Last Updated:October 24, 2025, 16:19 IST
Sitaram Kesri: पीएम मोदी ने बेगूसराय में कांग्रेस पर हमला करते हुए सीताराम केसरी के अपमान और धोती खींचने की घटना का जिक्र किया. इस तरह पीएम मोदी ने सोनिया गांधी के नेतृत्व में बदलाव की साजिश उजागर की.
पीएम मोदी कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सीताराम केसरी के साथ हुए अनुचित व्यवहार का जिक्र करते हुए पार्टी पर निशाना साधा.Sitaram Kesri: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की अपनी दूसरी जनसभा में बेगूसराय में महागठबंधन पर खूब हमले किए. पीएम मोदी कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सीताराम केसरी के साथ हुए अनुचित व्यवहार का जिक्र करते हुए पार्टी पर निशाना साधा. पीएम मोदी ने कहा कि देश ने देखा है कि कांग्रेस ने सीताराम केसरी के साथ कैसा सलूक किया. सीताराम केसरी के बहाने पीएम मोदी ने यह आरोप लगाया कि पार्टी में सिर्फ एक परिवार के सदस्यों के हितों को प्राथमिकता दी गयी. केसरी 1996 से 1998 तक कांग्रेस अध्यक्ष रहे.
क्या है वह किस्सा?
सीताराम केसरी को जिस तरह से कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटाया गया था उसी को लेकर पीएम मोदी ने बेगूसराय जनसभा में कांग्रेस पर कड़ा प्रहार किया. दरअसल 1998 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद सोनिया गांधी को पार्टी की कमान सौंपने की मांग उठने लगी थी. मार्च 1998 में कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की एक बैठक में केसरी को इस्तीफा देने के लिए कहा गया ताकि सोनिया गांधी को अध्यक्ष बनाया जा सके. रिपोर्टों के अनुसार यह घटनाक्रम अत्यंत अपमानजनक रहा. कहा जाता है कि कांग्रेस मुख्यालय में केसरी को हटाने की प्रक्रिया के दौरान उन्हें कथित तौर पर एक कमरे में बंद कर दिया गया था ताकि वह सोनिया गांधी के कार्यभार संभालने में हस्तक्षेप न कर सकें. कुछ खबरों के अनुसार युवा कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा उनके साथ धक्का-मुक्की की गई और उनकी धोती भी खींच ली गई थी. इसके बाद उन्हें बेइज्जत करके कार्यालय से बाहर कर दिया गया था.
क्या हुआ राव के साथ
दरअसल 1991 में एक बदलाव देखने को मिला. कांग्रेस अध्यक्ष राजीव गांधी की सत्ता में वापसी के लिए प्रचार करते समय हत्या कर दी गई. उनकी पत्नी सोनिया गांधी ने कांग्रेस के वफादारों द्वारा पार्टी में शामिल होने के सभी दबावों का विरोध किया और राजनीति में आने से इनकार कर दिया. उनके बच्चे बहुत छोटे थे. अल्पमत वाली कांग्रेस सरकार सत्ता में आई और पी.वी. नरसिंह राव प्रधानमंत्री बने. अगले साल राव कांग्रेस अध्यक्ष बने. वह नेहरू-गांधी परिवार के बाहर प्रधानमंत्री के रूप में पांच साल का कार्यकाल पूरा करने वाले पहले व्यक्ति बने. 1996 के लोकसभा चुनावों में सोनिया ने कांग्रेस के लिए प्रचार नहीं किया. राव को वोट नहीं मिले और उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़ दिया.
केसरी बने कांग्रेस अध्यक्ष
यहीं से केसरी की शुरुआत हुई. उनका जीवन-चरित्र प्रभावशाली था. केसरी भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान बिहार कांग्रेस के युवा तुर्कों का हिस्सा थे. केसरी कई बार जेल गए. 1973 में वह बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और सात साल बाद अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के कोषाध्यक्ष बने और इस पद पर लंबे समय तक रहे. केसरी प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और राव के कार्यकाल में मंत्री रहे. कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में केसरी ने मुलायम सिंह यादव, कांशीराम, लालू यादव, रामविलास पासवान और नीतीश कुमार जैसे यूपी-बिहार के पिछड़ी जाति के नेताओं के साथ अपनी निकटता का प्रदर्शन किया. जल्द ही यह आशंका उभर आयी कि केसरी कांग्रेस का ‘मंडलीकरण’ कर रहे हैं और मंडल राजनीति के कारण हिंदी पट्टी में पहले से ही लोकप्रिय समर्थन खो रहे उसके उच्च जाति के नेताओं को भी पार्टी से बाहर कर दिया जाएगा.
