देशभर में टाइप वन डायबिटीज से जूझ रहे बच्चों की टेंशन खत्म होने वाली है. फ्री वैक्सीन, फ्री दवाओं की तरह अब इन मरीज बच्चों को इंसुलिन पेन और ग्लूकोमीटर निशुल्क दिए जाएंगे. इसकी शुरुआत दिल्ली के सबसे बड़े सरकारी अस्पतालों में से एक सफदरजंग अस्पताल से हो चुकी है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय भारत सरकार इस पहल को सफदरजंग अस्पताल से शुरू करने के बाद देश के बाकी सरकारी अस्पतालों में भी ले जाने वाली है.
सफदरजंग अस्पताल के पीडियाट्रिक विभाग के एंडोक्राइनोलॉजी क्लीनिक में टाइप वन डायबिटीज के करीब 350 से 400 बच्चे रजिस्टर्ड हैं, जिन्हें दिन में कई बार ली जाने वाली इंसुलिन के लिए पेन, ब्लड शुगर लेवल की जांच के लिए ग्लूकोमीटर और स्ट्रिप्स दी जा रही हैं. इसकी शुरुआत अस्पताल की एमएस डॉ. वंदना तलवार ने बच्चों को तीनों चीजें देकर कर दी है. अब आगे जो भी बच्चे अस्पताल में इलाज के लिए आएंगे उन्हें भी ये चीजें निशुल्क दी जाएंगी.
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इस बारे में पीडियाट्रिक एंडोक्राइनोलॉजी विभाग के एचओडी डॉ. रतन गुप्ता ने बताया कि टाइप वन डायबिटीज में बच्चों को जन्म से ही या जन्म के कुछ साल बाद ही डायबिटीज हो जाती है इसे इंसुलिन डेपेंडेंट डायबिटिज भी कहा जाता है. ऐसे बच्चों के खून में शर्करा का स्तर तुरंत कम हो जाता है, इसलिए इन्हें इंसुलिन पर निर्भर रहने वाले डायबिटिक मरीज भी कहा जाता है.
सफदरजंग अस्पताल के क्लीनिक में ज्यादातर बच्चे आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से आते हैं. इन बच्चों को दिन में कम से कम चार बार, नाश्ता, लंच, डिनर आदि से पहले इंसुलिन लेना पड़ता है. अभी तक ये बच्चे इंजेक्शन से इंसुलिन लेते हैं, जिसमें काफी दर्द भी झेलना पड़ता है. वहीं दर्दरहित इंसुलिन पेन की कीमत बाजार में ज्यादा है, जिसे खरीद पाना हर किसी के बस में नहीं होता. इस पेन को त्वचा के पास ले जाना होता है, दर्द भी नहीं होता और एक तय डोज शरीर में पहुंच जाती है. स्वास्थ्य मंत्रालय और पिछले 4 साल से क्लीनिक में इलाज कर रहे डॉ. केआर मीणा, डॉ भावना आनंद और डॉ. जयंति मणि की पहल पर अब फ्री इंसुलिन पेन दिए जा रहे हैं. यह खुशनसीबी है कि इसकी शुरुआत सफदरजंग अस्पताल से हुई है, जल्द ही यह अन्य अस्पतालों में भी मिलेंगे.
स्किन इंन्फेक्शन से भी होगा बचाव
इंजेक्शन से इंसुलिन लेने में लिपोडायस्ट्राफी होने की भी संभावना होती है, यह वह स्थिति होती है जब मरीज के शरीर में एक ही जगह पर इंसुलिन लगाई जाती है, इससे वसा का जमाव एक ही जगह हो जाता है, यह एक तरह का त्वचा संक्रमण होता है. जबकि इंसुलिन पेन से इन सारी जटिलताओं को कम किया जा सकता है.
प्राइेवट अस्पतालों में मिलते हैं इंसुलिन पेन
डॉ. रतन बताते हैं इंसुलिन इंजेक्शन के मुकाबले आधुनिक तकनीक से बना इंसुलिन पेन महंगा होता है. लिहाजा गरीब बच्चे इसे अफॉर्ड नहीं कर पाते. प्राइवेट अस्पतालों में काफी पहले से इंसुलिन पेन टाइप वन डायबिटिक मरीजों को दिया जा रहा है, लेकिन मंत्रालय की पहल अब हर जरूरतमंद बच्चे तक ये सुविधा पहुंचाएगी.
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Tags: Diabetes, Health, Private Hospitals, Safdarjung Hospital
FIRST PUBLISHED :
October 10, 2024, 11:59 IST