इंडिगो में मचा कोहराम, चरम पर पहुंचा असंतोष, नए लेटर ने बढ़ाई मुश्किलें

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Last Updated:December 14, 2025, 15:04 IST

Open Letter from IndiGo Staff: इंडिगो के भीतर चल रहे कोहराम को लेकर ओपन लेटर आने का दौर जारी है. अब इंडिगो के एक स्‍टाफ ने एयरलाइन के संस्‍थापक राहुल भाटिया के नाम पर एक ओपन लेटर लिखा है. इस लेटर को सीनियर पायलट कैप्‍टन शक्ति लुंबा ने पोस्‍ट किया है.

इंडिगो में मचा कोहराम, चरम पर पहुंचा असंतोष, नए लेटर ने बढ़ाई मुश्किलें

Open Letter from IndiGo Staff: एयरपोर्ट्स पर भले ही फ्लाइट कैंसलेशन का दौर थम गया हो, लेकिन इंडिगो के लिए यह क्राइसिस खत्‍म होने का नाम नहीं ले रहा है. दरअसल, इस क्राइसिस के शुरू होने के साथ कई ऐसे एयरलाइन कर्मियों का गुस्‍सा भी सामने आने लगा है, जो सालों से अपना दर्द सीने में दबाए बैठे हैं. एयरलाइन कर्मी लगातार इंडिगो मैनेजमेंट के नाम ओपन लेटर जारी कर कंपनी के अंदर चल रही गड़बडि़यों का खुलासा कर रहे हैं. इसी कड़ी में एक नया ओपन लेटर सामने आया है, जो इन दिनों सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो रहा है.

इस ओपन लेटर में एयरलाइन कर्मी ने बताया है कि किस तरह बीते कुछ सालों में इंडिगो के भीतर वर्क एनवायरनमेंट बदला है. ओपन लेटर में एयरलाइन के कई सीनियर ऑफिसर के ऊपर खुल कर आरोप लगाए गए हैं. साथ ही यह बताया गया है कि किस तरह नई ऊंचाइयां छूट इंडिगो देखते ही देखत इतने बड़े क्राइसिस में फंस गई, जिसकी वजह से लाखों पैसेंजर्स को न केवल परेशान होना पड़ा, बल्कि एयरलाइन की इमेज को भी गहरा धक्‍का लगा है. आइए आपको बताते हैं इंडिगो स्‍टाफ ने मैनेजमेंट को लिए इस ओपन लेटर में क्‍या क्‍या लिखा है और सीनियर ऑफिसर्स पर कौन-कौन से आरोप लगाए हैं.

सीनियर पायलट ने पोस्‍ट किया इंडिगो स्‍टाफ का ओपन लेटर
इंडिगो के संस्‍थापक राहुल भाटिया के नाम लिखे गए इस ओपन लेटर को सीनियर पायलट कैप्‍टन शक्ति लुंबा ने अपने सोशल मीडिया हैंडल X से शेयर किया है. इस लेटर को लेकर कैप्‍टन शक्ति लुंबा ने लिखा है कि…

मुझे हाल ही में इंडिगो के संस्थापक राहुल भाटिया के नाम एक स्‍टाफ द्वारा लिखा गया एक गुमनाम खुला पत्र मिला है. मेरे विचार में इस पत्र में पायलट्स से जुड़े बेहद अहम मुद्दे उठाए गए हैं, इसलिए मैं इस पत्र के स्क्रीनशॉट साझा कर रही हूं. जाहिर है कि यह पत्र भेजने वाला स्‍टाफ एक व्हिसलब्लोअर है और उसे फ्लाइट ऑपरेशंस और सीओओ की तरफ से कार्रवाई या बदले का डर है. मेरा मानना है कि यह पत्र नागरिक उड्डयन मंत्रालय और केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है. खासतौर पर इसलिए, क्योंकि 3 से 5 दिसंबर के बीच देशभर के एयरपोर्ट्स पर जो भारी अव्यवस्था और अफरा-तफरी देखने को मिली थी, उस पर चल रही जांच के संदर्भ में इस पत्र की बातें बेहद प्रासंगिक हैं. – कैप्‍टन शक्ति लुंबा

