Last Updated:December 06, 2025, 17:08 IST
IndiGo Sankat: दिल्ली से मुंबई, बेंगलुरु से चेन्नई तक, हर जगह इंडिगो की उड़ानें रद्द होने से देश के हवाई अड्डों पर प्रलय जैसा माहौल है. बेतरतीब पड़े सामानों के ढेर के बीच यात्री अपनी खोई उम्मीदें ढूंढ रहे हैं. हेल्प डेस्क पर भीड़, गरमा गरम बहस और फोन पर टूटी आवाजें इस गंभीर संकट की गवाही दे रही हैं. यह केवल यात्रा में देरी नहीं बल्कि हज़ारों यात्रियों की ज़िंदगी थम जाने का मार्मिक दृश्य है.

एक पल के लिए हवाई अड्डे का शोर, फ्लाइट की घोषणाएं और आस-पास रखे सूटकेस का ढेर सब थम जाता है. इस युवा महिला के लिए यह सिर्फ एक यात्रा में देरी नहीं है, यह एक गहरा मानसिक तनाव है जिसका सामना वह अकेले कर रही है. वह अपने सामान के बीच बैठी है. उसकी उंगलियां, थकी हुई आंखों को सहला रही हैं और उसका ध्यान फोन पर लगी उस आवाज पर है जो शायद उसे घर वापसी की कोई उम्मीद दे सके. उसकी निराशा साफ झलकती है.

यह तस्वीर दर्शाती है कि कैसे कॉर्पोरेट अव्यवस्था एक आम नागरिक के जीवन पर सीधा और गहन भावनात्मक बोझ डालती है. हर मिनट बीतने के साथ, उसके चेहरे पर चिंता की लकीरें गहरी होती जा रही हैं. इंडिगो की अबतक दो हजार से ज्यादा फ्लाइट या तो कैंसल हो चुकी हैं या फिर उन्हें डिले कर दिया गया.

बेंगलुरु के केम्पेगौड़ा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर यह दृश्य किसी प्रलय से कम नहीं है. इंडिगो की उड़ानें रद्द होने से उपजा यह मंजर बताता है कि यात्रियों की दुर्दशा कितनी बड़ी है. सामानों का एक विशाल, रंग-बिरंगा समंदर यहां फैला हुआ है और उसके बीच में पुंसे हुए सैकड़ों यात्री अपने खोए हुए या सही सामान की तलाश में हैं.लोग हताशा में चारों ओर अपने बैग ढूढ़ रहे हैं.
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यह सिर्फ बैगों का ढेर नहीं है. यह लोगों की छुट्टियों की योजनाएं, महत्वपूर्ण व्यावसायिक बैठकें और अपने प्रियजनों तक पहुंचने की तत्काल जरूरत है जो यहां बेतरतीब ढंग से पड़ी हैं. सामानों की यह अराजक व्यवस्था यात्रियों के मानसिक उथल-पुथल को दर्शाती है. सब कुछ नियंत्रण से बाहर है और उन्हें केवल खुद पर निर्भर रहना है ताकि वे इस संकट से उबर सकें.

यहां, एक छोटी-सी डेस्क पर घिरे ये लोग अपनी टूटती उम्मीदों को बचाना चाहते हैं. इंडिगो के स्टाफ से घेरकर खड़े इन यात्रियों के चेहरे पर आक्रोश और बेबसी साफ झलकती है. वे शायद अपने टिकटों, धनवापसी, या अगली उड़ान के बारे में पूछ रहे होंगे. सबके मन में एक ही सवाल है: "हम घर कब पहुंचेंगे?" कंप्यूटर स्क्रीन की नीली रोशनी उनके परेशान चेहरों पर पड़ रही है, जो इस अनिश्चित संकट में अंधेरे में एक छोटी सी किरण की तलाश का प्रतीक है.

एयरपोर्ट पर खड़ा यह शख्स काले रंग की हूडि और टोपी में ढका हुआ है, लेकिन उसकी आँखों की थकान को छुपाया नहीं जा सकता. सामने इंडिगो का बोर्ड है पर उसके लिए अब वह सेवा का वादा नहीं बल्कि परेशानी का प्रतीक है. वह शायद अपने परिवार को फोन करके देरी और अगले कदम की जानकारी दे रहा होगा. उसकी आवाज में थकावट और चिंता घुली हुई होगी क्योंकि अब उसकी यात्रा नहीं बल्कि एक समस्या बन गई है.

यात्री और इंडिगो कर्मचारी के बीच गरमा गरम बहस चल रही है. भीड़ गुस्से और हताशा से उबल नहीं पा रही है। हर कोई जल्द से जल्द समाधान चाहता है. यह दृश्य फंसे हुए यात्रियों के बढ़ते तनाव को दर्शाता है, जहाँ शांति बनाए रखना अब मुश्किल हो गया है. लोगों के इतने सवाल हैं लेकिन इंडिगो के कर्मचारियों के पास किसी का जवाब नहीं है.

ये तस्वीर चेन्नई एयरपोर्ट पर आरक्षण/टिकटिंग काउंटर के बाहर की है, जहां यात्रियों की भारी भीड़ है. वे किसी तरह अंदर पहुंचकर अपनी रद्द हुई उड़ानों का विकल्प चाहते हैं. काउंटर के पास धक्का-मुक्की का माहौल है, जो यात्री संकट की गंभीरता को दिखाता है। यहां उनकी सुनने वाला कोई नहीं.

यहां इंडिगो की उड़ानें रद्द होने से हवाई अड्डे पर भीषण अराजकता छा गई है. सैकड़ों यात्री गुस्से और हताशा में हेल्प डेस्क को घेरे हुए हैं. तस्वीरों में लोग कर्मचारी से तीव्र बहस करते, काउंटर पर झुककर अपनी अनिश्चित यात्रा का समाधान खोजते और फोन पर अपनी बेबसी बताते नजर आ रहे हैं. यह दृश्य बताता है कि एक एयरलाइन की विफलता ने यात्रियों की ज़िंदगियों को कैसे रोक दिया है.

एयरलाइन संकट का फायदा उठाकर मनमाने ढंग से बढ़ते किरायों पर सरकार ने सख्त नकेल कस दी है. फंसे हुए यात्रियों को बचाने के लिए अब हवाई यात्रा का किराया तय कर दिया गया है. सरकार ने किराए पर एक अधिकतम सीमा (Capping) लगाकर यह सुनिश्चित किया है कि यात्रियों को इस मुश्किल घड़ी में अत्यधिक भुगतान न करना पड़े, जिससे उन्हें बड़ी राहत मिली है.
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1 hour ago
