जिस रॉबर्ट क्लाइव ने भारत को गुलाम बनाया, 300 साल बाद उस अंग्रेज से बदला लेगा एक इंडियन !

1 week ago

वो फिल्मी डायलॉग तो आपकी जुबान पर होगा- सबका बदला लेगा तेरा फैज़ल. कुछ ऐसी ही सोच भारतीयों के मन में भी कहीं न कहीं छिपी हुई है. वो चाहे जलियांवाला बाग हत्याकांड हो या देश के अलग-अलग इलाकों में बरतानिया हुकूमत की तरफ से किए गए जुल्म. एक ऐसे ही भारतवंशी ने करीब 300 साल बाद ही सही रॉबर्ट क्लाइव से अपने तरीके से बदला लेने की ठानी है. उन्होंने कैंपेन चला रखा है कि लंदन में विदेश विभाग के बाहर ऐसे शख्स की मुस्कुराती हुई प्रतिमा नहीं होनी चाहिए. क्योंकि यही वो शख्स है जिसने भारत पर ब्रिटिश राज स्थापित करने के लिए जमीन तैयार की थी. 

बेरोनेस डेबोनेयर लेबर पार्टी की वरिष्ठ नेता हैं. विदेश विभाग के बाहर क्लाइव की मूर्ति को गिराने की मांग जोर पकड़ती जा रही है. डेबोनेयर ने कहा, 'विदेश कार्यालय के बाहर क्लाइव की मूर्ति के लिए कोई जगह होनी चाहिए. ये वही क्लाइव है जो भारत में ब्रिटिश साम्राज्य के शुरुआती आर्किटेक्टों में प्रमुख था. वह चेन्नई पहुंचा था, जहां से मेरा परिवार ताल्लुक रखता है. एक तस्वीर में उसे देखकर खुश लोगों को मुस्कुराते हुए दिखाया गया है. यह ऐतिहासिक रूप से सही विश्लेषण नहीं है.'

भारत और यूके के संबंधों का जिक्र करते हुए डेबोनेयर ने कहा कि यह दोनों देशों के बीच हमारे मौजूदा संबंधों के लिहाज से भी ठीक नहीं है. उन्होंने कहा, 'भारत को एक ऐसे देश के रूप में देखना गलत है, जिसे ब्रिटेन ने सभ्य बनाया. 17वीं सदी में भारत में इंजीनियरिंग उद्योग फल-फूल रहा था. उसे खनिज निकालने की जानकारी थी. अविश्वसनीय तकनीकी प्रगति हो रही थी. मुक्त व्यापार समझौते लिखे जाने से पहले ही भारत मुक्त व्यापार के बारे में जानता था. लेकिन एक उपनिवेशवादी ताकत ने इसे बंद कर दिया. ऐसे में यह एक चौंकाने वाली मूर्ति है.' 

एक तस्वीर का जिक्र करते हुए भारतवंशी ने भारतीयों को छोटा दिखाए जाने पर आपत्ति जताई. एक जगह क्लाइव को 1765 में इलाहाबाद में बंगाल बंगाल की ग्रांट प्राप्त करते हुए दिखाया गया है. डेबोनेयर के पिता का कनेक्शन भारत और श्रीलंका से है. उनकी मां ब्रिटिश हैं. वह एक अंतरराष्ट्रीय पुस्तक महोत्सव में बोल रही थीं. 

पूर्व लेबर सांसद ने ब्रिस्टल का प्रतिनिधित्व किया था. वहां 2020 में अश्वेतों के प्रोटेस्ट के दौरान एडवर्ड कॉलस्टन की मूर्ति को गिरा दिया गया था. 

TOI की रिपोर्ट के मुताबिक जॉन ट्वीड द्वारा 1912 में बनाई गई मूर्ति को हटाने की ब्रिटिश विदेश विभाग की कोई योजना नहीं है. ब्रिटिश तो इसे अपनी विरासत मानते हैं. ट्वीड द्वारा बनाई गई क्लाइव की एक संगमरमर की मूर्ति अब भी कोलकाता में स्थापित है. 2020 में इसे गिराने के लिए याचिकाएं दायर की गईं और इसे बनाए रखने के लिए भी याचिका दायर की गई थी. 

कौन था रॉबर्ट क्लाइव

एक जिद्दी और हिंसक बच्चा जिसे कम उमर में ही लड़ने की लत लग गई थी. उदारता और धैर्य तो जैसे उसे पता ही नहीं था. वह गांव में व्यापारियों की सुरक्षा का नेटवर्क चलाता था. पिता की सिफारिश पर उसे 1742 में ईस्ट इंडिया कंपनी में क्लर्क की नौकरी पर रखा गया. तीन महीने बाद वह भारत भेज दिया गया. मद्रास पहुंचा और शुरू से ही उसे भारत से जैसे कोई चिढ़ थी. वह भारतीयों को गुलाम की तरह देखता था. लड़ाई और जोखिम लेने की क्षमता ने उसे लेफ्टिनेंट का पद दिला दिया. आगे उसने कई लड़ाइयां लड़ीं. उसी के नेतृत्व में नवाब सिराजुद्दौला के खिलाफ युद्ध की घोषणा की गई थी.पलासी के मैदान से सिराजुद्दौला को ऊंट पर बैठकर भागना पड़ा. मीर जाफर की मदद से क्लाइव 33 साल की उम्र में यूरोप का सबसे धनवान शख्स बन गया. आगे की कहानी इतिहास है.  

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