सफलता के शिखर तक पहुंचना बहुत मुश्किल होता है. उससे भी ज्यादा मुश्किल होता है उस शिखर पर ठहरे रहना. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राजनैतिक कामयाबी की बात करें, तो यह तथ्य हैरत में डालता है कि सात अक्टूबर, 2024 को उन्होंने सत्ता के शिखर पर रहते हुए 23 साल पूरे कर लिए हैं. सात अक्टूबर, 2001 को उन्होंने गुजरात में मुख्यमंत्री का पद संभाला था. तब से लेकर आज तक उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा. यह तय है कि वर्ष 2029 तक वे भारत के प्रधानमंत्री पद पर बने रहेंगे. इस तरह उनका कम से कम 28 साल तक लगातार सत्ता के शिखर पर बने रहने का रिकॉर्ड शायद ही कोई राजनेता तोड़ पाए.
लोकतांत्रिक राज-व्यवस्था में किसी राजनेता के लिए यह सम्मान हासिल करना पार्टीगत कामयाबी तो है ही, लेकिन नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व और कृतित्व के निजी सामर्थ्य को भी इसका श्रेय देना होगा. राजनीति में जो भी आता है, वह मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री के पद तक पहुंचने के सपने जरूर देखता है और उसे ऐसे सपने देखने भी चाहिए. देश के राजनैतिक इतिहास में राज्यों और केंद्र में शीर्ष पद पर संयोगवश पहुंचे कई राजनेताओं के नाम आपको याद होंगे, लेकिन वे लंबे समय तक सत्ता के शिखर पर बने नहीं रह सके. लेकिन मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी का 23 साल का सफर किसी संयोग की वजह से नहीं पूरा हुआ है, हम यह दावे के साथ कह सकते हैं.
दुनिया भारत के दबदबे की कायल
विपक्षी पार्टियां कितना भी अरण्यरोदन करें, लेकिन सच्चाई यही है कि पूरी दुनिया नरेंद्र मोदी के शासन काल में भारत के दबदबे की कायल है. जिस समय दुनिया में दो बड़े बहुआयामी युद्ध लड़े जा रहे हैं, पूरी दुनिया के नेता नरेंद्र मोदी की क्षमताओं से उम्मीद कर रहे हैं कि वे ही शांति बहाली के लिए निर्णायक पहल कर सकते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भारत से अगर यह उम्मीद की जा रही है, तो यह अकारण नहीं हो सकता.
भारत दुनिया का कोई ताकतवर हथियारबंद दादा नहीं है, बल्कि वसुधैव कुटुम्बकम् के सर्व समावेशी विचार वाला सबसे बड़ा लोकतंत्र है. हम विविधता में सामंजस्य वाले देश के सर्वश्रेष्ठ उदाहरण हैं. हमने कभी विस्तारवादी रवैया अख्तियार नहीं किया. हमने किसी देश की जमीन छीनने या उसे अपने अधीन करने का प्रयास नहीं किया. लेकिन हम पूरी दुनिया को यह स्पष्ट संदेश देने में कामयाब जरूर हुए हैं कि अगर हमें छेड़ा गया, तो हम भी छोड़ने वाले नहीं हैं. दुनिया में यह संदेश जितनी सार्थकता से नरेंद्र मोदी के शासन काल में गया है, उतना पहले कभी नहीं गया था. आजादी के बाद करीब साढ़े पांच दशक तक कांग्रेस के शासन के दौरान वह संभव नहीं हो पाया, जो मोदी के नेतृत्व में एनडीए के करीब 11 साल के शासन काल में हुआ है.
आत्मनिर्भरता की ओर ठोस कदम
इन करीब 11 वर्षों में भारत ने आत्मनिर्भरता की ओर कई ठोस कदम उठाए हैं. सैन्य साज-ओ-सामान के मामले में भारत 90 से ज्यादा देशों को सामग्री निर्यात कर रहा है. करीब 200 से ज्यादा युद्धक सामग्रियों का आयात पूरी तरह खत्म कर दिया गया है. संयुक्त राष्ट्र के ढांचे में सुधार की जितनी मुखर वकालत भारत अब कर पा रहा है, पहले कभी ऐसा नहीं हो पाया. वैश्विक पर्यावरण और ब्रह्मांड के अस्तित्व के लिए जरूरी दूसरे सभी बड़े सकारात्मक मुद्दों और मसलों में भारत से विश्व की उम्मीद बहुत ज्यादा बढ़ती जा रही है. साथ ही मोदी काल में दुनिया भर में रह रहे भारतवंशियों की ऊर्जा नए सिरे से बढ़ी है.
