प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अफ्रीकी देश घाना के दो दिनों के दौरे पर हैं. वहां की संसद से उन्होंने वहां से लोगों को संबोधित किया. वहां मोदी का स्वागत हिंदू भजन गीतों से हुआ. क्या आपको मालूम है कि घाना अकेला ऐसा अफ्रीकी देश है, जहां हिंदू धर्म तेजी से फैल रहा है और स्थानीय लोगों के बीच लोकप्रिय हो रहा है.
2009 में घाना में हिंदुओं की संख्या लगभग 12,500 थी, जो कुल जनसंख्या का 0.05% थी. वर्ष 2021 तक यह संख्या बढ़कर करीब 30,000 हो गई, जो कुल जनसंख्या का लगभग 0.1% है. हालांकि X की पोस्ट्स पर दावा किया जाता रहा है कि घाना की आबादी में हिंदुओं का अनुपात बढ़कर 1% से 3% तक हो चुका है.
सबसे बड़ी ये है कि घाना में हिंदुओं की संख्या हिंदुस्तान से गए हिंदुओं के कारण नहीं बढ़ी बल्कि वहां के स्वदेशी अफ्रीकी तेजी से इस धर्म को अपना रहे हैं. घाना में हिंदू धर्म बढ़ने की कई वजहें हैं.
ब्रिटिश औपनिवेशिक काल (19वीं-20वीं सदी) में भारत के कई गुजराती और सिंधी व्यापारी पश्चिम अफ्रीका के देशों में बसे. इनमें से कुछ ने घाना (तब का गोल्ड कोस्ट) में व्यापार शुरू किया. इनके साथ मंदिर, त्योहार और धार्मिक परंपराएं भी यहां आईं. हालांकि उस समय तक हिंदू धर्म स्थानीय समाज में ज्यादा फैला नहीं था, लेकिन भारतीयों के संपर्क में आने वाले कुछ अफ्रीकी धीरे-धीरे हिंदू दर्शन से प्रभावित हुए.
घाना की राजधानी अक्रा में अफ्रीकी हिंदू मानेस्ट्री, जिसे स्वामी घनानंद ने स्थापित किया. (wiki commons)
स्वामी घनानंद के असर से बने सबसे ज्यादा हिंदू
इसकी सबसे बड़ी वजह हैं स्वामी घनानंद. जिनके प्रभाव से घाना में हिंदू धर्म को ना केवल स्वीकार्यता मिली बल्कि वो फैलने भी लगा. स्थानीय आदिवासी और निवासी इसको स्वीकार करके हिंदू धर्म में आने लगे. स्वामी घनानंद की कहानी भी बहुत दिलचस्प है.
घाना में अफ्रीकी परिवार में पैदा हुए स्वामी घनानंद
वह घाना में ही मूल अफ्रीकी परिवार में घनाई धर्म में पैदा हुए. फिर हिंदू धर्म स्वीकार करके साधू बन गए. उन्होंने अपने देश में जमकर हिंदू धर्म का प्रचार प्रसार किया. कई मंदिर बनवाए. उनके असर से घाना के हजारों लोग हिंदू बने.
स्वामी घनानंद सरस्वती ने भारत में ऋषिकेश की भी यात्रा की. वहां उन्हें स्वामी कृष्णानंद सरस्वती ने उन्हें संन्यासी के तौर पर दीक्षा दी. इसके बाद वह वापस घाना लौटे. उन्होंने वहां हिंदू धर्म का अभ्यास शुरू किया. कई मंदिर और मठ बनवाए. वह घाना के पहले ऐसे शख्स थे जिन्होंने ना केवल हिंदू धर्म को गहराई से अपनाया बल्कि अफ्रीका में पहले स्वदेशी संत भी बने.