सरकार से समर्थन वापस
हालांकि, केसरी के सबसे विवादास्पद निर्णयों में से एक था एचडी देवगौड़ा की संयुक्त मोर्चा सरकार से समर्थन वापस लेना. जिसके कारण 1997 में यह सरकार गिर गयी. हालांकि संयुक्त मोर्चे ने कांग्रेस के निरंतर समर्थन से आईके गुजराल को अपना नया प्रधानमंत्री चुना, लेकिन सोनिया के प्रति केसरी की अवज्ञा की कहानियां पहले से ही सोनिया को सुनाई जा रही थीं. नवंबर 1997 में राजीव गांधी की हत्या में षड्यंत्र के पहलू की जांच करने वाली जैन आयोग की रिपोर्ट का एक अंश प्रेस को लीक हो गया. खबर यह थी कि जैन आयोग ने डीएमके को हत्या में शामिल लिट्टे के साथ संबंधों के लिए दोषी ठहराया था. डीएमके के तीन सदस्य गुजराल के मंत्रिमंडल का हिस्सा थे. केसरी ने डीएमके के मंत्रियों को हटाने की मांग की, लेकिन प्रधानमंत्री गुजराल इससे सहमत नहीं हुए. कांग्रेस ने संयुक्त मोर्चा सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया.
सोनिया ने संभाला मोर्चा
1998 के लोकसभा चुनावों के दौरान एक बेहद असामान्य घटना घटी. पार्टी अध्यक्ष केसरी को उनके नेतृत्व के खिलाफ उठ रही आवाजों के बीच प्रचार से दूर रखा गया. उनकी जगह सोनिया गांधी मुख्य प्रचारक बन गईं. सोनिया ने भीड़ तो जुटाई, लेकिन कांग्रेस हार गई और उनके गुट ने केसरी को दोषी ठहराया और उन्हें पार्टी की कमान संभालने के लिए कहा. शरद पवार, जितेंद्र प्रसाद, एके एंटनी और प्रणब मुखर्जी जैसे नेताओं ने बैठकें शुरू कर दीं. कांग्रेस के प्रदर्शन का आकलन करने के लिए 5 मार्च, 1998 को कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक हुई और सोनिया से अपनी बात रखने का आग्रह किया. चार दिन बाद केसरी ने अपने इस्तीफे की घोषणा की, लेकिन जल्द ही उसे वापस ले लिया. हालांकि, वह ज्यादा समय तक पद पर नहीं रहे.
प्रणव के घर रची गयी साजिश
वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई के मुताबिक जब केसरी को हटाने के लिए तख्तापलट की साजिश रची गई. वो साजिश सोनिया गांधी के निवास 10 जनपथ पर नहीं, बल्कि तालकटोरा रोड पर प्रणब मुखर्जी के घर रची गई थी. जितेंद्र प्रसाद, के करुणाकरन, शरद पवार, अर्जुन सिंह और कांग्रेस वर्किंग समिति के लगभग सभी सदस्य केसरी से निजात पाना चाहते थे और उन्हें हटाने में इन सभी की भागीदारी रही. हालांकि ये भी सच है कि केसरी और उनके समर्थकों ने सोनिया को पार्टी में सक्रिय भूमिका निभाने से रोकने की हर तरह की कोशिश की थी. केसरी के एक करीबी ने एक प्रतिष्ठित अख़बार के कॉलम में लिखा था कि सोनिया को इस तरह की ओछी राजनीति करने की बजाय इटली वापस लौट जाना चाहिए और एक अच्छी नानी मां की भूमिका निभानी चाहिए. वो साजिश सोनिया गांधी के निवास 10 जनपथ पर नहीं, बल्कि तालकटोरा रोड पर प्रणब मुखर्जी के घर रची गई थी.
केसरी का सियासी जीवन
सीताराम केसरी (15 नवंबर 1919 – 24 अक्टूबर 2000) एक प्रमुख भारतीय राजनीतिज्ञ थे. वह 1996 से 1998 तक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष रहे. वह कम उम्र से ही भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल थे और 1930 से 1942 के बीच अपनी राजनीतिक गतिविधियों के लिए कई बार गिरफ्तार हुए. केसरी 1967 में कटिहार से लोकसभा के लिए चुने गए थे और 1971 से 2000 के बीच राज्यसभा में पांच कार्यकाल तक सेवा की. इसके अलावा वह एक दशक से अधिक समय तक कांग्रेस पार्टी के कोषाध्यक्ष रहे और 1997 में कांग्रेस संसदीय दल के अध्यक्ष बने.
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Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
October 24, 2025, 16:18 IST

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