मौजूदा सदी की सबसे बड़ी समस्या पर गौर करें, तो कह सकते हैं कि वह कोविड-19 महामारी ही हो सकती है. दुनिया में सबसे बड़े ताकतवर कहे जाने वाले देशों में उस दौरान क्या हालत थी, किसी से छिपा नहीं है. लेकिन भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की देख-रेख में कोविड-19 का जो असरदार प्रबंधन किया गया, उसकी मिसाल मिलनी मुश्किल है. दुनिया आज भी इस बात का आभार मानती है कि न सिर्फ भारत में कोविड-19 के दौरान दुनिया के मुकाबले हालात बेहद खराब नहीं हो पाए, बल्कि भारत ने पूरी दुनिया में कोविड के टीके भेजने में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की.
पहले हमारे पास जय जवान – जय किसान जैसे चंद उद्घोष ही थे, लेकिन अब स्वच्छ भारत मिशन, सबका साथ–सबका विकास–सबका विश्वास, बेटी बचाओ–बेटी पढ़ाओ, जल है-तो कल है, खेलो इंडिया, एक भारत–श्रेष्ठ भारत, एक पेड़ मां के नाम, वोकल फॉर लोकल, जय जवान–जय किसान–जय विज्ञान–जय अनुसंधान, आत्मनिर्भर भारत और हर घर तिरंगा जैसे बहुत सारे उद्घोष हैं. ये सिर्फ नारे भर नहीं हैं, बल्कि इनको अमली जामा भी पहनाया जा रहा है.
दूरगामी पहल
सात अक्टूबर, 2001 को जब नरेंद्र मोदी पहली बार गुजरात के मुख्यमंत्री बने, तो उन्होंने कई दूरगामी पहल शुरू की थीं. ऐसी ही एक पहल थी जल मंदिर की अवधारणा. इसके तहत गुजरात में पारंपरिक जल स्रोतों, निकायों, खास कर बावड़ियों का जीर्णोद्धार बड़े पैमाने पर कराया गया. जब वे प्रधानमंत्री बने, तो दूसरे कार्यकाल में पहली बार जल शक्ति मंत्रालय बनाया गया. भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन पाया, तो इसका श्रेय मोदी की दृष्टि को ही दिया जाना चाहिए. उनके शासन काल में खेलों के अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों में भारत के पदकों की संख्या में भी अच्छा खासा इजाफा हुआ है.
सात अक्टूबर, 2001 को मोदी गुजरात के 14वें मुख्यमंत्री बनाए गए थे. फिर 22 दिसंबर, 2002 को उन्हें दूसरी बार सीएम पद पर बैठाया गया. इसके बाद वे तीसरी बार 25 दिसंबर, 2007 गुजरात के सीएम बने. उन्होंने 26 दिसंबर, 2012 को चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. नरेंद्र मोदी 12 साल से ज्यादा तक गुजरात के अब तक सबसे ज्यादा वक्त तक मुख्यमंत्री रहे. इसके बाद 26 मई, 2014 को उन्होंने देश के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली. 30 मई, 2019 को वे दूसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने. गत नौ जून, 2024 को उन्होंने तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली.
(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए News18Hindi उत्तरदायी नहीं है.)
ब्लॉगर के बारे में
रवि पाराशरवरिष्ठ पत्रकार
लेखक वरिष्ठ पत्रकार और साहित्यकार हैं. नवभारत टाइम्स, ज़ी न्यूज़, आजतक और सहारा टीवी नेटवर्क में विभिन्न पदों पर 30 साल से ज़्यादा का अनुभव रखते हैं. कई विश्वविद्यालयों में विज़िटिंग फ़ैकल्टी रहे हैं. विभिन्न विषयों पर राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार में शामिल हो चुके हैं. ग़ज़लों का संकलन ‘एक पत्ता हम भी लेंगे’ प्रकाशित हो चुका है।