स्वामी घनानंद घाना में ही एक जनजातीय समुदाय में पैदा हुए. फिर उनकी दिलचस्पी हिंदू धर्म में बढ़ी. उन्होंने ये धर्म स्वीकार किया. घाना हिंदू धर्म के प्रचार प्रसार में उनका मुख्य योगदान है. (facebook)
मंदिर बनवाए और वेदांत, योग, भक्ति पर उपदेश दिए
उन्होंने वेदांत, योग और भक्ति पर आधारित उपदेश देने शुरू किए. उन्होंने घाना की राजधानी अक्रा में अफ्रीकन हिंदू मानेस्ट्री की स्थापना की. ये आज घाना में हिंदू धर्म का सबसे बड़ा केंद्र है. उनके नेतृत्व में कई स्थानीय लोग हिंदू धर्म के दर्शन और जीवनशैली से प्रभावित होकर इससे जुड़े. घाना के घानाई हिंदू शिव, काली, हनुमान और कृष्ण के भक्त हैं. वेदांत दर्शन और कर्म सिद्धांत वहां बहुत लोकप्रिय हो रहा है.
क्यों घाना के लोगों को हिंदू धर्म पसंद आया
हिंदू धर्म में बहुदेववाद, योग, ध्यान, वेदांत और कर्म सिद्धांत जैसी बातें स्थानीय अफ्रीकी विश्वास और परंपराओं से मेल खाती हैं. घाना के कई पारंपरिक विश्वासों में आत्मा, पुनर्जन्म, देवता और प्रकृति पूजा की अवधारणा पहले से रही है. इसलिए हिंदू धर्म को अपनाने में लोगों को कोई सांस्कृतिक झटका नहीं लगा. पिछले दो दशकों में घाना के शहरी मध्यमवर्ग में योग, आयुर्वेद, ध्यान और भारतीय संगीत-भजन का काफी प्रचार हुआ है. अध्यात्म की चाह में युवा और पढ़े-लिखे तबके ने इसे तेजी से अपनाया.
घाना में हिंदू धर्म से स्वदेशी संत स्वामी घनानंद (facebook)
हिंदू धर्म ने घाना में “आत्मा जीतने” की नीति के बजाय जीवनशैली और आध्यात्मिक प्रथाओं के माध्यम से लोगों को आकर्षित किया. अफ्रीकन हिंदू टेम्पल के राष्ट्रीय अध्यक्ष क्वेसी अनामोह ने एक इंटरव्यू में कहा था, “हमने लोगों को अपनी जीवनशैली से आकर्षित किया, न कि जबरन धर्मांतरण से.” वह खुद घाना में ही पैदा हुए हैं और वहां के स्वदेशी जनजातीय समुदाय से ताल्लुक रखते हैं.
हिंदू मंदिरों में ईसा मसीह और मरियम की तस्वीरें शामिल करना. स्थानीय लोगों को उनके ईसाई या पारंपरिक नामों के साथ स्वीकार करना, ये घाना में हिंदू धर्म की समावेशी प्रकृति को दिखाता है.
घाना की राजधानी अक्रा के करीब इस्कॉन का श्री श्री राधा गोविंद मंदिर. (wiki commons)
इस्कॉन का भी असर
इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस (ISKCON) ने भी घाना में हिंदू धर्म को बढ़ावा दिया. मेडी (अक्रा के पास) में श्री राधा गोविंद मंदिर ISKCON का प्रमुख केंद्र है. इसकी गतिविधियां स्थानीय और भारतीय समुदायों को साथ लाती हैं.
घाना में सत्या साईं बाबा, आनंद मार्ग और ब्रह्म कुमारी जैसी संस्थाएं भी सक्रिय हैं, जो योग, ध्यान, और सामुदायिक सेवा के माध्यम से हिंदू धर्म को बढ़ावा दे रहे हैं.
भारत के साथ बेहतर संबंधों का भी असर
भारत और घाना के बीच कई दशकों से द्विपक्षीय संबंध भी मजबूत रहे हैं. भारत ने वहां कई अस्पताल, स्कूल, सांस्कृतिक केंद्र खोले हैं. भारतीय उच्चायोग भी लगातार स्थानीय लोगों को आमंत्रित करके त्योहार, योग-दिवस और धार्मिक-सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करता है, जिससे भी स्थानीय लोगों में हिंदू धर्म के प्रति रुचि जगी.
घाना में आर्थिक अनिश्चितता, बेरोजगारी, और सामाजिक चुनौतियों के बीच लोग नए आध्यात्मिक रास्तों की तलाश में हैं. हिंदू धर्म के सिद्धांत, जैसे कर्म, पुनर्जनन, और योग, स्थानीय लोगों को मानसिक और आध्यात्मिक शांति प्रदान करते हैं.