लिए रिजर्व होंगी. इनके लिए एनटीए अलग से स्कूल-वाइज मेरिट लिस्ट बनाती है. अगर किसी न्‍यू सैनिक स्कूल की 60 फीसदी सीटें अपने बच्‍चों से नहीं भर पाईं तो बची हुई सीट्स अपने आप पहली कैटेगरी (ऑल इंडिया मेरिट) में चली जाएंगी.

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