Last Updated:October 23, 2025, 14:14 IST
Tejashwi Yadav CM face: बिहार चुनाव में महागठबंधन के भीतर तेजस्वी यादव को सीएम चेहरा घोषित करने को लेकर चली आ रही खींचतान आखिर कैसे खत्म हुई? इस बड़ी घोषणा के लिए कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने अशोक गहलोत को ही पटना क्यों भेजा? क्यों राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे रहे अनुपस्थित? पढ़ें इनसाइड स्टोरी.

Tejashwi Yadav CM face: तेजस्वी यादव बिहार चुनाव में महागठबंधन का मुख्यमंत्री पद का चेहरा बन गए हैं. गुरुवार को महागठबंधन की प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसका ऐलान आखिर हो गया. लेकिन न राहुल गांधी और न ही कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इस पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया दी है. खास बात यह है कि न ही उनकी मौजूदगी में यह ऐलान हुआ है. बिहार चुनाव के ऐलान से ठीक पहले 16 दिनों तक राहुल गांधी और तेजस्वी यादव बिहार की सड़कों पर ‘वोटर अधिकार यात्रा’ में एक साथ घूमते रहे. इस दौरान कई बार पत्रकारों ने राहुल गांधी से महागठबंधन के सीएम फेस को लेकर कई बार सवाल पूछे, लेकिन वह हर बार सवाल टाल जाते. अब राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को इस ऐलान के लिए पटना क्यों आना पड़ा? क्या गुरुवार को कांग्रेस तेजस्वी के नाम का ऐलान नहीं करती तो फिर क्या होता?
बिहार विधानसभा चुनाव के लिए महागठबंधन का सबसे बड़ा सवाल गुरुवार को समाप्त हो गया, जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में तेजस्वी यादव को गठबंधन का मुख्यमंत्री चेहरा घोषित कर दिया. यह फैसला कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी के आदेश पर किया गया था, लेकिन सवाल यह उठता है कि इतने महत्वपूर्ण ऐलान के लिए शीर्ष नेतृत्व ने पटना आने या वर्चुअल जुड़ने के बजाय अशोक गहलोत को ही क्यों चुना? यह फैसला महागठबंधन की आंतरिक राजनीति और रणनीतिक मजबूरी का परिणाम है.
संजय यादव ने अशोक गहलोत को यह कागज दिया था.
सहमति कैसे बनी? लालू फैक्टर और जमीनी दबाव
महागठबंधन में तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने पर कांग्रेस की दुविधा काफी पुरानी थी. तेजस्वी पर भ्रष्टाचार के आरोप और आईआरसीटीसी मामले में चार्जशीट को लेकर राहुल गांधी की असहजता किसी से छिपी नहीं थी. कांग्रेस के कुछ तबकों का मानना था कि सीएम चेहरा घोषित न करके चुनाव लड़ने से जातीय समीकरणों को साधा जा सकता है. हालांकि, जमीनी वास्तविकता और लालू फैक्टर ने कांग्रेस को झुकने पर मजबूर कर दिया. बिहार में आरजेडी ही गठबंधन का सबसे बड़ा आधार है और तेजस्वी यादव ही एकमात्र ऐसे युवा चेहरे हैं, जो सत्तारूढ़ एनडीए को चुनौती दे सकते हैं. तेजस्वी के नेतृत्व को नकारने का मतलब लालू के पारंपरिक MY समीकरण को बिखेरना होता.
सीट बंटवारे का पेच
पिछले कुछ दिनों से महागठबंधन में सीट बंटवारे पर गंभीर टकराव था, जिसमें कम से कम 12 सीटों पर कांग्रेस और आरजेडी के उम्मीदवार आमने-सामने थे. तेजस्वी को सीएम फेस मानने के बदले आरजेडी ने कुछ सीटों पर ‘दोस्ताना मुकाबले’ को खत्म करने की बात पर सहमति बनाई होगी. मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी का भी दबाव था, जिन्होंने बीजेपी से बदला लेने के लिए गठबंधन में शामिल होने की शर्त रखी थी. तेजस्वी को सीएम फेस बनाने के साथ ही मुकेश सहनी को उपमुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया गया, जिससे यह सहमति पक्की हुई.
राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की फाइल फोटो
राहुल और खरगे क्यों नहीं आए?
इस बड़े ऐलान के लिए राहुल गांधी या मल्लिकार्जुन खरगे के बजाय अशोक गहलोत को भेजने के पीछे कांग्रेस की सोची-समझी रणनीति है. इसे ‘रणनीतिक फेस सेविंग’ के तौर पर देखा जा रहा है. पहला, राहुल गांधी हमेशा भ्रष्टाचार के मुद्दे पर आक्रामक रहे हैं. तेजस्वी के खिलाफ चल रहे मामलों के कारण राहुल गांधी यदि खुद ऐलान करते तो विपक्षी दल ‘दोहरे मापदंड’ का आरोप लगाते. गहलोत को भेजकर, हाईकमान ने एक दूरी बनाए रखी. अशोक गहलोत कांग्रेसी राजनीति में एक वरिष्ठ और अनुभवी चेहरा हैं, जो संवैधानिक रूप से एक राज्य के पूर्व सीएम रहे हैं. उन्हें आगे करके, कांग्रेस ने यह संदेश दिया कि यह फैसला बिहार इकाई और गठबंधन के नेताओं के सहयोग से लिया गया है न कि सिर्फ दिल्ली से थोपा गया है.
गहलोत ने पीछे रहकर भी यह साफ कर दिया कि फैसला खरगे और राहुल गांधी का ही है. उनके इस ऐलान से यह साबित हुआ कि महागठबंधन अब पूरी तरह से एकजुट है और बिहार में सत्ता परिवर्तन के लिए एक मजबूत विकल्प के साथ मैदान में उतरा है. यह घोषणा न सिर्फ तेजस्वी यादव को बढ़ावा देती है, बल्कि गठबंधन में चल रहे आंतरिक संघर्ष पर भी विराम लगाती है, जिससे अब सभी घटक दल पूरी शक्ति के साथ चुनाव में उतरेंगे.
रविशंकर सिंहचीफ रिपोर्टर
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...और पढ़ें
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...
और पढ़ें
First Published :
October 23, 2025, 14:10 IST