'खेल संघ बीमार संस्थाएं...' सुप्रीम कोर्ट ने कहा- इनमें खेल जैसा कुछ भी नहीं

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Last Updated:March 17, 2025, 19:21 IST

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि देश के सभी खेल संघ बीमार संस्थाएं हैं और उनमें खेलों को बढ़ावा देने के तौर- तरीकों की कमी है. सुप्रीम कोर्ट कहा कि पता नहीं वहां किस बात को लेकर संघर्ष चलता रहता है. ...और पढ़ें

'खेल संघ बीमार संस्थाएं...' सुप्रीम कोर्ट ने कहा- इनमें खेल जैसा कुछ भी नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देश के खेल संघ बीमार हो गए हैं. (Image:AP)

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र कुश्ती संघ की याचिका पर सुनवाई के दौरान देश में खेल संघों के मौजूदा हालात पर कड़ी नाराजगी जताई. जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस एन. कोटिस्वर सिंह की पीठ ने कहा कि ‘इन सभी खेल संघों में खेल जैसा कुछ नहीं है. सभी बीमार संस्थाएं हैं, हमें नहीं पता कि वे किसके लिए संघर्ष कर रहे हैं.’ इस टिप्पणी से सुप्रीम कोर्ट की खेल संघों के संचालन और प्रशासन पर बढ़ती चिंता जाहिर होती है. सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी इन संगठनों में राजनेताओं, रिटायर नौकरशाहों और रिटायर जजों के प्रभुत्व की आलोचना की है. सुप्रीम कोर्ट ने प्रशासनिक भूमिकाओं में वास्तविक खेल पृष्ठभूमि वाले लोगों को शामिल करने की वकालत की है.

सुप्रीम कोर्ट ने खेल संघों के चुनाव प्रक्रियाओं में शुद्धता, निष्पक्षता, स्वायत्तता और स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए कड़े उपाय लागू करने की जरूरत पर जोर दिया. सुप्रीम कोर्ट का यह बयान खेल संघों से जुड़े कई कानूनी विवादों के बाद आया है. पिछले दशक में भारतीय अदालतों में लगभग 770 खेल-संबंधी मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें से 200 से अधिक शासन मुद्दों से संबंधित हैं. उदाहरण के लिए, इस महीने की शुरुआत में दिल्ली हाईकोर्ट ने भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) के उस आदेश पर रोक लगा दी थी, जिसने भारतीय मुक्केबाजी महासंघ (BFI) को निलंबित कर दिया था. जिससे इन संगठनों के आंतरिक संघर्ष और शासन की चुनौतियों को उजागर किया गया.

खेल संघों में सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप नया नहीं है. 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) में भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन के आरोपों के बाद सुधारों की सिफारिश करने के लिए लोढ़ा समिति की नियुक्ति की थी. समिति की सिफारिशों ने BCCI के शासन ढांचे में महत्वपूर्ण बदलाव किए, जिसका उद्देश्य पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देना था. इन प्रयासों के बावजूद, विभिन्न खेल संघों में चुनौतियां बनी हुई हैं.

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सुप्रीम कोर्ट का हालिया बयान प्रगति की कमी और निजी हितों वाले व्यक्तियों द्वारा खेल संघों के निरंतर एकाधिकार पर निराशा को दिखाता है. सुप्रीम कोर्ट की सुधारों का अपील एथलीटों के कल्याण को प्राथमिकता देने और यह सुनिश्चित करने का प्रयास करती है कि खेल संघ ईमानदारी और भारत में खेल विकास के सर्वोत्तम हित में काम करें. सुप्रीम कोर्ट के साफ बयान खेल संघों के प्रशासन में व्यापक सुधारों की तत्काल जरूरत को उजागर करते हैं. वास्तविक खेल पृष्ठभूमि वाले व्यक्तियों की भागीदारी की वकालत करके और पारदर्शिता पर जोर देकर, सुप्रीम कोर्ट इन संगठनों को प्रभावित करने वाली प्रणालीगत समस्याओं को हल करना और देश में एक स्वस्थ खेल पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देना चाहता है.

Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

March 17, 2025, 19:21 IST

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