Last Updated:November 07, 2025, 17:28 IST
शेख हसीना के जाने के बाद बांग्लादेश चीन, पाकिस्तान, तुर्की के करीब जाकर भारत विरोधी रुख अपना रहा है, सिलिगुड़ी कॉरिडोर और हिंदू अल्पसंख्यकों पर खतरा बढ़ा है. वहीं लालमोनिरहाट एयरबेस को फिर से सक्रिय कर रहा है.

अगस्त 2024 में प्रधानमंत्री शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद से बांग्लादेश के हालात तेज़ी से बदल गए हैं. कभी भारत का सबसे भरोसेमंद पड़ोसी माना जाने वाला देश अब धीरे-धीरे भारत विरोधी खेमे में जाता दिख रहा है. हसीना के जाने के बाद न सिर्फ़ देश के अंदर कट्टरपंथ और चरमपंथी सोच ने पैर पसारे हैं, बल्कि अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय पर हमलों की घटनाएं भी बढ़ गई हैं.
पिछले एक साल में पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच सैन्य और खुफिया संपर्कों की रफ्तार बढ़ गई है. पाकिस्तान की ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमिटी के प्रमुख मिर्ज़ा के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने हाल ही में ढाका का दौरा किया, जिसमें सैन्य सहयोग और प्रशिक्षण जैसे मुद्दों पर बातचीत हुई. इससे पहले ISI के शीर्ष अधिकारी भी बांग्लादेश पहुंच चुके हैं. इस पूरी कवायद का मकसद साफ़ है — भारत को उसके ही पूर्वी मोर्चे पर घेरना.
उधर, मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार चीन के और भी करीब जा रही है. यूनुस ने तो खुलकर चीन को बंगाल की खाड़ी में “बेस” बनाने की सलाह दे डाली और बीजिंग में राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात भी की थी. यह वही यूनुस हैं जिन्होंने हाल में ‘ग्रेटर बांग्लादेश’ का नक्शा पेश किया था, जिसमें भारत के पूर्वोत्तर और पश्चिम बंगाल के हिस्से शामिल दिखाए गए थे.
बांग्लादेश अब अपने पुराने लालमोनिरहाट एयरबेस को फिर से सक्रिय कर रहा है, जो सीधे सिलिगुड़ी कॉरिडोर के पास है — यानी उस नाज़ुक गलियारे के पास जो भारत के पूर्वोत्तर को मुख्य भूमि से जोड़ता है. वहां लड़ाकू विमानों के हैंगर बनाए जा रहे हैं. इसके साथ ही, बांग्लादेश ने चीन से 20 J-10CE लड़ाकू विमान ख़रीदने का समझौता भी लगभग तय कर लिया है.
इतना ही नहीं, ढाका अब तुर्की और पाकिस्तान के साथ भी रक्षा साझेदारी कर रहा है. तुर्की से हथियार और रक्षा प्रौद्योगिकी के सौदे, पाकिस्तान से JF-17 लड़ाकू विमानों की संभावित ख़रीद और संयुक्त सैन्य अभ्यासों की चर्चा — ये सब इस बात के संकेत हैं कि एक नया “एंटी-इंडिया एक्सिस” बन चुका है. चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश अब रणनीतिक रूप से एक-दूसरे के साथ हैं, और भारत को सीधे चुनौती दे रहे हैं.
भारत के लिए सबसे बड़ा खतरा यही है कि बांग्लादेश का यह रुख़ पूर्वोत्तर राज्यों तक अस्थिरता फैला सकता है. अवैध घुसपैठ, ड्रग और मवेशी तस्करी पहले ही सीमा के ज़रिए होती रही है, अब अगर सैन्य रूप से भी ये क्षेत्र सक्रिय हुआ तो स्थिति बेहद संवेदनशील हो सकती है. भारत को अपने “चिकन नेक” यानी सिलिगुड़ी कॉरिडोर की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी होगी.
यूनुस सरकार को यह समझना चाहिए कि चीन और पाकिस्तान के साथ मिलकर भारत के साथ खेलना एक खतरनाक दांव है. चीन की “मदद” हमेशा कर्ज़ के जाल में खत्म होती है — इसका ताज़ा उदाहरण श्रीलंका का हंबनटोटा बंदरगाह है, और पाकिस्तान का ग्वादर पोर्ट. अगर बांग्लादेश ने इतिहास और भूगोल की सच्चाइयों को नज़रअंदाज़ किया, तो उसे भी वही अंजाम भुगतना पड़ेगा.
भारत ने हमेशा बांग्लादेश को संकट के समय मदद दी है — चाहे प्राकृतिक आपदाएँ हों, आर्थिक संकट या सैन्य सहयोग. ढाका को यह याद रखना चाहिए कि 1971 की आज़ादी का रास्ता भारत ने ही साफ़ किया था. लेकिन अगर बांग्लादेश ने अब भी चीन-पाकिस्तान के बहकावे में कदम बढ़ाया, तो उसे उसी शक्ति का सामना करना होगा जैसी 1971 में पश्चिमी पाकिस्तान को करनी पड़ी थी.
जितना उछल रहा है बांग्लादेश, एक घंटा भी नहीं टिक पाएगा — यह कोई खाली नारेबाज़ी नहीं, बल्कि चेतावनी है. ढाका की हालिया चालें—पाकिस्तानी और चीनी सैन्य-खुफिया नज़दीकियाँ, सिलिगुड़ी कॉरिडोर के पास एयरबेस की सक्रियता और ग्रेटर-बांग्लादेश जैसे नक्शे पेश करना—स्पष्ट संकेत हैं कि कोई जानबूझकर माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रहा है. भारत इसे कभी सहन नहीं करेगा; हमारी राष्ट्र-हिता और रणनीतिक गहराई पर से कोई हाथ उठाने की हिम्मत करे तो उसे तेज, निर्णायक और कूटनीतिक-सैन्य मिश्रित जवाब देना भारत जानता है. यह मुकाबला केवल शस्त्रों का नहीं, कूटनीति, आर्थिक विकल्प और क्षेत्रीय संपर्कों से भी तय होगा; ढाका को चेताया जा चुका है, और अगर वह खिलाड़ी बनेगा तो परिणाम उसके लिए तात्कालिक और स्पष्ट होंगे.
यूं तो बांग्लादेश भारत की सैन्य ताक़त के आगे कहीं नहीं ठहरता, दोनों में तुलना करना सही नहीं है, फिर भी एक झलक:
सैन्य ताकत में बांग्लादेश कुछ भी नहीं है:
Mohit Chauhan brings over seven years of experience as an Editorial Researcher, specializing in both digital and TV journalism. His expertise spans Defense, Relations, and Strategic Military Affai...और पढ़ें
Mohit Chauhan brings over seven years of experience as an Editorial Researcher, specializing in both digital and TV journalism. His expertise spans Defense, Relations, and Strategic Military Affai...
और पढ़ें
न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।
Location :
Noida,Gautam Buddha Nagar,Uttar Pradesh
First Published :
November 07, 2025, 17:28 IST

3 hours ago
