क्या अगले 20 साल में डूब जाएगा मुंबई, पणजी और चेन्नई! होश उड़ा देगी ये रिपोर्ट

1 month ago

ये जलवायु परिवर्तन का ही नतीजा है कि देश के अधिकांश हिस्सों में बारिश और बाढ़ ने कोहराम मचाया हुआ है. कोलकाता से लेकर उत्तराखंड तक नदियां उफान पर हैं. गर्मी में प्रचंड गर्मी पड़ती है तो सर्दी में हाड़ जमा देने वाली ठंड. जयवायु परिवर्तन का यही हाल रहा तो वह दिन दूर नहीं जब कुछ जगहों का अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा.

एक नए अध्ययन में दावा किया गया है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से समुद्र के जल स्तर में लगातार इजाफा हो रहा है. और समुद्र का पानी इसी तरह से बढ़ता रहा तो 2040 तक मुंबई में 10 प्रतिशत से अधिक जमीन और पणजी और चेन्नई में 10 प्रतिशत तक जमीन पानी में डूब जाएगी.

बेंगलुरू स्थित थिंक टैंक ‘सेंटर फॉर स्टडी ऑफ साइंस, टेक्नोलॉजी एंड पॉलिसी- सीएसटीईपी’ के एक अध्ययन में कहा गया है कि समुद्र के बढ़ते जल स्तर की वजह से कोच्चि, मेंगलुरू, विशाखापत्तनम, उडुपी और पुरी में पांच प्रतिशत जमीन पानी में डूब सकती है.

इस रिपोर्ट का शीर्षक ‘समुद्र के जल स्तर में वृद्धि परिदृश्य और चुनिंदा भारतीय तटीय शहरों के लिए जलमग्नता मानचित्र’ है. रिपोर्ट में 15 भारतीय तटीय शहरों और कस्बों- चेन्नई, मुंबई, तिरुवनंतपुरम, कोच्चि, मेंगलुरू, विशाखापत्तनम, कोझिकोड और हल्दिया, कन्याकुमारी, पणजी, पुरी, उडुपी, पारादीप, तुत्तुकुडी और यानम में भविष्य के जलवायु परिवर्तन के तहत समुद्र के जल स्तर में बदलाव का अध्ययन किया गया है.

अध्ययन में खुलासा हुआ है कि 1987 से 2021 तक मुंबई में समुद्र के स्तर में अधिकतम वृद्धि देखी गई जो 4.440 सेंटीमीटर है. इसके बाद हल्दिया में 2.726 सेमी, विशाखापत्तनम में 2.381 सेमी, कोच्चि में 2.213 सेमी, पारादीप में 0.717 सेमी और चेन्नई में 0.679 सेमी का इजाफा समुद्र के पानी में हुआ है. रिपोर्ट में कहा गया है कि सदी के अंत तक सभी 15 शहरों और कस्बों में समुद्र के जल स्तर में वृद्धि जारी रहेगी. मुंबई के लिए सबसे अधिक जल स्तर वृद्धि का अनुमान है.

सीएसटीईपी ने कहा कि मुंबई, यानम और तुत्तुकुडी में 10 प्रतिशत से अधिक भूमि, पणजी और चेन्नई में 5-10 प्रतिशत भूमि और कोच्चि, मेंगलुरु, विशाखापत्तनम, हल्दिया, उडुपी, पारादीप तथा पुरी में 1-5 प्रतिशत भूमि 2040 तक समुद्र के जल स्तर में वृद्धि के कारण जलमग्न होने की आशंका है.

रिपोर्ट के अनुसार, समुद्र के स्तर में इजाफे से प्रभावित होने वाले प्रमुख क्षेत्रों में जल, कृषि, वन और जैव विविधता और स्वास्थ्य शामिल हैं. समुद्र तट, बैकवाटर और मैंग्रोव वन विशेष रूप से जोखिम में हैं, जो जैव विविधता और पर्यटन को प्रभावित कर रहे हैं. हल्दिया, उडुपी, पणजी और यानम में महत्वपूर्ण कृषि क्षेत्र, आर्द्रभूमि और जल निकाय हैं जो बढ़ते समुद्र के स्तर के कारण जलमग्न हो सकते हैं.

Tags: Chennai news, Goa, Mumbai News

FIRST PUBLISHED :

August 3, 2024, 23:39 IST

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