छोटी सी कंफ्यूजन... स‍िंघवी की दलीलों का, चुन-चुनकर योगी सरकार ने द‍िया जवाब

1 month ago

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड सरकार द्वारा जारी निर्देशों पर अपने अंतरिम आदेश को बढ़ा दिया है. जिसमें कांवड़ यात्रा के दौरान भोजनालयों को मालिकों और कर्मचारियों को नेमप्लेट लगाने का आदेश दिया गया था. न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की पीठ ने कहा कि वह 22 जुलाई के आदेश पर कोई स्पष्टीकरण जारी नहीं करेगी. हम किसी को भी नाम बताने के लिए बाध्य नहीं कर सकते. यदि आवश्यक हो तो दुकानदार कांवड़ मार्ग पर उपलब्ध भोजन के प्रकारों के बारे में बता सकते हैं कि वे किस तरह का भोजन परोस रहे हैं, जैसे कि वे शाकाहारी है या मांसाहारी.

इसके अलावा सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में उत्तर उत्तराखंड सरकार को एक हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा. कोर्ट ने उत्तराखंड और मध्य प्रदेश को जवाब दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय दिया है और अगली सुनवाई दो सप्ताह में तय की है. यूपी सरकार ने शुक्रवार को कोर्ट में दाखिल हलफनामे में अपने निर्देश का बचाव किया. उत्तर प्रदेश सरकार ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकान मालिकों के नाम प्रदर्शित करने के संबंध में अपने निर्देश को चुनौती देने वाली याचिकाओं का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया था. अपने हलफनामे में यूपी सरकार ने कहा कि यह निर्देश कांवड़ यात्रा को शांतिपूर्ण ढंग से पूरा करने और अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए जारी किया गया था.

उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि कांवड़ यात्रा को शांतिपूर्ण तरीके से पूरा करने के लिए नेमप्लेट लगाने का निर्देश जारी किया गया था. राज्य सरकार ने कहा कि निर्देश जारी करने के पीछे का मकसद कांवड़ियों की यात्रा के दौरान उनके भोजन को लेकर सूचित विकल्प पेश करना था, ताकि उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस न पहुंचे. सुप्रीम कोर्ट ने कांवड़ तीर्थयात्रियों के हस्तक्षेप को भी खारिज कर दिया, जिन्होंने राज्य के निर्देशों का समर्थन करते हुए तर्क दिया था कि यह धार्मिक रीति-रिवाजों और प्रथाओं के उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा. सर्वोच्च न्यायालय ने 22 जुलाई को उत्तर प्रदेश सरकार के उस निर्देश पर रोक लगा दी थी, जिसमें दुकानदारों को यात्रा के दौरान दुकानों के बाहर नेमप्लेट लगाने का निर्देश दिया गया था.

स‍िंघवी की क्‍या थी दलीलें
– याचिकाकर्ता ने कहा कि ये विक्रेताओं के लिए आर्थिक मौत की तरह है. अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि इसमें विक्रेताओं को बड़े बोर्ड की जरूरत है. इसमें सारी जानकारी साझा करनी होगी. अगर शुद्ध शाकाहारी होता तो बात समझ आती.
– सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि क्या सरकार ने इस बारे में कोई औपचारिक आदेश पास किया है? इस पर सिंघवी ने दलील दी कि सरकार इसे अप्रत्यक्ष रूप से इसे लागू रही है. पुलिस कमिश्नर ऐसे निर्देश जारी कर रहे हैं.
– सिंघवी ने कहा कि कांवड़ यात्रा तो सदियों से चला आ रही है. पहले इस तरह की बात नहीं थी.
– सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील अभिषेक मनु सिंघवी से कहा कि आपको हमें स्थिति को इस तरह से नहीं बताना चाहिए. जो जमीनी हकीकत है, वही बताइए. इसके तीन आयाम हैं- सुरक्षा, मानक और धर्मनिरपेक्षता. तीनों ही समान रूप से महत्वपूर्ण हैं. ये बात जस्टिस एसवीएन भट्टी ने कही, जब सिंघवी ने कहा कि ये पहचान का बहिष्कार है. यह आर्थिक बहिष्कार है.
– सिंघवी ने आगे कहा कि पहले मेरठ पुलिस और फिर मुज्जफरनगर पुलिस ने नोटिस जारी किया. उन्होंने कहा कि मुज्जफरनगर पुलिस ने तो बहुत चालाकी से स्वैच्छिक शब्द लिखा.

सुप्रीम कोर्ट में योगी सरकार का जवाब
– योगी सरकार ने कहा क‍ि कांवड़ियों की धार्मिक भावनाओं का ध्यान रखते हुए ये फ़ैसला लिया गया था. लाखों लोग पवित्र जल लेकर यात्रा करते हैं, उनके साथ गलती से भी कोई चूक ना हो. किसी छोटी सी कन्फ़्यूज के कारण भी कांवड़ियों की धार्मिक भावनाओं को चोट लग सकती है, ख़ासतौर से मुज़फ़्फ़रनगर जैसे संवेदनशील इलाको में.

– यूपी सरकार ने कहा क‍ि किसी भी ऐसी जगह से खाने पीने का सामान लेना जो उनके धार्मिक विश्वास के खि‍लाफ है, उससे परेशानी हो सकती है और पूरी यात्रा उसकी शांति प्रभावित हो सकती है। जिसे बनाये रखने की ज़िम्मेदारी सरकार की है। पिछले एक हफ़्ते के दौरान प्याज़ और लहसुन के प्रयोग को लेकर यात्रा के मार्ग पर कुछ घटनाएं देखी गई हैं.

– पूर्व की कुछ घटनाओं से देखा गया है कि खाने को लेकर हुए गलतफहमियों को लेकर टेंशन हुई है. यूपी सरकार ने ऐसी स्थितियों को रोकने के लिए ही निर्देश दिये थे. इन निर्देशों से धर्म जाति या समुदाय आधारित किसी भी तरह का भेदभाव नहीं, बिना जाति, धर्म देखे यात्रा मार्ग पर सभी विक्रेताओं पर लागू हो रहे थे.

– कांवड़ियों की धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखते हुए यात्रा के दौरान उनके द्वारा खाए जाने वाले भोजन के मामले में पारदर्शिता के लिए यह निर्देश दिया गया है.

– कांवड़ियों को पता होना चाहिए कि वे क्या खा रहे हैं और कहां खा रहे हैं? कांवड़ यात्रा में शांति, सुरक्षा और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए निर्देश लाए गए हैं.

Tags: Abhishek Manu Singhvi, Supreme Court

FIRST PUBLISHED :

July 26, 2024, 20:03 IST

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