Last Updated:December 29, 2025, 13:00 IST
मान्यता है कि यहां खेतों में बिना बीज बोए पूरे साल सरसों उगती रहती है. चम्बा. हिमाचल प्रदेश का चम्बा जिला यूं ही शिव भूमि के नाम से प्रसिद्ध नहीं है. यहां की ऊंची-ऊंची पहाड़ियों पर देवी-देवताओं का वास माना जाता है. जिले में सैकड़ों प्राचीन मंदिर हैं, जिनसे लोगों की गहरी आस्था जुड़ी है और हर मंदिर के पीछे कोई न कोई पौराणिक कथा छिपी हुई है. ऐसी ही एक अद्भुत और रहस्यमयी कथा चम्बा जिले की चुराह विधानसभा क्षेत्र की जुआंस पंचायत के सुईला गांव से जुड़ी हुई है.यह गांव मैहल नाग देवता की विशेष कृपा के लिए जाना जाता है.
मान्यता है कि यहां खेतों में बिना बीज बोए पूरे साल सरसों उगती रहती है. चाहे मक्की की खेती हो, गेहूं या मटर की बुवाई—हर फसल के साथ सरसों का साग अपने आप उग आता है. यह चमत्कार सदियों से चला आ रहा है.
जब न्यूज़18 की टीम को इस अनोखी मान्यता की जानकारी मिली, तो टीम चम्बा मुख्यालय से करीब 100 किलोमीटर दूर जुआंस गांव पहुंची और वहां से करीब 5 किलोमीटर पैदल सफर तय कर सुईला गांव पहुंची.गांव में कदम रखते ही जो दृश्य नजर आया, वह सचमुच हैरान करने वाला था. खेत, गलियां, घरों के पिछवाड़े, हर ओर पीली सरसों लहराती हुई दिखाई दी.सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि सुईला गांव से कुछ ही दूरी पर स्थित अन्य गांवों में सालभर सरसों नहीं उगती. वहां सरसों केवल मौसम में ही बोई जाती है, जबकि सुईला गांव में लोग पूरे साल सरसों का साग खाते हैं और आसपास के गांवों के लोग भी यहां से साग ले जाते हैं.
बुजुर्गों ने बताई चमत्कार के पीछे की कहानी
कई सदियों पुरानी कथाइस चमत्कार के पीछे की कहानी गांव के 100 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्गों ने साझा की. बुजुर्गों की बातों को उनके पोते सोहनलाल ने सरल भाषा में समझाया. कथा के अनुसार, कई वर्ष पहले इस गांव में एक बुजुर्ग महिला अपने सात बेटों के साथ रहती थी. एक दिन खेतों में काम करने के बाद वह घर में खाना बनाते हुए सो गई. स्वप्न में उसे मैहल नाग देवता ने दर्शन दिए और बताया कि चुनोड़ नामक स्थान पर अंजनी माता की गुफा में उनकी दिव्य मूर्ति स्थित है. नाग देवता ने निर्देश दिया कि उस मूर्ति को गांव लाकर मंदिर स्थापित किया जाए, जिससे गांव पर सदा देव कृपा बनी रहे.अगली सुबह बुजुर्ग महिला चुनोड़ पहुंची, जहां गुफा के पानी में तैरती हुई मूर्ति मिली. उसने मूर्ति को टोकरी में रखकर पीठ पर उठाया और गांव की ओर चल पड़ी. रास्ते में उसने दो स्थानों पर विश्राम किया—आज उन दोनों जगहों पर छोटे मंदिर बने हैं, जहां हर वर्ष पूजा होती है.जब वह गुईला नामक स्थान पर पहुंची, तो मूर्ति अचानक भारी हो गई. उसे स्वप्न की बात याद आई और उसने वहीं मूर्ति स्थापित कर दी. तभी आकाशवाणी हुई—नाग देवता ने वरदान मांगने को कहा.
बुजुर्ग महिला ने तीन वरदान मांगे थे
बुजुर्ग महिला ने तीन वरदान मांगे थे. कहा था कि उसके वंश की वृद्धि होगांव के लोगों को गले की बीमारी (स्थानीय भाषा में गिल्लड़) से मुक्ति मिलेगांव में कभी साग-सब्जी और रोटी की कमी न होनाग देवता ने तुरंत आशीर्वाद दिया. तभी से सुईला गांव में खेतों में बिना बोए सरसों उगने लगी, गले की बीमारी दूर हो गई और गांव में कभी भोजन की कमी नहीं पड़ी.
मैहल नाग की दूसरी कथागांव के पुजारी टेक चंद और उनके 100 वर्षीय पिता ने एक और कथा साझा की. मान्यता है कि एक बार दिल्ली से आया गुर्जर नामक पिशाच मैहल नाग के मुर्गे और गांव के ऊपर स्थित पहाड़ी में मौजूद सोने पर कब्जा करना चाहता था. मैहल नाग और पिशाच के बीच भीषण युद्ध हुआ.नाग देवता की कृपा से वहां भयंकर ओलावृष्टि और बारिश हुई, जिससे पिशाच की पूरी सेना नष्ट हो गई. इसके बाद पहाड़ी पर एक विशाल झील बन गई, जो आज भी मौजूद है. हर साल नाग पंचमी के अवसर पर सावन-भादो में लोग वहां स्नान के लिए जाते हैं.
आज भी कायम है आस्था
आज गुईला स्थान पर स्थापित मैहल नाग मंदिर में लोग श्रद्धा के साथ पूजा-अर्चना करते हैं. मान्यता है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई मनोकामनाएं पूरी होती हैं.सदियों बाद भी मैहल नाग देवता की कृपा से सुईला गांव में सालभर सरसों लहराती रहती है, जो आस्था, परंपरा और प्रकृति के अद्भुत संगम का प्रतीक है.
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Vinod Kumar Katwal, a Season journalist with 14 years of experience across print and digital media. I have worked with some of India’s most respected news organizations, including Dainik Bhaskar, IANS, Punjab K...और पढ़ें
Location :
Chamba,Chamba,Himachal Pradesh
First Published :
December 29, 2025, 13:00 IST

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