Last Updated:October 25, 2025, 08:49 IST
Air India Flexi Contract: एयर इंडिया के नए ‘फ्लेक्सी कॉन्ट्रैक्ट’ मॉडल ने पायलट्स में बेचैनी बढ़ा दी है. जहां एयरलाइन इसे वर्क-लाइफ बैलेंस बताया है, वहीं पायलट्स का कहना है कि इससे उनकी सैलरी में 40% तक की कमी हो सकती है.
Air India Flexi Contract Model: एयर इंडिया अपने पायलट्स के लिए फ्लेक्सी कॉन्ट्रैक्ट मॉडल लाने की तैयारी है. इस नए मॉडल के तहत वाइडबॉडी पायलट्स को महीने में सिर्फ 15 दिन और नैरोबॉडी पायलट्स को 20 दिन काम करना होगा. माना जा रहा है कि एयर इंडिया ने यह कदम कॉस्ट कटिंग और बढ़ते पायलट्स के नंबर्स को मैनेज करने की कोशिश है. लेकिन इस मॉडल ने एयरलाइंन के भीतर लोगों की बेचैनी को बढ़ा दिया है और पायलट्स इस मॉडल को लेकर कई गंभीर सवाल खड़े कर रहे हैं.
एयरलाइन सोर्सेज के अनुसार, एयर इंडिया जनवरी से मार्च 2026 के बीच दो फेज में फ्लेक्सी कॉन्ट्रैक्ट मॉडल लागू करने की तैयारी में है. शुरुआत में बोइंग 787 और दिल्ली बेस्ड बोइंग 777 ऑपरेट करने वाले पायलट्स को इससे बाहर रखा जाएगा. पायलट्स का मानना है कि यह मॉडल कॉस्ट कटिंग का एक नया तरीका है. इस मॉडल के लागू होने से पायलट्स के वेतन में 40 फीसदी तक की कटौती हो सकती है. कुछ का तो डर यह भी है कि एयर इंडिया इस मॉडल को समय के साथ परमानेंट कर सकती है.
एयर इंडिया के सीनियर पायलट के अनुसार, इस मॉडल के तहत वाइडबॉडी पायलट्स को महीने में 15 दिन और नैरोबॉडी पायलट्स को 20 दिन काम मिलेगा. इसका मतलब है कि फ्लाइंग आवर्स और कम हो जाएंगे. प्री-कोविड टाइम में हम 90 घंटे उड़ते थे, जो प्राइवेटाइजेशन के बाद 50-55 घंटे रह गए हैं. फ्लेक्सी कॉन्ट्रैक्ट मॉडल लागू होने के बाद यह और भी कम हो जाएंगे.
एयरलाइन ने बताया वॉलंटरी ऑफर
एयर इंडिया ने इस डेवलपमेंट की पुष्टि करते हुए फ्लेक्सी कॉन्ट्रैक्ट मॉडल को वॉलंटरी ऑफर बताया है. एयरलाइंस के मुताबिक, यह ऑफर कुछ खास एयरक्राफ्ट टाइप्स ऑपरेट करने वाले पायलट्स के लिए है, ताकि वो कम वर्किंग डेज चुन सकें और अपनी पर्सनल लाइफ के लिए ज्यादा टाइम पा सकें. साथ ही पायलट्स चाहें तो वह अपने मौजूदा फुल वर्क शेड्यूल के साथ भी जारी रख सकते हैं.
मॉडल से खुश नहीं है अधिकतर पायलट
एयर इंडिया के ज्यादातर पायलट्स एयरलाइंस इस तर्क से खुश नहीं हैं. उनका कहना है कि यह मॉडल उनकी इनकम को कम कर देगा. नैरोबॉडी पायलट्स की सैलरी में 30 फीसदी तक कम हो जाएगी. वहीं, यूएस और कनाडा जैसे अल्ट्रा-लॉन्ग-हॉल फ्लाइट्स उड़ाने वाले वाइडबॉडी पायलट्स की सैलरी में 40 फीसदी तक की कटौती हो सकती है. पायलट्स का कहना है कि यह बस कॉस्ट कटिंग का बहाना है. अगर ये पायलट्स के लिए इतना अच्छा है, तो 15 दिन में 40 घंटे की पेमेंट क्यों नहीं दे देते? आधे महीने में 40 घंटे उड़ाना आसान है.
