नई दिल्ली (MBBS Abroad). विदेश से एमबीबीएस करने के इच्छुक लाखों भारतीय छात्र चीन का रुख करते हैं. लेकिन उनके लिए भारत में प्रैक्टिस कर पाना आसान नहीं है. भारतीयों के बीच चीन के मेडिकल कॉलेज अक्सर ही चर्चा का विषय रहते हैं. लेकिन हाल के दिनों में चीन से मेडिकल की पढ़ाई करके लौटे कुछ डॉक्टर आतंकी गतिविधियों में लिप्त पाए गए. हरियाणा के मेवात से बीती रात 3 डॉक्टरों को हिरासत में लेकर गहन पूछताछ की जा रही है, जिससे इलाके में हड़कंप मच गया है.
इन तीनों डॉक्टरों का संबंध अल फलाह यूनिवर्सिटी से बताया जा रहा है. मामले की जड़ में सुन्हेड़ा गांव के रहने वाले डॉ. मुस्तकीम हैं, जिन्होंने MBBS की पढ़ाई चीन से पूरी की थी. फिर अल फलाह यूनिवर्सिटी से 1 साल इंटर्नशिप की. यह घटनाक्रम विदेश से लौटे मेडिकल ग्रेजुएट्स की प्रमाणिकता पर भी सवाल खड़ा करता है. पुलिस सूत्रों के अनुसार, डॉ. मुस्तकीम की अल फलाह के ही डॉ. उमर मोहम्मद से लगातार बातचीत होती थी. पुलिस और जांच एजेंसियों को दोनों डॉक्टरों के बीच हुई संदिग्ध चैट भी मिली है.
संदेह के घेरे में विदेशी डिग्री
यह मामला उन सभी भारतीय छात्रों के लिए एक उदाहरण है, जो चीन जैसे देशों से मेडिकल की डिग्री लेकर आते हैं. भारत सरकार और नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) ने स्पष्ट नियम बनाए हैं कि विदेश से मेडिकल ग्रेजुएट होने के बाद भी भारत में इंटर्नशिप या नौकरी प्राप्त करने के लिए कुछ अनिवार्य चरणों का पालन करना जरूरी है. यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि सभी डॉक्टर, चाहे उनकी डिग्री कहीं से भी हो, भारत के स्वास्थ्य मानकों पर खरे उतरें.
भारतीय चीन से एमबीबीएस कैसे कर सकते हैं?
चीन से एमबीबीएस करने के लिए भारतीय छात्रों को उन मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन लेना होता है, जो NMC (नेशनल मेडिकल कमीशन) की अप्रूव्ड लिस्ट में शामिल हों और अंग्रेजी माध्यम में कोर्स कराते हों.
पात्रता: छात्र को 10+2 (पीसीबी) कम से कम 50% अंकों के साथ उत्तीर्ण होना चाहिए. साथ ही नीट परीक्षा में क्वॉलिफाई करना भी अनिवार्य है.
अवधि: चीन में एमबीबीएस कोर्स की अवधि आमतौर पर 6 साल होती है, जिसमें 5 साल की शैक्षणिक पढ़ाई और 1 साल की अनिवार्य इंटर्नशिप शामिल होती है. हालांकि, NMC के नियमों के तहत, यह डिग्री 10 साल के अंदर पूरी करना जरूरी होता है.
चीन से एमबीबीएस के बाद भारत में इंटर्नशिप या प्रैक्टिस कैसे करें?
चीन से मेडिकल की डिग्री हासिल करने वाले स्टूडेंट्स को भारत में प्रैक्टिस करने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना होता है. एनएमसी ने इसके लिए कई नियम बनाए हैं:
1. FMGE/NExT परीक्षा पास करना
भारत में इंटर्नशिप शुरू करने के लिए विदेश से लौटे छात्रों को फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जामिनेशन (FMGE) पास करना अनिवार्य है. हालांकि, अब इस परीक्षा को जल्द ही नेशनल एग्जिट टेस्ट (NExT) से रिप्लेस किए जाने की संभावना है. यह स्क्रीनिंग टेस्ट सभी विदेशी और भारतीय मेडिकल ग्रेजुएट्स के लिए अनिवार्य होगा. इस परीक्षा को पास करने पर ही छात्र को प्रोविजनल रजिस्ट्रेशन मिलता है.
2. अनिवार्य रोटेटरी इंटर्नशिप (CRMI)
प्रोविजनल रजिस्ट्रेशन मिलने के बाद छात्रों को भारत में NMC की लिस्ट में शामिल किसी हॉस्पिटल में 1 साल की अनिवार्य रोटेटरी इंटर्नशिप (CRMI) पूरी करनी होती है. चीन या विदेश में की गई इंटर्नशिप भारत में मान्य नहीं होती है. उदाहरण के लिए, डॉ. मुस्तकीम ने चीन से MBBS के बाद अल फलाह यूनिवर्सिटी से इंटर्नशिप की थी, जो कानूनी ढांचे के तहत भारतीय अस्पतालों में इंटर्नशिप पूरी करने की आवश्यकता पर जोर देता है.
3. भारत में प्रैक्टिस के नियम
भारत में 1 साल की अनिवार्य इंटर्नशिप सफलतापूर्वक पूरी करने के बाद ही डॉक्टर को स्थायी पंजीकरण (Permanent Registration) प्रदान किया जाता है. इसके बाद डॉक्टर भारत में स्वतंत्र रूप से प्रैक्टिस करने, सरकारी या निजी अस्पतालों में जॉब के लिए आवेदन करने या पोस्ट-ग्रेजुएशन मेडिकल कोर्सेस की तैयारी करने के लिए योग्य माने जाते हैं.
विदेश से एमबीबीएस करने के बाद भारत में डॉक्टरी का दरवाजा केवल NExT/FMGE पास करने और उसके बाद भारत में अनिवार्य इंटर्नशिप पूरी करने से ही खुलता है.

2 hours ago
