हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार की तमाम वजहें गिनाई जा रही हैं. एक वजह ओवर कॉन्फिडेंस भी है. पार्टी ने जिस श ...अधिक पढ़ें
News18 हिंदीLast Updated : October 9, 2024, 16:06 ISTहरियाणा विधानसभा चुनाव में अति-आत्मविश्वास कांग्रेस पर भारी पड़ा. पार्टी के चुनावी रणनीतिकार सुनील कानूगोलू पर भी हद से ज्यादा भरोसा नुकसानदेह साबित हुआ. कांग्रेस को करीब से जानने वाले एक राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि कानूगोलू ने हरियाणा की सभी 90 सीटों का आकलन किया और मुद्दे की पड़ताल की. उसी के आधार पर टिकट बांटा गया. कानूगोलू ने दावा किया कि कांग्रेस की बढ़त 25 फ़ीसदी से ज्यादा की होगी, जबकि उल्टा नुकसान हुआ. सूत्र बताते हैं कि सुनील कानूगोलू की विधानसभा चुनाव के बीच भूपेंद्र हुड्डा से लेकर अजय बावरिया जैसे कांग्रेस के स्थानीय नेताओं से कई मसलों पर मतभेद और नोकझोंक भी हुई. स्थानीय नेतृत्व नेताओं ने जो सुझाव दिया उसको दरकिनार कर दिया गया. कानूगोलू ने अपने समीकरण बैठाए, जिसका उल्टा असर पड़ा.
सूत्र बताते हैं कि सुनील कानूगोलू ने लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस के लिए रणनीति बनाई थी. तब भी उन्होंने एक-एक सीट का आकलन किया था. हालांकि लोकसभा चुनाव में भी उनके समीकरण गलत साबित हुए. हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने जीत की हैट्रिक लगाई. एग्जिट पोल और एंटी इनकंबेंसी को धता बताते हुए पार्टी ने 90 में से 48 सीटें अपने नाम की. जबकि कांग्रेस के खाते में 37 सीटें गईं. चुनाव नतीजे से पहले तमाम विश्लेषक दावा कर रहे थे कि हरियाणा की सत्ता कांग्रेस को मिल सकती है. अधिकतर एग्जिट पोल भी यही इशारा कर रहे थे. 8 अक्टूबर को जब वोटों की गिनती शुरू हुई तो शुरुआती दो-ढाई घंटे कांग्रेस ने लीड बनाकर रखी. हालांकि 10 बजते-बजते तस्वीर बदल गई. बीजेपी ने लीड बनाई तो फिर बहुमत हासिल कर ही दम लिया.
हरियाणा में कांग्रेस की हार की तमाम वजह गिनाई जा रही हैं. पार्टी को करीब से समझने वाले लोग कह रहे हैं की जातीय समीकरण भारी पड़ा. खासकर जाट बनाम गैर जाट वोटर्स के चक्कर में कांग्रेस को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ. इसके अलावा अंदरूनी कलह की वजह से भी घाटा हुआ. कुमारी शैलजा की नाराजगी से दलित वोटर्स पार्टी से छिटक गए. राहुल गांधी ने भूपेंद्र हुड्डा को पूरा समय दिया और उनको फ्री हैंड दिया. जबकि कुमारी शैलजा को थोड़ा पीछे रखा. वो इतने आश्वस्त थे कि चुनाव के बीच अमेरिका चले गए. इसी बीच कुमारी शैलजा 14 दिनों तक नाराज रहीं.
कौन हैं सुनील कानूगोलू
सुनील कानूगोलू चुनावी रणनीतिकार हैं और साल 2022 से कांग्रेस के लिए काम कर रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उस वक्त कांग्रेस की प्रशांत किशोर के साथ बातचीत चल रही थी. जब बातचीत नहीं बन पाई तो कानूगोलू को चुनावी रणनीति का जिम्मा सौंपा गया. कर्नाटक विधानसभा चुनाव में उनकी रणनीति काम भी आई. इसके बाद पार्टी में उनका कद बढ़ता गया. कांग्रेस के सूत्र बताते हैं कि कानूगोलू ने ही राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ डिजाइन की थी. कानूगोलू और प्रशांत किशोर पूर्व सहयोगी रह चुके हैं. कानूगोलू साल 2009 में अमेरिका से भारत लौटे और फिर प्रशांत किशोर के साथ मिलकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए चुनावी कैंपेन डिजाइन किया.
इसके बाद 2014 में प्रशांत किशोर बीजेपी से अलग हो गए, जबकि सुनील बीजेपी के साथ ही बने रहे. 2017 में उन्होंने उत्तर प्रदेश में बीजेपी के लिए रणनीति बनाई. फिर 2019 आते उन्होंने डीएमके का काम संभाल लिया. 2020 में अकाली दल के साथ काम किया और 2021 के तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में AIADMK के साथ भी काम किया. उसr दौरान कांग्रेस के करीब आए और फिर आगे बढ़ते गए. जानकारी के मुताबिक मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस की रणनीति सुनील कानूगोलू ने ही बनाई थी. वहां झटका लगने के बावजूद सुनील पर कांग्रेस का भरोसा कायम रहा.
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FIRST PUBLISHED :
October 9, 2024, 16:06 IST