नई दिल्ली. विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर ने मंगलवार को बर्लिन में कहा कि भारत ने ‘चीन से व्यापार के लिए अपने दरवाजे बंद नहीं किए हैं”, लेकिन मुद्दा यह है कि देश किन क्षेत्रों में बीजिंग के साथ व्यापार करता है और किन शर्तों पर. परमाणु हथियारों से संपन्न एशियाई दिग्गजों के बीच संबंध तब से तनावपूर्ण हैं, जब 2020 में 14-15 जून की रात को पूर्वी लद्दाख के गलवान में चीन के सैनिकों (पीएलए) के साथ हिंसक झड़प में 20 जवान शहीद हो गए थे. कई रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि इस संघर्ष में चीनी सैनिक भी काफी संख्या में हताहत हुए थे.
इस हिंसक घटना के बाद भारत ने चीनी कंपनियों से होने वाले निवेश की जांच कड़ी कर दी और प्रमुख परियोजनाओं को रोक दिया. हालांकि, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सहित सरकारी अधिकारियों ने हाल ही में देश में अधिक चीनी निवेश की अनुमति देने के सुझावों का समर्थन किया है. जुलाई में जारी लेटेस्ट वार्षिक आर्थिक सर्वेक्षण से पता चलता है कि अपने वैश्विक निर्यात को बढ़ावा देने के लिए भारत या तो चीन की सप्लाई चेन में समा सकता है या चीन से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को बढ़ावा दे सकता है.
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FIRST PUBLISHED :
September 10, 2024, 18:27 IST