दस प्‍वाइंट में पढ़िए ओपन लेटर में लिखी गई बातें

जिस दिन 1500 फ्लाइट्स कैंसिल हुईं, उस दिन न तो बैड वेदर था, न सिस्टम फेल्योर और न ही पायलट्स की कमी थी. इसके बावजूद 19 साल पुरानी, ऑन-टाइम परफॉर्मेंस वाली एयरलाइन ठप हो गई. करीब 10 साल पहले इंडिगो का एम्प्लॉयर–एम्प्लॉयी रिलेशन मजबूत था, कोविड जैसे बड़े संकट में भी पायलट्स ने 25–50% सैलरी कट झेलकर कंपनी का साथ दिया. 2022 में सैलरी रिस्टोर और 2023 में इंक्रीमेंट के बाद 2024 से फ्रंटलाइन स्टाफ, पायलट्स, केबिन क्रू, इंजीनियर्स और ग्राउंड स्टाफ के खिलाफ माहौल बदलने लगा. एचआर लगभग गायब हो गया और ऑथॉरिटेरियन सोच वाले सीओओ के आने के बाद अनुभवी डिपार्टमेंट हेड्स को हटाकर सिर्फ कॉस्ट कटिंग पर फोकस करने वाले लोग लाए गए. कॉस्ट सेविंग के नाम पर पायलट्स की कई पुरानी वेलफेयर पॉलिसीज बदली गई. मेडिकल ग्राउंडेड पायलट्स के पेआउट घटे, स्पेशल डे-ऑफ खत्म हुए और लीव्स कम कर दी गईं. इंटरनेशनल–डोमेस्टिक लेओवर अलाउंस घटाए गए, नाइट फ्लाइंग अलाउंस री-स्ट्रक्चर कर कंपेन्सेशन कम किया गया और कैटरिंग व स्ट्रेच सीट जैसी बेसिक सुविधाएं भी छीनी गईं. ये फैसले ऐसे डिप्टी हेड फ्लाइट ऑपरेशंस ने लिए जिनका हाल के वर्षों में फ्लाइंग या सिम्युलेटर अनुभव नहीं रहा और जिन्होंने पायलट वेलफेयर की जगह कॉस्ट कटिंग को प्राथमिकता दी. रोस्टरिंग, फटीग मैनेजमेंट और नए FDTL लागू करने पर ध्यान नहीं दिया गया. रोस्टर्स देर से आते रहे, नाइट हॉल्ट्स बढ़े और ड्यूटी आवर्स लंबे होते गए. ओसीसी और एचआर पायलट्स की समस्याएं सुलझाने में नाकाम रहे. इस्तीफों को रोकने की कोशिश नहीं हुई और अनुभवी स्टाफ की जगह नए, इनएक्सपीरियंस्ड लोग लाए गए. यह पूरा संकट लीडरशिप और डिसीजन मेकिंग की विफलता का नतीजा है; सुधार के लिए संस्थापकों से अपील है कि वे कर्मचारियों से फिर जुड़ें, एम्प्लॉयी-सेंट्रिक पॉलिसीज बहाल करें और दो दशकों में बनी मजबूत नींव को दोबारा खड़ा करें.

I just received a hard copy of an anonymous open letter from an Employee for the Founder of @IndiGo6E # RahulBhatia:
Since to my mind it contains material very pertinent to pilot issues am am posting screen shot of the letter
Obviously, the sender a whistle blower of afraid of… pic.twitter.com/SJQmeC9wzQ

