जहां 117 साल पहले लगा देश का पहला पावर प्रोजेक्ट, वहां आज भी बिजली क्यों नहीं?

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Last Updated:December 22, 2025, 09:10 IST

Chamba News: हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले के तिलंग गांव में बिजली सुविधा नहीं हैं. चंबा जिला देश के सबसे पिछड़े जिलों में शामिल है. यहीं पर देश का सबसे पहला हाईड्रो प्रोजेक्ट लगा था. लेकिन अब भी कई गांवों में अंधेरा है. सरकारों की नाकामियों की वजह से लोग गांव छोड़ने को मजबूर हो गए हैं.

जहां 117 साल पहले लगा देश का पहला पावर प्रोजेक्ट, वहां आज भी बिजली क्यों नहीं?हिमाचल प्रदेश का चंबा जिला देश के सबसे पिछड़े जिलों में शुमार है.

चम्बा. हिमाचल प्रदेश का चंबा जिला देश के सबसे पिछड़े जिलों में शुमार है औऱ यह खबर इस बात की तस्दीक कर रही है. क्योंकि  आज़ादी के सात दशक बाद भी ज़िले में एक ऐसा गांव है, जहां आज तक बिजली का बल्ब नहीं जला. इस मामले में अधिक हैरानी इसलिए भी होती है कि चंबा वही जिला है, जहां पर 117 साल पहले भारत का पहला हाईड्रो प्रोजेक्ट लगा था और अब भी इसके कई गांव अंधेरे में हैं.

दरअसल, चंबाजिले के भजोत्रा पंचायत का तिलंग गांव आज भी अंधेरे में ज़िंदगी जीने को मजबूर है. यहां के 7–8 परिवार बिजली के एक बल्ब की टिमटिमाहट देखने का इंतज़ार कर रहे हैं. चारों ओर ऊंचे पहाड़, हरियाली और मनमोहक नज़ारे इस गांव को किसी सुंदर पर्यटन स्थल जैसा बनाते हैं, लेकिन बिजली जैसी बुनियादी सुविधा के अभाव ने ग्रामीणों की ज़िंदगी को बेहद कठिन बना दिया है. मोबाइल चार्ज करने के लिए ग्रामीणों को करीब दो घंटे पैदल चलकर दूसरे गांव जाना पड़ता है. बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है और रोज़मर्रा के काम भी मुश्किल हो जाते हैं. बिजली न होने के कारण लोग मजबूरन गांव छोड़कर दूसरी जगह रहने को विवश हैं.

मरीजों को गांव से कंधे पर ले जाते हैं 

शादी-ब्याह जैसे आयोजनों में जनरेटर मंगवाना पड़ता है, जो न सिर्फ महंगा है बल्कि दुर्गम रास्तों के कारण पहुंचाना भी बेहद कठिन होता है और बीमारी की स्थिति में मरीज को एंबुलेंस तक पहुंचाने के लिए 8–10 लोगों की जरूरत पड़ती है, जो हालात की गंभीरता को दर्शाता  निर्भर हैं. सरकार की ओऱ से गांव में पानी की सुविधा उपलब्ध करवाई गई है, लेकिन रोज़मर्रा में इस्तेमाल होने वाली सबसे अहम सुविधा—बिजली—आज भी नसीब नहीं हो पाई. हैरानी की बात यह है कि महज़ 200–300 मीटर दूर दूसरे गांव में बिजली पहुंच चुकी है, लेकिन तिलंग गांव अब भी अंधेरे में है.

हैरानी की बात यह है कि महज़ 200–300 मीटर दूर दूसरे गांव में बिजली पहुंच चुकी है, लेकिन तिलंग गांव अब भी अंधेरे में है.

स्थानीय लोगों का कहना है कि वे कई बार पंचायत प्रतिनिधियों और जनप्रतिनिधियों से गुहार लगा चुके हैं, मगर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई. ग्रामीणों का मानना है कि अगर बिजली और सड़क की सुविधा मिल जाए, तो यह इलाका एक अनछुआ पर्यटन स्थल बन सकता है, जिससे स्थानीय युवाओं को रोज़गार के अवसर भी मिल सकते हैं.

गांव के युवक ने बताया कि उनका सपना है कि उनके घरों में भी टीवी और अन्य आधुनिक सुविधाएं हों.

दो किमी दूर जाकर करते हैं फोन चार्ज

गांव के युवक ने बताया कि उनका सपना है कि उनके घरों में भी टीवी और अन्य आधुनिक सुविधाएं हों. वहीं, मोबाइल चार्ज करने के लिए करीब दो किलोमीटर और दो घंटे का सफर तय करना पड़ता है, इसलिए कई बार फोन बंद ही रखना पड़ता है. युवक कहते हैं कि आज जब दुनिया मंगल ग्रह पर जीवन की तलाश कर रही है, तब चम्बा जिले के तिलंग गांव का अंधेरा पसरा हुआ है. ग्रामीणों को अब उम्मीद है कि उनकी आवाज़ सरकार तक पहुंचेगी और तिलंग गांव भी जल्द बिजली की रोशनी से जगमगाएगा.

ग्रामीणों को अब उम्मीद है कि उनकी आवाज़ सरकार तक पहुंचेगी और तिलंग गांव भी जल्द बिजली की रोशनी से जगमगाएगा.

चंब में लगा था भारत का पहला हाईड्रो प्रोजेक्ट

गौरतलब है कि यह पूरा मामला शर्मसार करने वाला भी है. क्योंकि चंबा साल 1908 में बिजली आई थी औऱ यहां पर चंबा के राजा भूरी सिंह ने बालू नामक जगह के पास 450 किलोवाट का पावर हाउस लगवाया था. यह हाईड्रो प्रोजेक्ट भारत का पहला और एशिया का दूसरा हाइड्रो पावर स्टेशन था. जब यह पावर स्टेशन लगा था तो उस समय के बड़े शहरों में भी बिजली नहीं थी,  लेकिन चंबा जिले के कई इलाके रोशन हो गए थे. लेकिन अब भी कई गांवों में बिजली नहीं पहुंच पाई और इसके पीछे सरकारों का नाकामी है.

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Vinod Kumar Katwal

Vinod Kumar Katwal, a Season journalist with 14 years of experience across print and digital media. I have worked with some of India’s most respected news organizations, including Dainik Bhaskar, IANS, Punjab K...और पढ़ें

Location :

Chamba,Chamba,Himachal Pradesh

First Published :

December 22, 2025, 08:48 IST

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