हाइलाइट्स
क्या थे हरियाणा के गोहाना और मिर्चपुर कांड इससे बीजेपी ने दलितों को रिझाने का काम कियाराज्य में 21 फीसदी दलित वोटर, जो काफी अहम
Gohana & Mirchpur Incidents: भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने हरियाणा में वो कर दिखाया, जिसकी राजनीतिक विशेषज्ञों ने उम्मीद नहीं की थी. मतदान के बाद आए ज्यादातर एक्जिट पोल में कांग्रेस को बढ़त दिखाई गई थी. लेकिन बीजेपी ने एक्जिट पोल और तमाम चुनावी अनुमानों को ध्वस्त कर दिया. बीजेपी की हरियाणा में जीत की हैट्रिक लगना लगभग तय है. रुझानों में बीजेपी को लगभग 50 सीटों पर बढ़त मिलती दिख रही है. जबकि कांग्रेस महज 35 सीटों के आसपास सिमटती नजर आ रही है. बीजेपी ने यह कमाल नॉन जाट वोटों का ध्रुवीकरण करके किया.
इस साल मार्च में जब बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व को यह समझ आया कि अगर वो मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री बनाए रखती है तो उसकी हरियाणा में सत्ता में वापसी नामुमकिन है. शीर्ष नेतृत्व ने 13 मार्च को मनोहर लाल खट्टर का इस्तीफा दिलाकर शाम तक नायब सिंह सैनी को नया मुख्यमंत्री बना दिया. बीजेपी ने यह प्रयोग पहले भी कई राज्यों में किया था, जो कारगर रहा था. लेकिन हरियाणा में भी यह कदम सही साबित हुआ. नायब सिंह सैनी को ओबीसी चेहरे के तौर पर मुख्यमंत्री बनाया गया. मुख्यमंत्री बनते ही नायब सैनी ने लोकलुभावन योजनाओं के लिए खजाना खोल दिया. उन्होंने बीजेपी के प्रति एंटी-इनकंबेसी कम करने और मनोहर लाल खट्टर की गलतियों को सुधारने का काम किया.
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बीजेपी ने दलितों का दिल जीतने का किया काम
बीजेपी ने सबसे बड़ा काम ये किया कि उसने दलितों का दिल जीतने की कोशिश की और कामयाब भी रही. बीजेपी बताती रही कि कांग्रेस सरकार के दौरान दलितों के साथ कितना अन्याय होता था. उसने यह बताने का काम किया कि भूपिंदर हुड्डा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में ही 2005 में गोहाना और 2010 में मिर्चपुर कांड हुआ था. यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी जब हरियाणा में चुनाव प्रचार के लिए आए तो इस दौरान उन्होंने मिर्चपुर और गोहाना कांड का जिक्र किया था. इन दोनों कांड का जिक्र करने वाले वो अकेले बीजेपी के नेता नहीं थे. इसका जिक्र अमित शाह, मनोहर लाल खट्टर और मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी तक कर चुके थे. बीजेपी नेता इनका कांडों का जिक्र कांग्रेस को दलित विरोधी बताने के लिए करते रहे.
गोहाना में जला दिए थे दलितों के घर
गोहाना कांड भूपिंदर सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में 2005 में हुआ था. सोनीपत के गोहाना में अंतरजातीय हिंसा के एक मामले में दलितों के 50 घर जला दिए गए थे. इस मामले में जाट समुदाय के लोगों पर आरोप लगे थे. उस समय सामने आया था कि दलितों ने एक जाट युवक का कत्ल किया था. इस मामले में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने सभी 11 आरोपियों को बरी कर दिया था. बरी करने की वजह कोर्ट में कोई ठोस सबूत न होना और गवाहों का अपने बयान से पलट जाना रहा था. बीजेपी ने हरियाणा में चुनाव प्रचार के दौरान गोहाना कांड को मुद्दा बनाया.
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क्या हुआ था 2010 में मिर्चपुर में
मिर्चपुर गांव हरियाणा के हिसार जिले में स्थित है. इस गांव में 21 अप्रैल 2010 को वाल्मीकि समुदाय के लोगों के दर्जनों घरों को जमींदोज कर दिया गया था. प्रत्यक्षदर्शियों का कहना था हमलावर भीड़ ने वाल्मीकि समुदाय के घरों पर हमला किया और आग लगा दी. इस आग में एक बुजुर्ग और उनकी विकलांग बेटी की जलकर मौत हो गई थी. इसका आरोप जाट समुदाय के लोगों पर लगा था. यह मामला अदालत तक पहुंचा था. अदालत ने इस मामले में 20 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. अदालत का फैसला आने से पहले ही मिर्चपुर गांव से 125 से अधिक दलित परिवार पलायन कर गए थे. ये परिवार आज तक अपने गांव वापस नहीं आए हैं.
कांग्रेस को कमजोर करने में सफल
जिस समय मिर्चपुर कांड हुआ था, उस समय हरियाणा में कांग्रेस की सरकार थी. भूपेंद्र सिंह हुड्डा मुख्यमंत्री थे. इसलिए बीजेपी मिर्चपुर कांड की याद लोगों को दिला रही है. ताकि वो कांग्रेस की संभावनाओं को कमजोर कर सके. चुनाव से पहले माना जा रहा था कि अगर इस बार हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बनती है तो भूपेंद्र सिंह हुड्डा मुख्यमंत्री होंगे. बीजेपी की कोशिश कांग्रेस के संविधान और आरक्षण वाले नैरेटिव को कमजोर करने की थी. उसने कांग्रेस को दलित और आरक्षण विरोधी साबित करने की हर संभव कोशिश की और सफल रही. वो यह बताने में सफल रही कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा जाट हैं और अगर फिर मुख्यमंत्री बनते हैं तो दलित फिर इस दबंग समुदाय के निशाने पर होंगे.
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कितना मायने रखते हैं दलित वोटर
हरियाणा में दलितों की आबादी लगभग 21 फीसदी है. इसके अलावा राज्य में 17 विधानसभा सीटें आरक्षित हैं. वहीं, 35 ऐसी विधानसभा सीटें हैं, जिन पर दलित वोटर निर्णायक भूमिका में हैं. लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी को दलित वोटरों की नाराजगी की वजह से पांच सीटें गंवानी पड़ी थीं. इससे सबक लेते हुए बीजेपी दलितों को अपने पाले में लाने कोई भी मौका हाथ से नहीं जाने देना चाहती है. यही वजह है कि बीजेपी का छोटे से छोटा और बड़े से बड़ा नेता दलितों के मुद्दों को उठाने में लगा था.
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FIRST PUBLISHED :
October 8, 2024, 19:25 IST