ज्‍यों का त्‍यों पढि़ए इंडिगो के संस्थापक राहुल भाटिया के नाम लिखा गया ओपन लेटर

कोई बैड वेदर नहीं था, कोई सिस्टम फेल्योर नहीं था और ड्यूटी पर पर्याप्त पायलट्स भी थे. फिर भी, हमारी अच्छी तरह स्थापित 19 साल पुरानी एयरलाइन, जिसका ऑन-टाइम ट्रैक रिकॉर्ड बेहतरीन है, ने एक ही दिन में 1500 फ्लाइट्स कैंसिल कर दीं. वर्तमान क्राइसिस को समझने के लिए हम 10 साल पीछे जाते हैं. इंडिगो तेजी से बढ़ रही थी और एम्प्लॉयर–एम्प्लॉयी का जुड़ाव मजबूत और मोटिवेटिंग था. इससे पहले इंडिगो ने जो सबसे बड़ा संकट देखा था, वह कोविड था. कोविड के दौरान पायलट्स की सैलरी में 25–50% तक भारी कटौती के बावजूद वे मोटिवेटेड बने रहे. धन्यवाद उन पॉलिसीज का जो सपोर्ट और ट्रांसपेरेंसी को बढ़ावा देती थीं. उस दौर ने कर्मचारियों में ऐसी कमिटमेंट पैदा की कि वे सामान्य से ज्यादा काम करने को तैयार रहे, जिससे एयरलाइन मजबूत होकर उभरी और फ्लाइट्स बढ़ाती रही, देश और कंपनी दोनों की सेवा करती रही. पायलट्स की सैलरी 2022 में पूरी तरह रिस्टोर (कर दी गई और 2023 में इंक्रीमेंट दिया गया, जिसकी पायलट्स ने सराहना की. 2024 से शुरू होकर हालात फ्रंटलाइन स्टाफ जैसे इंजीनियर्स, केबिन क्रू, पायलट्स और ग्राउंड स्टाफ के खिलाफ धीरे-धीरे बदलने लगे. एचआर लगभग गायब हो गया, वह सिर्फ इर्रेलिवेंट फेस्टिवल या रूटीन ऑटोमेटेड डिजिटल ईमेल्स भेजने के लिए ही सामने आता था. मामले तब बढ़े, जब ऑथॉरिटेरियन स्टाइल के लिए पहचाने जाने वाले सीओओ ने चार्ज संभाला. जल्द ही, अनुभवी डिपार्टमेंट हेड्स, जो दशकों के अनुभव वाले प्रोफेशनल्स थे और इंडिगो की ग्रोथ में अहम भूमिका निभा चुके थे, बाहर कर दिए गए. उनकी जगह सिर्फ कॉस्ट कटिंग पर फोकस्ड लोगों को लाया गया. उनकी नैरो माइंडसेट से थोड़ी बहुत बचत हुई, लेकिन एम्प्लॉयी मॉरल को गंभीर नुकसान पहुंचा. पायलट्स के लिए लंबे समय से चल रही कई पॉलिसीज बदली गईं या वापस ले ली गईं. टेंपरेरी और परमानेंटली मेडिकली अनफिट पॉलिसी को बदलकर मेडिकली ग्राउंडेड पायलट्स को पेआउट सीमित कर दिया गया. स्पेशल डे-ऑफ पॉलिसी, जो पहले फैमिली इवेंट्स पर मिलने वाली ऑटोमेटिक लीव को रिस्ट्रिक्शन्स से भरे पॉइंट्स-बेस्ड सिस्टम से बदल दिया गया, जबकि इंडिगो पायलट क्रिकेट टीम को वीकेंड ऑफ मिलते रहे. सभी पुरानी लीव पॉलिसीज खत्म कर एक जबरन कॉन्ट्रैक्ट थोपा गया, जिसमें सालाना छुट्टियां कम थीं. इंटरनेशनल और डोमेस्टिक लेओवर अलाउंस घटा दिए गए और नाइट फ्लाइंग कंपेन्सेटरी अलाउंस को इस तरह रिस्ट्रक्चर किया गया कि पायलट्स का कंपेन्सेशन कम हो गए. यह सब बड़े पैमाने पर फ्लाइट कैंसिलेशन शुरू होने से कुछ दिन पहले ही किया गया. इसके अलावा, कैटरिंग मेनू जो लंबे या अनरेगुलर ड्यूटी आवर्स को ध्यान में रखकर बनाया गया था, उसे भी कम कर दिया गया. स्ट्रेच पॉलिसी के तहत पहली बार ऐसी पाबंदी लगाई गई कि ड्यूटी फ्लाइट्स में भी पायलट स्ट्रेच सीट्स इस्तेमाल नहीं कर सकते, जिससे भारी असंतोष फैला. ये सभी पॉलिसीज ऐसे शख्‍स के द्वारा बनाई और थोपी गईं, जो हाल ही में डिप्टी हेड फ्लाइट ऑपरेशंस बने. दुर्भाग्य है कि इन साहब ने पिछले दशक में शायद ही कोई फ्लाइट या सिम्युलेटर किया हो. उन्होंने इन कॉस्ट सेविंग उपायों को अपनी अचीवमेंट बताकर खुद को प्रमोट किया, लेकिन कंपनी को फायदा पहुंचाने के बजाय पायलट्स और कंपनी के बीच गंभीर कन्फ्लिक्ट पैदा कर दिया. पायलट रोस्टरिंग सुधारने, फटीग रिस्क मैनेजमेंट देखने और नए एफटीडीएल लागू करने के बजाय पायलट वेलफेयर को लगातार निचोड़ा गया.