कैसा होता है पायलट्स की सैलरी का मॉडल
पायलट्स की सैलरी आमतौर पर तीन हिस्सों में होती है. पहला- बेसिक सैलरी, दूसरा- फ्लाइंग से अलग अलाउंस, और तीसरा- फ्लाइंग आवर अलाउंस. फ्लाइंग आवर अलाउंस के तहत हर घंटे की फ्लाइट के लिए पेमेंट मिलती है. एयरलाइंस आमतौर पर महीने में मिनिमम पेड आवर्स की गारंटी देती हैं. लेकिन इस नए वॉलंटरी स्कीम में मिनिमम गारंटी 40 घंटे से घटाकर 22 घंटे कर दी गई है, जिससे बेसिक सेलरी 45 फीसदी कम हो जाएगी. साथ ही, नए नियमों से वर्किंग डेज की लिमिट और सख्त हो जाएगी, जिससे एक्स्ट्रा फ्लाइंग आवर्स कमाने का मौका भी कम हो जाएगा. पायलट्स को शक इस बात का भी है कि ऑवरली अलाउंस का रेट भी कम हो सकता है, हालांकि अभी डिटेल्स क्लियर नहीं हैं.
एयर इंडिया फ्लीट और पायलट्स का मौजूदा हाल
संसद में साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, मार्च 2023 तक एयर इंडिया के पास 3280 पायलट्स थे. वहीं, एयरलाइन के पास 174 एयरक्राफ्ट्स का फ्लीट है, जिसमें 33 बोइंग 787 शामिल हैं. प्राइवेटाइजेशन के बाद एयर इंडिया ने बोइंग और एयरबस से सिंगल-एजल और वाइडबॉडी जेट्स का एक बड़ा ऑर्डर दिया, जो आने वाले सालों में डिलीवर होगा. अगले दस सालों में एयरलाइन को अपने एक्सपैंशन के लिए करीब 5,870 पायलट्स की जरूरत होगी.
एयर इंडिया को कितने पायलट्स की है जरूरत
इंडस्ट्री के स्टैंडर्ड्स के हिसाब से अलग-अलग एयरक्राफ्ट के लिए अलग-अलग संख्या में पायलट्स चाहिए होते हैं. इस लिहाज से एयरलाइंस को कुल हर प्लेन के हिसाब से 88 पायलट्स की जरूरत होगी. जिसमें…
ये गणना इस आधार पर है कि एयरक्राफ्ट पूरे महीने ऑपरेशनल रहें, पायलट्स को फ्लाइट्स के बीच पर्याप्त रेस्ट मिले, और वो रेगुलेटरी ड्यूटी लिमिट्स को पार न करें.
पायलट्स के सवाल और क्या है डर की वजह
पायलट्स का कहना है कि एयरलाइन का अप्रोच कॉन्ट्राडिक्टरी है. एक पायलट ने कहा कि एयरलाइंस हमें विदेश में जॉब लेने से रोक रही हैं, लेकिन साथ ही फ्लेक्सी कॉन्ट्रैक्ट्स ऑफर कर रही हैं, जो फ्लाइंग आवर्स और सैलरी कम करते हैं. अगर टर्म्स फ्लेक्सिबल किए जा रहे हैं, तो छह महीने का नोटिस पीरियड भी रीकंसिडर करना चाहिए. एक तरफ रेस्ट्रिक्शंस और दूसरी तरफ कॉम्प्रोमाइज, ये कैसे चलेगा?
एक अन्य पायलट ने सवाल उठाया कि क्या ये स्कीम बाद में अनिवार्य हो जाएगी. हम कहते हैं कि भारत में पायलट्स की कमी है, लेकिन यहां एक एयरलाइन के पास इतने पायलट्स हैं कि वो ऐसी स्कीम ला रही है. लगता है मैनेजमेंट ने जरूरत से ज्यादा पायलट्स हायर कर लिए हैं. भले ही इसे वॉलंटरी बताया जा रहा हो, लेकिन क्या गारंटी है कि ये मैनडेटरी नहीं होगा?
पहले से ‘Pay-as-you-fly’ स्कीम
एयर इंडिया ने पहले ही एक pay-as-you-fly स्कीम शुरू की थी, जिसमें पायलट्स को सिर्फ उनके फ्लाइट ऑवर्स के हिसाब से पेमेंट मिलता है. पायलट्स के अनुसार, यह सब कुछ ठीक नहीं लगता. पहले पे-एज-यू-फ्लाई, अब फ्लेक्सी कॉन्ट्रैक्ट. मैनेजमेंट का प्लान समझ नहीं आ रहा. एयरलाइन ने अपने इंटरनल कम्युनिकेशन में फ्लेक्सी कॉन्ट्रैक्ट को बेहतर वर्क-लाइफ बैलेंस और सपोर्टिव वर्क एनवायरनमेंट का हिस्सा बताया है. लेकिन पायलट्स का मानना है कि ये सिर्फ कॉस्ट कटिंग का एक तरीका है, जो उनकी फाइनेंशियल स्टेबिलिटी को नुकसान पहुंचा सकता है.
Anoop Kumar MishraAssistant Editor
Anoop Kumar Mishra is associated with News18 Digital for the last 6 years and is working on the post of Assistant Editor. He writes on Health, aviation and Defence sector. He also covers development related to ...और पढ़ें
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First Published :
October 25, 2025, 08:49 IST

3 hours ago
