Last Updated:August 11, 2025, 19:08 IST
Bhupesh Baghel: सुप्रीम कोर्ट ने भूपेश बघेल की PMLA धारा 44 को चुनौती खारिज कर दी. कोर्ट ने कहा, गलत जांच पर हाई कोर्ट जाएं. कानून में खामी नहीं, समस्या एजेंसियों के दुरुपयोग से है.

छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) के ‘फर्दर इन्वेस्टिगेशन’ से जुड़े एक प्रावधान को चुनौती दी थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी इस मांग को स्वीकार करने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि अगर किसी को इस तरह की जांच में गड़बड़ी लगती है, तो वह सीधे अपने इलाके की हाई कोर्ट में जा सकता है.
बघेल ने क्या कहा था?
भूपेश बघेल की याचिका PMLA (मनी लॉन्ड्रिंग कानून) की धारा 44 में दिए गए एक स्पष्टीकरण के खिलाफ थी. इस स्पष्टीकरण के मुताबिक, अगर ED किसी केस में एक शिकायत दर्ज कर चुकी है, तो आगे की जांच में मिले नए सबूतों के आधार पर वह एक और शिकायत भी दर्ज कर सकती है. इसमें यह जरूरी नहीं है कि नए आरोपी का नाम पहले वाली शिकायत में हो.
बघेल का कहना था कि इस प्रावधान के जरिए ED एक ही मामले में टुकड़ों-टुकड़ों में अलग-अलग शिकायतें दर्ज करती रहती है. इससे केस लंबा खिंचता है, सुनवाई में देरी होती है और आरोपी का निष्पक्ष सुनवाई का हक प्रभावित होता है.
कोर्ट ने क्यों ठुकराई याचिका?
जस्टिस जॉयमाल्या बागची ने साफ कहा कि कानून में दिक्कत नहीं है, समस्या उसके गलत इस्तेमाल से है. उन्होंने कहा, “ये प्रावधान एक ‘सक्षम बनाने वाला’ प्रावधान है. समस्या कानून में नहीं, बल्कि एजेंसी द्वारा उसके दुरुपयोग में है.”
कोर्ट का मानना था कि अगर किसी केस में गलत तरीके से जांच हो रही है, तो आरोपी के पास हाई कोर्ट जाने का विकल्प है. यह संवैधानिक खामी नहीं है, बल्कि अलग-अलग मामलों में होने वाले दुरुपयोग का मुद्दा है.
‘सच्चाई तक पहुंचने से रोक नहीं सकते’
जस्टिस बागची ने कहा कि जांच हमेशा अपराध के आधार पर होती है, न कि केवल किसी एक आरोपी के खिलाफ. अगर आगे की जांच से सच सामने आता है, तो उस पर रोक नहीं लगाई जा सकती. जस्टिस सूर्यकांत ने भी यही कहा कि आगे की जांच आरोपी के हित में भी हो सकती है, क्योंकि इसमें यह भी साबित हो सकता है कि वह अपराध में शामिल नहीं है.
बघेल के वकील की दलील
सीनियर वकील कपिल सिब्बल और मुकुल रोहतगी ने कोर्ट में कहा कि इस प्रावधान के कारण ED बिना कोर्ट की अनुमति के कभी भी नए आरोपियों को जोड़ सकती है और सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल कर सकती है. इससे वे ‘डिफॉल्ट बेल’ के प्रावधान से बच जाते हैं.
सरकार ने क्या कहा?
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि बघेल के खिलाफ तो कोई केस ही नहीं है और न ही उन्हें किसी केस में बुलाया गया है. इस पर जस्टिस बागची ने पूछा कि अगर ऐसा है तो यह बात लिखित में क्यों नहीं कहते?
कई मामलों में राहत की मांग
यह याचिका बघेल के खिलाफ चल रहे कोल घोटाला, शराब घोटाला, महादेव बेटिंग ऐप, चावल मिलिंग और DMF घोटाले से जुड़े मामलों में अंतरिम राहत के लिए भी थी. कोर्ट ने कहा कि इन मामलों में वे हाई कोर्ट जा सकते हैं और हाई कोर्ट से जल्दी सुनवाई की अपील कर सकते हैं.
इसके साथ ही बघेल के बेटे चैतन्य बघेल की याचिका भी थी, जिसमें उन्होंने अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी थी और अंतरिम जमानत की मांग की थी. कोर्ट ने उन्हें भी हाई कोर्ट जाने की इजाजत दी.
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
August 11, 2025, 19:08 IST