Last Updated:September 28, 2025, 14:28 IST
Bihar Chunav 2025 : बिहार चुनाव से ठीक पहले दो ताकतवर यादव नेता राजबल्लभ यादव और गुलाब यादव का जेल से बाहर आना महागठबंधन के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है. राजबल्लभ यादव जहां बाहर आते ही तेजस्वी पर हमला बोला, वहीं मनी लॉन्ड्रिंग मामले में बेल पर छूटे मधुबनी के पूर्व विधायक गुलाब यादव का पुराना इतिहास और गोलमोल जवाब आरजेडी के मजबूत 'यादव दुर्ग' को कहीं हिला न दे.

पटना. बिहार विधानसभा चुनाव की बिसात बिछ चुकी है. राजनीतिक दलों के बीच जातीय समीकरणों को साधने की जोर आजमाइश अब चरम पर पहुंच चुका है. खासकर यादव वोट बैंक को साधने में जबरदस्त कशमकश चल रहा है. आरजेडी के पारंपरिक और मजबूत वोट बैंक पर एनडीए एरिया वाइज फोकस कर पूरे गणित को बिगाड़ने का प्लान तैयार कर रही है. बिहार चुनाव से ठीक पहले दो बड़े और प्रभावशाली यादव नेताओं की जेल से रिहाई ने महागठबंधन खासकर तेजस्वी यादव के नेतृत्व के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर सकती है. पहले नवादा के बाहुबली पूर्व विधायक राजबल्लभ यादव एक नाबालिग के साथ रेप केस में बरी होकर बाहर आए और अब मधुबनी के पूर्व विधायक गुलाब यादव भी प्रवर्तन निदेशालय के एक मामले में जमानत पर बाहर आ चुके हैं.
पिछले ही दिनों नवादा के एक बाहुबली दबंग पूर्व विधायक राजबल्लभ यादव की जेल से रिहाई हुई है. बाहर आते ही राज बल्लभ यादव ने तेजस्वी यादव और उनकी पत्नी राज श्री को लेकर ऐसे हमला बोला, जिसने बिहार की सियासत में तूफान आ गया. अब एक दूसरे यादव नेता और आरेजडी के पूर्व एमएलए गुलाब यादव भी ईडी के एक मामले में बेल लेकर बाहर आ चुके हैं. गुलाब यादव मधुबनी जिले में अच्छा खासा जनाधार रखने का दावा करते हैं. गुलाब यादव के दावे में कापी दम नजर आता है. क्योंकि, पत्नी जहां जिला पार्षद सदस्य है तो वहीं बेटी बिंदु गुलाब यादव मधुबनी जिला परिषद की चेयरमैन हैं. हालांकि, पिछले दिनों गुलाब यादव की बेटी बिंदु गुलाब यादव अपने समर्थकों के साथ मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी में शामिल हो चुकी है. लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव में भी गुलाब यादव महागठबंधन के घटक दल वीआईपी के टिकट पर चुनाव लड़ना चाहते थे. लेकिन टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने पाला बदलकर बीएसपी से चुनाव लड़ा. हालांकि हार गए. लेकन इनका रुतबा इस इलाके में है.
तेजस्वी के यादव दुर्ग उखाड़ने की तैयारी
ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या गुलाब यादव का जेल से बाहर आना तेजस्वी के लिए फायदे का सौदा होगा या फिर जेडीयू गुलाब यादव को लेकर कुछ बड़ा खेल कर सकती है. क्योंकि, जेल से छूटने के बाद गुलाब यादव का गोलमोल जवाब मधुबनी में आरजेडी के लिए उतनी ही मुसीबत खड़ी कर सकती है, जितना नावादा में आरजेडी के पूर्व बाहुबली विधायक राज बल्लभ खड़ी करने जा रहे हैं. गुलाब यादव भी आरजेडी से झंझारपुर चुनाव जीत चुके हैं. खास बात यह है कि उन्होंने बिहार के पूर्व सीएम डॉ जगन्नाथ मिश्रा के बेटे और नीतीश सरकार में मौजूदा उद्योग मंत्री नितीश मिश्रा को 2014 में हराकर एमएलए बने थे.
यादव वोट बैंक में लगेगा सेंध?
वहीं, राजबल्लभ यादव का नवादा और उसके आस-पास के क्षेत्रों में दबदबा रहा है. जेल से बाहर आते ही तेजस्वी यादव और उनकी पत्नी राजश्री पर सीधा और बड़ा हमला बोल चुके हैं. उनका यह आक्रामक रुख साफ दर्शाता है कि वे आरजेडी से अलग अपनी राह बनाने या किसी विपक्षी पाले में जाने को तैयार हैं. दूसरी तरफ, मधुबनी की झंझारपुर सीट पर खासा जनाधार रखने वाले गुलाब यादव की वापसी भी कम महत्वपूर्ण नहीं है. उन्होंने 2014 के विधानसभा उपचुनाव में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. जगन्नाथ मिश्र के बेटे और वर्तमान उद्योग मंत्री नीतीश मिश्र को हराकर अपनी ताकत का लोहा मनवाया था. गुलाब यादव के परिवार का राजनीतिक रसूख काफी मजबूत है. उनकी पत्नी जिला पार्षद हैं और बेटी बिंदु गुलाब यादव वर्तमान में मधुबनी जिला परिषद की चेयरमैन हैं.
गुलाब-राजबल्लभ क्या गुल खिलाएंगे?
हालांकि, गुलाब यादव की राजनीतिक निष्ठा भी सवालों के घेरे में रही है. पिछले लोकसभा चुनाव में जब उन्हें वीआईपी से टिकट नहीं मिला, तो उन्होंने तुरंत पाला बदलकर बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था. जेल से छूटने के बाद गुलाब यादव ने जिस तरह का गोलमोल और अस्पष्ट जवाब दिया है, वह मधुबनी-झंझारपुर क्षेत्र में आरजेडी के लिए वैसी ही मुसीबत खड़ी कर सकता है. बिहार चुनाव से पहले राजनीतिक गलियारों में इस बात की जोरदार चर्चा है कि क्या जनता दल यूनाइटेड या एनडीए गठबंधन गुलाब यादव को अपने पाले में लाकर उत्तर बिहार में यादव वोट बैंक में सेंध लगाने की रणनीति पर काम कर रहा है?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इन दोनों बाहुबली यादव नेताओं का जेल से बाहर आना तेजस्वी यादव की ‘यादव-मुस्लिम’ (एम-वाई) समीकरण पर आधारित राजनीति के लिए एक बड़ी चुनौती है. अगर ये दोनों नेता या तो एनडीए के सहयोगी दलों में शामिल होते हैं या फिर अपने दम पर मजबूत उम्मीदवार उतारते हैं तो यह आरजेडी के वोट बैंक में बिखराव पैदा करेगा. यह बिखराव सीधे तौर पर बीजेपी और जेडीयू के गठबंधन को फायदा पहुंचाएगा. यह स्थिति न सिर्फ तेजस्वी यादव की राजनीतिक यात्रा को कठिन करेगी, बल्कि राहुल गांधी के नेतृत्व वाले महागठबंधन की चुनावी संभावनाओं को भी प्रभावित कर सकती है.
रविशंकर सिंहचीफ रिपोर्टर
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...और पढ़ें
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...
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First Published :
September 28, 2025, 14:28 IST