Last Updated:July 22, 2025, 13:52 IST
Jagdeep Dhankhar News: जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति पद से अचानक इस्तीफा दिया, जिससे कांग्रेस और बीजेपी में जुबानी जंग छिड़ गई. इस्तीफे का कारण जस्टिस यशवंत वर्मा के महाभियोग प्रस्ताव पर विचार बताया गया.

हाइलाइट्स
जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दिया.धनखड़ के इस्तीफे पर कांग्रेस-बीजेपी में जुबानी जंग.धनखड़ का इस्तीफा जस्टिस वर्मा के महाभियोग प्रस्ताव पर विचार के बाद.Jagdeep Dhankhar News: जगदीप धनखड़ अब पूर्व उपराष्ट्रपति हो चुके हैं. जगदीप धनखड़ ने सोमवार की शाम को अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया. आज यानी मंगलवार को उनका इस्तीफा मंजूर कर लिया गया. जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे ने कांग्रेस और बीजेपी के बीच जुबानी जंग छेड़ दी है. अब सवाल है कि आखिर जगदीप धनखड़ ने अचानक इस्तीफा क्यों दिया? टॉप सरकारी सूत्रों का कहना है कि उनका इस्तीफा जस्टिस यशवंत वर्मा के महाभियोग पर विपक्ष के प्रस्ताव पर विचार करने के बाद हुआ हो सकता है, जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे.
सूत्रों के अनुसार, सरकार ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ दोनों सदनों में महाभियोग प्रस्ताव पेश करने की योजना बनाई थी. यह एक प्रस्ताव था, जिसे राज्यसभा की बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (BAC) के एजेंडे का मुख्य बिंदु माना जा रहा था. हालांकि, जब जगदीप धनखड़ ने अप्रत्याशित रूप से BAC बैठक के दौरान विपक्ष के प्रस्ताव को उठाया और स्वीकार किया तो सरकार हैरान रह गई. उन्होंने कहा कि वह अगले दिन दोपहर 1 बजे इस पर चर्चा करेंगे. सरकारी सूत्रों का कहना है कि यह सभी के लिए चौंकाने वाला था, , क्योंकि महाभियोग की कार्यवाही के संबंध में बीएसी का एजेंडा सर्कुलेटेड या अंतिम रूप नहीं दिया गया था.
इसके बाद जगदीप धनखड़ को कथित तौर पर सीनियर मंत्रियों के कई फोन-कॉल आए, जिनमें उनके कार्यों की निंदा की गई और उन्हें अस्वीकार्य बताया गया. सूत्रों का कहना है कि एक वरिष्ठ मंत्री ने धनखड़ को कुछ समय से जांच के दायरे में बताया और चेतावनी दी कि उनकी यह कार्रवाई उनके संस्थागत पद के लिए अनुचित है. इसके बाद धनखड़ के साथ तीखी बहस हुई. धनखड़ ने कहा कि उन्हें सरकार की ओर से गहरी नाराजगी अथवा असंतोष महसूस हुआ और आखिरकार उन्हें ‘जितनी जल्दी हो सके’ इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा.’
सोमवार को दो BAC बैठकें हुईं. पहली BAC बैठक दोपहर 12:30 बजे हुई, जिसमें केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू और जेपी नड्डा शामिल हुए. हालांकि, जब बैठक शाम 4:30 बजे फिर से बुलाई गई, तो ये नेता अनुपस्थित थे और सरकार की ओर से केंद्रीय मंत्री एल मुरुगन ने प्रतिनिधित्व किया. शाम वाली बैठक में जेपी नड्डा और किरेन रिजिजू शामिल नहीं हुए थे.
इसके बाद जगदीप धनखड़ उस शाम राष्ट्रपति के निवास पर अचानक पहुंचे और औपचारिक रूप से अपना इस्तीफा सौंपा. धनखड़ के इस्तीफे में स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया गया है जो कई लोगों के लिए आश्चर्यजनक था, क्योंकि उन्होंने उस दिन BAC चर्चाओं की अध्यक्षता भी की थी.
उन्होंने आज यानी मंगलवार को राज्यसभा की कार्यवाही में भाग नहीं लिया. सूत्रों का कहना है कि वह विदाई भाषण भी नहीं देंगे, जिससे अटकलें और बढ़ गई हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को जगदीप धनखड़ की राष्ट्र के प्रति समर्पित सेवा की सराहना की. उन्होंने एक पोस्ट में कहा, ‘जगदीप धनखड़ जी को भारत के उपराष्ट्रपति सहित कई भूमिकाओं में देश की सेवा करने का अवसर मिला है’ मैं उनके उत्तम स्वास्थ्य की कामना करता हूं.’
हालांकि, विपक्ष ने सवाल उठाना शुरू कर दिया है कि वास्तव में क्या गलत हुआ, जिसके कारण धनखड़ को इस्तीफा देना पड़ा? कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक पोस्ट में जगदीप धनखड़ के इस्तीफे से पहले की घटनाओं की श्रृंखला साझा की, जिसमें दावा किया गया कि कल दोपहर 1 बजे से शाम 4:30 बजे के बीच कुछ बहुत गंभीर हुआ, जिसके कारण जेपी नड्डा और रिजिजू की दूसरी BAC बैठक में जानबूझकर अनुपस्थिति रही.
जयराम रमेश के मुताबिक, जगदीप धनखड़ की अध्यक्षता में शाम 4:30 बजे BAC की बैठक फिर से बुलाई गई. जेपी नड्डा और किरेन रिजिजू का इंतजार होता रहा, मगर वे नहीं आए. जगदीप धनखड़ को व्यक्तिगत रूप से सूचित नहीं किया गया था कि दोनों वरिष्ठ मंत्री उपस्थित नहीं होंगे. इसके बाद उन्होंने नाराजगी जताते हुए बीएसी की बैठक आज यानी मंगलवार दोपहर 1 बजे के लिए पुनर्निर्धारित कर दी.
कांग्रेस महासचिव ने कहा, ‘धनखड़ जी ने हमेशा 2014 के बाद के भारत की तारीफ की, लेकिन साथ ही किसानों के हितों के लिए खुलकर आवाज उठाई। उन्होंने सार्वजनिक जीवन में बढ़ते ‘अहंकार’ की आलोचना की और न्यायपालिका की जवाबदेही व संयम की जरूरत पर जोर दिया. मौजूदा ‘जी2’ सरकार के दौर में भी उन्होंने जहां तक संभव हो सका, विपक्ष को जगह देने की कोशिश की. उन्होंने कहा कि धनखड़ नियमों, प्रक्रियाओं और मर्यादाओं के पक्के थे लेकिन उन्हें लगता था कि उनकी भूमिका में लगातार इन बातों की अनदेखी हो रही है. रमेश ने कहा कि धनखड़ का इस्तीफा उनके बारे में बहुत कुछ कहता है और साथ ही यह उन लोगों की नीयत पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है, जिन्होंने उन्हें उपराष्ट्रपति पद तक पहुंचाया था.
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