गांधी परिवार के भरोसेमंद नहीं रहे दिग्विजय सिंह? पवन खेड़ा ने खारिज किया सुझाव

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Last Updated:December 28, 2025, 09:54 IST

दिग्विजय सिंह के आरएसएस और बीजेपी को लेकर किए गए पोस्ट ने कांग्रेस के भीतर हलचल मचा दी. हालांकि पवन खेड़ा ने उनके बयान को सिरे से खारिज कर दिया है. इससे अब सवाल उठ रहा है कि क्या दिग्विजय अब गांधी परिवार के भरोसेमंद नहीं रहे?

गांधी परिवार के भरोसेमंद नहीं रहे दिग्विजय सिंह? पवन खेड़ा ने खारिज किया सुझावकांग्रेस के मीडिया सेल के प्रमुख पवन खेड़ा ने आरएसएस-बीजेपी को लेकर दिग्विजय सिंह की कही बात को खारिज किया है.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह के आरएसएस और बीजेपी को लेकर किए गए हालिया पोस्ट ने पार्टी के भीतर हलचल मचा दी है. कांग्रेस नेतृत्व ने उनके बयान और सुझावों से साफ तौर पर दूरी बना ली है. कांग्रेस के मीडिया विभाग के चेयरमैन पवन खेड़ा ने दिग्विजय सिंह की टिप्पणी को खारिज करते हुए कहा कि आरएसएस जैसे संगठन गांधी के विचारों पर चलने वाली कांग्रेस को सीख देने की स्थिति में नहीं हैं.

पवन खेड़ा ने दो टूक शब्दों में कहा कि कांग्रेस एक आंदोलन से निकली पार्टी है, जिसकी जड़ें स्वतंत्रता संग्राम और गांधीवादी विचारधारा में हैं, जबकि आरएसएस एक ऐसा संगठन है जो समाज पर अपनी विचारधारा जबरदस्ती थोपने में विश्वास रखता है. उन्होंने कहा, ‘गोडसे का संगठन गांधी के संगठन को यह नहीं सिखा सकता कि संगठन कैसे चलता है. कांग्रेस की अपनी परंपरा, संघर्ष और वैचारिक विरासत है.’

आरएसएस-बीजेपी पर पवन खेड़ा का प्रहार

पवन खेड़ा ने स्पष्ट किया कि कांग्रेस किसी भी तरह से आरएसएस या बीजेपी की कार्यशैली से प्रभावित नहीं है और न ही उसे वहां से सीख लेने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस लोकतांत्रिक मूल्यों, समावेशिता और जन आंदोलन की राजनीति में विश्वास रखती है, जबकि आरएसएस की राजनीति समाज को बांटने वाली है.

खेड़ा की यह प्रतिक्रिया ऐसे समय आई है, जब दिग्विजय सिंह ने सोशल मीडिया पर आरएसएस और बीजेपी की संगठनात्मक ताकत को लेकर पोस्ट किया था और उसे एक उदाहरण के तौर पर पेश किया था. दिग्विजय सिंह ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 1990 के दशक की एक ब्लैक एंड व्हाइट फोटो ‘एक्स’ पर शेयर की थी. उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा, ‘क्वोरा साइट पर मुझे यह चित्र मिला. बहुत ही प्रभावशाली है. किस प्रकार आरएसएस का जमीनी स्वयंसेवक और जनसंघ/ भाजपा का कार्यकर्ता नेताओं के चरणों में फर्श पर बैठकर प्रदेश का मुख्यमंत्री और फिर देश का प्रधानमंत्री बना. यह संघटन की शक्ति है.’

इस विवाद पर क्या बोले दिग्विजय सिंह?

दिग्विजय सिंह की इस पोस्ट को प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ के तौर पर भी देखा गया. हालांकि बाद में जब दिग्विजय सिंह की बात पर विवाद हुआ तो उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि वह आरएसएस और केंद्र सरकार की नीतियों का ‘घोर विरोधी थे, हैं और रहेंगे.’ उन्होंने कहा कि उन्होंने बस संगठन की तारीफ की है.

हालांकि दिग्विजय सिंह के बयान से दूरी बनाकर कांग्रेस नेतृत्व ने यह संकेत दे दिया है कि पार्टी की वैचारिक दिशा और रणनीति सामूहिक फैसलों से तय होती है, न कि किसी एक नेता की व्यक्तिगत राय से. राजनीतिक गलियारों में यह सवाल भी उठने लगा है कि क्या दिग्विजय सिंह अब गांधी परिवार और शीर्ष नेतृत्व की सोच के अनुरूप नहीं माने जा रहे हैं.

ऐसे में यह भी सवाल बना हुआ है कि क्या दिग्विजय सिंह के सुझावों को खारिज कर कांग्रेस अपने संगठनात्मक संकट से उबर पाएगी, या पार्टी को आत्ममंथन की और जरूरत है. फिलहाल, कांग्रेस नेतृत्व ने स्पष्ट कर दिया है कि सुधार का रास्ता आरएसएस की तारीफ या तुलना से नहीं, बल्कि अपनी मूल विचारधारा और जनसंघर्ष की राजनीति से होकर ही निकलेगा.

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Saad Omar

An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...और पढ़ें

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New Delhi,Delhi

First Published :

December 28, 2025, 09:54 IST

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