हेड ऑफ फ्लाइट ऑपरेशंस और हेड ऑफ एचआर, चाहते तो इन फैसलों को रोक सकते थे, लेकिन उन्होंने इन्हें लागू होने दिया. ये दोनों और सीओओ, डिप्टी हेड की नियुक्ति के लिए जिम्मेदार थे. लगता है कि फ्लाइट ऑपरेशंस लीडरशिप सीओओ इसिड्रे पोरक्वेर और सीईओ पीटर एल्बर्स के आदेशों के आगे झुक गई, जो पायलट्स से सीधे मिलने से बचते रहे. सीओओ ने पायलट्स के साथ पहली मीटिंग में साफ कहा कि आई एम नॉट हियर टू मेक फ्रेंड्स, बट टू डू बिजनेस (मैं यहां दोस्‍त बनाने के लिए नहीं हूं, बिजनेस करने के लिए हूं). एक तरफ पॉलिसीज बदल रही थीं, दूसरी तरफ वर्किंग कंडीशंस सुधरी नहीं. रोस्टर्स देर से आते, पार्शियल रोस्टर्स आम हो गए, नाइट हॉल्ट्स बढ़े और ड्यूटीज लंबी होती गईं.
ओसीसी पहुंच से बाहर हो गया, पुराने कम्युनिकेशन चैनल्स हटाकर चैटबॉट्स लगा दिए गए. जेसन हर्टर हेड ऑफ ओसीसी और उनके डिप्टी रोस्टरिंग और थकान से जुड़े मुद्दे सुलझाने में असफल रहे. इस दौरान एचआर पायलट्स के लिए लगभग इनविजिबल रहा. इस्तीफा देने वालों को रोकने या फीडबैक लेने की कोई कोशिश नहीं दिखी. पायलट और केबिन क्रू विदेशी एयरलाइंस में जा रहे हैं और रिपोर्ट्स हैं कि ओसीसी सहित अन्य स्टाफ भी छोड़ रहे हैं. नतीजतन, अनुभवी कर्मचारियों की जगह नए और इनएक्सपीरियंस्ड लोग भर दिए गए हैं. ह्यूमन रिसोर्सेस ने रिक्रूटमेंट रिटेंशन और टैलेंट डेवलपमेंट पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया. की गईं. वीपी एचआर और वीपी लाइन ऑपरेशंस की कठोर भाषा ने असंतोष और बढ़ाया. स्थिति को और खराब करते हुए, ऑथॉरिटेरियन सीओओ जिनका बैकग्राउंड एक छोटी एयरलाइन तक सीमित है, को सीनियर लीडरशिप पर अपनी आक्रामक शैली थोपने की खुली छूट दी गई. विडंबना यह है कि पायलट्स की छुट्टियां घटाई जा रही हैं, जबकि सीओओ और सीईओ अपने देश में ज्यादा समय बिता रहे हैं. यस-कल्चर जड़ पकड़ता दिख रहा है. केबिन क्रू को मैनेजर्स द्वारा सीईओ के ईमेल पर हैप्पी इमोजी से जवाब देने का निर्देश दिया जा रहा है और इसे अनिवार्य बताया गया है. मैंने घंटों यूनिफॉर्म में हमारे ग्राउंड स्टाफ, इंजीनियर्स, केबिन क्रू और पायलट्स को यात्रियों के गुस्से का सामना करते देखा है. यह गुस्सा जो पूरी तरह जायज है. लीडरशिप कहीं नजर नहीं आई. यह संकट लीडरशिप, डिसीजन मेकिंग और इम्प्लीमेंटेशन की विफलताओं का नतीजा है. सुधार के लिए मैं इंडिगो के संस्थापकों से अनुरोध करता हूं कि वे अपने लोगों से फिर जुड़ें, एम्प्लॉयी वेलफेयर और कोर बिजनेस गोल्स के बीच संतुलन बनाएं, एम्प्लॉयी-सेंट्रिक पॉलिसीज दोबारा बनाएं और उस मजबूत नींव को बहाल करें जो दो दशकों में बनी थी लेकिन पिछले दो वर्षों में कमजोर हुई है. आज जो मैं देख रहा हूं, उससे मैं गहराई से दुखी हूं, फिर भी आशावान हूं, क्योंकि इस संगठन में अब भी बहुत ताकत और अच्छाई बाकी है. जय हिंद

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Anoop Kumar MishraAssistant Editor

Anoop Kumar Mishra is associated with News18 Digital for the last 6 years and is working on the post of Assistant Editor. He writes on Health, aviation and Defence sector. He also covers development related to ...और पढ़ें

First Published :

December 14, 2025, 15:02 IST

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