तेजस्वी के हर अरमान पर नीतीश का कुठाराघात... महागठबंधन की क्यों नींद उड़ी?

6 hours ago

Last Updated:August 04, 2025, 18:13 IST

Bihar Chunav and nitish kumar game planबिहार चुनाव 2025 से पहले नीतीश कुमार ने डोमिसाइल नीति लागू की, जिससे बिहार के युवाओं और महिलाओं को सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता मिलेगी. तेजस्वी यादव का प्रमुख मुद्दा कमज...और पढ़ें

तेजस्वी के हर अरमान पर नीतीश का कुठाराघात... महागठबंधन की क्यों नींद उड़ी?सीएम नीतीश ने तेजस्वी के एक और मास्टर स्ट्रोक पर हथौड़ा मारा है.

हाइलाइट्स

नीतीश ने बिहार में डोमिसाइल नीति लागू की.महिलाओं के लिए 35% आरक्षण सुनिश्चित किया गया.तेजस्वी का प्रमुख मुद्दा कमजोर हुआ.

पटना. बिहार चुनाव 2025 से पहले सीएम नीतीश कुमार ने एक बार फिर से अपने ही एक पुराने फैसले को बदल दिया है. बिहार विधानसभा चुनाव से पहले सीएम नीतीश ने राज्य में डोमिसाइल नीति लागू कर दिया है. बीते दो-तीन सालों में बिहार में डोमिसाइल नीति नहीं लागू होने से लाखों युवाओं को सरकारी नौकरी से वंचित होना पड़ा था. इसी का नतीजा था कि आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने राज्य में सरकार बनने पर डोमिसाइल नीति लागू करने का मास्टर स्ट्रोक चला था. लेकिन खतरे की आहट भांप कर सीएम नीतीश ने तेजस्वी के इस मास्टर प्लान पर झपट्टा मार दिया. सियासी गलियारे में चर्चा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चुपके से इसे लागू कर सियासी बाजी मार ली है. खासकर शिक्षक भर्ती (TRE-4) और अन्य सरकारी नौकरियों में बिहार के निवासियों को प्राथमिकता देने का फैसला और महिलाओं के लिए 35% आरक्षण से नीतीश कुमार बमबम हो गए हैं.

नीतीश के इस फैसले से राज्य में महिला शिक्षकों की चांदी हो सकती है. तेजस्वी यादव ने 2020 के बाद से डोमिसाइल नीति को बिहार के युवाओं और बेरोजगारी के मुद्दे से जोड़कर नीतीश सरकार पर निशाना साध रहे थे. तेजस्वी लगातार दावा करते घूम रहे थे कि बिना डोमिसाइल नीति के बिहार के युवा नौकरियों से वंचित हो रहे हैं. दूसरे राज्यों के खासकर झारखंड, यूपी, बंगाल और हरियाणा के युवा शिक्षक भर्ती में हिस्सा लेकर नौकरी ले रहे थे. इससे राज्य की युवाओं को नुकसान पहुंच रहा था. तेजस्वी ने 27 जून 2025 को ऐलान किया था कि अगर महागठबंधन सत्ता में आया तो डोमिसाइल नीति लागू होगी. उनकी रैलियों और सोशल मीडिया पोस्ट्स में यह मुद्दा युवाओं और शिक्षित वर्ग में जोश भर रहा था.

किस गठबंधन को फायदा?

लेकिन बिहार चुनाव से पहले नीतीश कुमार ने इस मुद्दे को हाईजैक कर लिया. नीतीश ने X पर घोषणा की कि TRE-4 से शिक्षक भर्ती में डोमिसाइल नीति लागू होगी और बिहार के निवासियों को प्राथमिकता दी जाएगी. साथ ही सरकारी नौकरियों में बिहार की महिलाओं के लिए 35% आरक्षण सुनिश्चित किया गया, जबकि पहले दूसरे राज्यों की महिलाएं भी इस कोटे का लाभ ले सकती थीं. यह यूटर्न नीतीश का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है, क्योंकि इससे तेजस्वी का प्रमुख मुद्दा छिन गया.

महिला वोटरों पर प्रभाव

बिहार में 6.68 करोड़ वोटरों में 3.11 करोड़ महिलाएं हैं और पिछले तीन चुनावों 2010, 2015, 2020 में महिला मतदाता पुरुषों से अधिक मतदान करती रही हैं. इन तीनों चुनाव में महिलाएं लगभग 55 प्रतिशत वोट की है. साथ ही नीतीश की शराबबंदी, साइकिल योजना और पंचायतों में 50% आरक्षण ने महिलाओं को उनका वोट बैंक बनाया. अब डोमिसाइल नीति के तहत 35% आरक्षण केवल बिहार की महिलाओं तक सीमित करने का फैसला नीतीश की सियासी चाल है. यह कदम ग्रामीण और अति पिछड़ा वर्ग (EBC) की महिलाओं को लुभा सकता है, जो एनडीए का मजबूत आधार हैं.

शिक्षक भर्ती और अन्य नौकरियां

वहीं, तेजस्वी ने भी महिलाओं के लिए कैश बेनिफिट और शिक्षा पर जोर दिया है, लेकिन उनकी छवि अभी भी ‘जंगलराज’ की परछाई से जूझ रही है. नीतीश का यह फैसला तेजस्वी के वादों की काट बन सकता है, क्योंकि महिलाएं ठोस नीतियों को प्राथमिकता देती हैं. TRE-4 के तहत 70,000 से अधिक शिक्षक पदों की भर्ती में डोमिसाइल नीति लागू होने से बिहार के युवाओं को फायदा होगा. पहले, मैथ्स और साइंस जैसे विषयों में शिक्षकों की कमी के कारण नीतीश सरकार ने डोमिसाइल नीति हटाई थी. लेकिन अब इस यूटर्न से बिहार के बेरोजगार युवाओं, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में नीतीश के प्रति समर्थन बढ़ सकता है.

नीतीश का डोमिसाइल नीति लागू करना एनडीए के लिए फायदेमंद हो सकता है. पहला, यह तेजस्वी के प्रमुख मुद्दे को कमजोर करता है, जिससे महागठबंधन की सियासी जमीन खिसक सकती है. दूसरा, महिला और युवा वोटरों, खासकर EBC और दलित समुदायों, में नीतीश की पकड़ मजबूत होगी. तीसरा, बीजेपी का सवर्ण और शहरी वोट बैंक नीतीश के इस कदम से और एकजुट हो सकता है. हालांकि, तेजस्वी अभी भी युवाओं और महागठबंधन के यादव-मुस्लिम-दलित वोट बैंक के सहारे वापसी की कोशिश करेंगे.

रविशंकर सिंहचीफ रिपोर्टर

भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...और पढ़ें

भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...

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First Published :

August 04, 2025, 18:13 IST

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