कुरुक्षेत्र. अमेरिका जाकर डॉलर कमाने का सपना लेकर डंकी रूट से जाने वाले युवाओं के लिए ये खबर एक सबक हो सकती है. एजेंट को 50 लाख रुपए देकर अवैध रूप से अमेरिका में घुसे कुरुक्षेत्र के गांव उमरी के योगेश कुछ समय पहले डिपोर्ट हुए हैं.
घर लौटे योगेश ने बातचीत में डंकी रूट की 13 वीडियो शेयर किए. जिनमें दिख रहा है कि काफी संख्या में युवा जंगल से गुजर रहे हैं. उनके पांव में छाले पड़े हैं. कीड़े चल रहे हैं. युवा सड़कों के किनारे पर जमीन पर लेटकर रात गुजार रहे हैं. एक कंटेनर में 40-50 लोगों के भरा. सभी को घंटों उकड़ू बैठना पड़ता था और सांस लेना भी मुश्किल था.
डंकरों की मिनी बसों में ठसाठस अवैध प्रवासी भरे हैं. कहीं उफनती नदी के बीच छोटी सी नाव में कई लोगों को डंकी लगवाई जा रही है. कुछ वीडियोज में में महिलाएं व बच्चे भी दिखे. हालांकि सुनहरे सपने लेकर चल रहे युवा एक-दूसरे का हौंसला बढ़ाने के लिए जोश दिखा रहे हैं, जबकि चेहरों पर थकान, आखों के नीचे काले घेरे साफ दिखा रहे हैं, वो वहां क्या झेल रहे थे. कुल सफर 168 दिन में तय हुआ.
उमरी के योगेश ने बताया कि जुलाई 2024 में करनाल के एजेंट अंकित चौधरी, विकास और गुरी ने खुद को सरकारी एजेंट होने का दावा किया. उसे 50 लाख रुपए में अमेरिका भेजकर नौकरी दिलाने का वादा किया. इसमें टिकट, लाइफ इंश्योरेंस और जॉब सिक्योरिटी शामिल थी. एडवांस में 15 लाख रुपए मांगे और बकाया रकम अमेरिका जाकर देना तय हुआ.
ब्राजील में कस्टडी में लिया, छुड़ाने के 15 लाख लिए
एजेंटी ने 22 जुलाई 2024 को फोन किया कि उसकी टिकट हो गई है. 26 जुलाई दिल्ली एयरपोर्ट से फ्लाइट ली. उसे ब्राजील के बीजल एयरपोर्ट पर उतार दिया. जहां कस्टडी में ले लिया गया. तब परिवार ने एजेंट से संपर्क किया. उन्होंने उसे छुड़ाने के लिए 15 लाख रुपए लिए. आरोपी उसे करीब डेढ़ महीने तक ब्राजील में घुमाते रहे. आरोपी बार-बार अमेरिका की सीधी फ्लाइट कराने का आश्वासन देते रहे. फिर जंगलों के रास्ते अमेरिका भेजने का प्लान बनाया. ब्राजील से उसे कार से बोलीविया, पेरू, इक्वाडोर, कोलंबिया पहुंचाया. कोलंबिया में 1 लाख रुपए मांगे. कोलंबिया से पनामा जंगल, कोस्टा रिका, निकारागुआ, ग्वाटेमाला होते हुए मैक्सिको पहुंचाया. वहां आरोपी के गुर्गों ने बंदूक तानकर जान से मारने की धमकी दी. 32 लाख रुपए मांगे. परिवार ने घबराहट में यह रकम मुहैया कराई. मैक्सिको से अमेरिकी बॉर्डर पार कराते ही आर्मी ने उसे पकड़ लिया.
8 महीने में जेल में रखा, फिर डिपोर्ट किया
यहां उनके पास कोई लीगल दस्तावेज नहीं थे. इसलिए उसे पकड़कर जेल में डाल दिया गया. यहां 8 महीने हिरासत में रहने के बाद उसे 11 सितंबर को डिपोर्ट दिया. पुलिस ने शिकायत पर एजेंटों पर केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी. ब्राजील ने उनको गाड़ी के जरिए पनामा के जंगल तक पहुंचाया गया. फॉर सीटर गाड़ी में 10 लोग बैठे थे. गाड़ी की खिड़कियां खोलने की इजाजत नहीं थी. रात को बचते-बचाते गाड़ी ने उनको पनामा के जंगल में छोड़ दिया. यहां उनको दूसरे डोंकर के हवाले कर दिया. इन डोंकर के पास पिस्टल से लेकर AK-47 थी. सुबह उठते ही डोंकर ने चेतावनी दी कि साथ होकर चलना पड़ेगा. किसी ने भागने की कोशिश की तो गोली मार देंगे.
जंगल में टॉर्चर किया, दो दिन खाना और पानी नहीं दिया
जंगल में टॉर्चर किया गया. 2 दिन तक खाना और पानी नहीं दिया गया. पनामा के जंगल में उनको 1 या 2 दिन बाद तभी खाना मिल पाता था, जब डोंकर लेकर आते थे. खाने में सिर्फ एक टाइम चावल मिलते थे. नहर और नदी से पानी भरकर पीते थे.
जंगल पार करने के बाद वे नदी पर पहुंचे थे, लेकिन यहां 4 दिन उनको बोट का इंतजार करना पड़ा. यहां रात को उनको छिपकर रहना पड़ा. 4 दिन तक लगातार बारिश होती रही. इस कारण नदी में अपने उफान पर थी और ठंड अपने चरम पर. उनके पास ओढ़ने के लिए कोई कपड़ा नहीं था, जबकि पनामा जंगल में उनके बैग खाली करवा दिए थे. ठंड में उनकी हालत काफी खराब थी. 4 दिन के बाद आधी रात को अचानक उनकी बोट आई तो उनको आधी नींद से उठाकर बोट में बैठा दिया. करीब 6 घंटे में बारिश, ठंड और उफनती नदी को पार किया.
कोस्टा रिका में करीब 17 घंटे तक कैंटर में उकड़ू बैठे रहे
नदी पार करके और 60 किलोमीटर का पैदल सफर करने के बाद कोस्टारिका पहुंचे. यहां ठंड काफी ज्यादा थी. यहां पहुंचकर उसने एक स्टॉल से पुराने कपड़े खरीदे. 2-3 दिन के बाद उनको एक गाड़ी में ठूंसकर निकारागुआ पहुंचाया. उसके बाद मेक्सिको से अमेरिका बॉर्डर तक पहुंचाने के लिए उनको छोटे कैंटर में बैठा दिया. इस कैंटर में 40 से 50 लोग थे. सबको कैंटर में बैठाकर कैंटर को बाहर से बंद कर दिया. यहां सबको उकड़ू बैठना पड़ा, क्योंकि कैंटर में इतने लोगों के लिए जगह ही नहीं थी. वे करीब 17 घंटे तक कैंटर में उकड़ू बैठे रहे. कैंटर में सांस लेना मुश्किल हो रहा था. 17 घंटे का दमघोंटू सफर तय करने के बाद 10 जनवरी को सीढ़ी की मदद से दीवार पार करवा दी, लेकिन यहां उतरने ही उन्हें आर्मी ने पकड़ हिरासत में ले लिया. एक कटोरी में उबले हुए राजमा दिए जाते थे. करीब 8 महीने हिरासत में रहने के बाद उनको 11 सितंबर को डिपोर्ट करके इंडिया भेज दिया.

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