Last Updated:August 11, 2025, 12:15 IST
बिहार में गंगा नदी की बाढ़ ने पटना, बेगूसराय और भागलपुर में तबाही मचाई है. राहत कार्यों के बीच गिरिराज सिंह और राकेश सिन्हा की राजनीतिक सक्रियता बढ़ी है. क्या बेगूसराय में चुनावी माहौल गरमाया हुआ है?

पटना. बिहार में गंगा नदी के किनारे बसे इलाकों में भीषण बाढ़ आई हुई है। इस बाढ़ ने बेगूसराय, भागलपुर और पटना के दियारा इलाकों में भीषण तबाही मचाई है. पटना से लेकर बेगूसराय तक सैकड़ों गांव जलमग्न हो चुके हैं. हजारों परिवारों को अपने घर छोड़कर ऊंचे स्थानों पर शरण लेनी पड़ी है. प्रशासन की तरफ से खाने और रहने का बंदोबस्त किया जा रहा है. लेकिन बिहार चुनाव को देखते हुए नेताओं और अधिकारियों की दौड़ भी बाढ़ग्रस्त इलाकों में दिन-रात हो रही है. पटना में रामकृपाल यादव ने नाव से मोर्चा संभाल लिया है, वहीं बेगूसराय में पूर्व राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा भी गुमनामी से उबरकर सक्रिय हो गए हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद से सिन्हा फिर से बेगूसराय के राजनीति में पैठ जमाने लगे. राकेश सिन्हा की सक्रियता देखकर बेगूसराय के सांसद और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह भी बेगूसराय में डेरा डाल दिए हैं. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि राहत और बचाव कार्य के बीच नेता ‘दुख की राजनीति’ का खेल तो नहीं खेल रहे हैं?
गंगा के पानी ने जब दियारा के खेत-खलिहान निगल लिए तो पीड़ित जनता की मदद के नाम पर कई राजनीतिक नेता मैदान में उतर आए. केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने बेगूसराय के बाढ़ग्रस्त गांवों का दौरा करते हुए स्थानीय प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया. वहीं, राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने भी खुद को ‘दियारा का सपूत‘ बताते हुए राहत कार्यों को लेकर धरना प्रदर्शन पर भी बैठने की बात कर रहे हैं. दोनों नेताओं की गतिविधियों ने न केवल जनता बल्कि सियासी गलियारों का ध्यान भी आकर्षित किया है., बल्कि बेगूसराय में एक बार फिर से राकेश सिन्हा और गिरिराज सिंह के बीच राजनीतिक टकराव की चर्चाएं तेज हो गई हैं.
सिन्हा-गिरिराज में पुराना विवाद
बेगूसराय संसदीय सीट से वर्तमान सांसद गिरिराज सिंह का राकेश सिन्हा से पुराना छत्तीस का आंकड़ा है. पिछली बार 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले भी दोनों के बीच टिकट को लेकर तनातनी सामने आई थी. साल 2024 के लोकसभा चुनाव में भी सिन्हा को बेगूसराय से टिकट का दावेदार माना जा रहा था, लेकिन आखिरकार पार्टी ने गिरिराज सिंह पर भरोसा जताया. अब जब 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक हैं तो बाढ़ राहत के बहाने दोनों नेता एक बार फिर से जनता के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश में जुट गए हैं.
भाजपा के भीतर भी बढ़ी हलचल
गिरिराज सिंह और राकेश सिन्हा दोनों ही भूमिहार जाति से आते हैं और बीजेपी के कद्दावर नेता माने जाते हैं. लेकिन बेगूसराय में दोनों के बीच बढ़ती प्रतिस्पर्धा ने पार्टी नेतृत्व के लिए भी चिंता खड़ी कर दी है. संगठन के कुछ सूत्रों के अनुसार, दोनों नेताओं की गुटबाजी से स्थानीय कार्यकर्ता भ्रम में हैं और पार्टी को नुकसान हो सकता है. राजनीतिक रस्साकशी के बीच बाढ़ से त्रस्त जनता की उम्मीदें फिलहाल सरकार से नहीं, बल्कि वास्तविक राहत कार्यों से हैं. टूटे हुए बांध, जलजमाव, बीमारियां और राहत की कमी यही आम लोगों के असली मुद्दे हैं.
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क्या गिरिराज का विकल्प बनेंगे राकेश सिन्हा?
बिहार के दियारा इलाकों में गंगा नदी की उफनती लहरें एक बार फिर मौत और तबाही का पैगाम लेकर आई हैं. मानसून की भारी बारिश और ऊपरी इलाकों से आने वाले पानी के कारण गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया है, जिससे पटना, बेगूसराय समेत कई जिलों के दियारा क्षेत्रों में हाहाकार मच गया है. हजारों लोग बेघर हो गए हैं, फसलें बर्बाद हो चुकी हैं और गांव-गांव पानी में डूबे हुए हैं. लेकिन इस प्राकृतिक आपदा के बीच राजनीतिक हलचल भी तेज हो गई है. बिहार विधानसभा चुनाव की दहलीज पर खड़े प्रदेश में नेता अवसर का फायदा उठाने के लिए मैदान में कूद पड़े हैं. केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, सांसद रामकृपाल यादव और आरएसएस विचारक और पूर्व राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा जैसे नेता बाढ़ प्रभावित इलाकों में सक्रिय हो गए हैं, लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि क्या बेगूसराय में गिरिराज सिंह और राकेश सिन्हा के बीच पुरानी सियासी जंग फिर से भड़क उठी है?
First Published :
August 11, 2025, 12:15 IST