हरियाणा चुनाव रिजल्ट: हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 इस बात के लिए याद किया जाएगा कि बीजेपी ने किस तरह से हारी हुई बाजी को जीत में बदल दी. यह चुनाव इस बात के लिए भी याद रखा जाएगा यहां पहली बार किसी पार्टी की सरकार लगातार तीसरी बार बनी. हरियाणा में बीजेपी की यह जीत आने वाले दिनों में राजनीतिक दलों के बीच भी चर्चा का विषय बनेगा कि आखिर सभी एग्जिट पोल के नतीजों में जीतने वाली कांग्रेस हार कैसे गई? सभी एग्जिट पोल के नतीजों में हारने वाली बीजेपी कैसे गई जीत? क्या बीजेपी ने बता दिया कि उसे हारी हुई बाजी भी जीतना आता है? राजनीतिक विश्लेषक इसके मायने निकलाने में लग गए होंगे. लेकिन, एक बात तय है कि इस चुनाव ने कई पुराने दिगभ्रतियों को नेस्तनाबूद कर दिया.
चुनाव से पहले सीएम बदलना रहा कारगर
आपको बता दें कि बीते लोकसभा चुनाव में भी एग्जिट पोल की धज्जियां उड़ गई थी. हरियाणा चुनाव में भी एक बार फिर से एग्जिट पोल की हवा निकल गई है. बीजेपी हरियाणा की सत्ता में तीसरी बार वापसी करने जा रही है. बता दें कि सीएम बदलने का फैसला हो या गैर जाट पर फोकस करने की रणनीति बीजेपी ने बड़ी चालाकी से कांग्रेस को पटखनी दे दी.
बीजेपी का दलित वोट पर फोकस
पिछले दो दशकों से जाट पॉलिटिक्स के बल पर हरियाणा में कांग्रेस राज करती आ रही थी, उसी जाट राजनीति को हथियार बना कर बीजेपी ने कांग्रेस को धूल चटा दी. कांग्रेसी सोच रहे होंगे कि आखिर चूक हुई तो कहां हुई और कैसे हुई? इसको लेकर आने वाले दिनों में कांग्रेस में सर-फुटव्वल भी तय माना जा रहा है. लेकिन, बीजेपी ने जिस होशियारी से किला फतह की है उसकी आने वाले दिनों में तारीफ से कोई नहीं रोक सकता है.
नए उम्मीदवारों को टिकट
बीजेपी की मजबूत रणनीति ने कांग्रेस को उसके मजबूत किले में मार गिराया. बीजेपी की यह रणनीति तो 6 महीने पहले ही बन कर तैयार हो गई थी, जब सीएम बदल दिया गया. चुनाव से पहले सीएम बदलना भी बीजेपी की एक रणनीति का हिस्सा था. इसके बाद बीजेपी अपने तरकश से एक-एक तीर सारे तीर निकाले. जैसे दो दर्जन एमएलए का टिकट काट देना.
बागियों को अहमियत नहीं
बागियों को मनाने के बजाए जमीनी कार्यकर्ताओं को मानने में जोर लगाना, दलित वोट पर फोकस करना, डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला को ज्यादा भाव नहीं देना, गैर जाट वोट को अपने तरफ लाने के लिए छोटी-छोटी जातियों के नेताओं का साधना, सरकार की कई वेलफेयर स्कीम दलितों के लिए शुरू करना और फिर जमीन पर आक्रमक प्रचार करना रणनीति का हिस्सा था.
गैर जाट वोट की लामबंदी
हरियाणा को करीब से जानने वाले वरिष्ठ पत्रकार सुशील कुमार सिंह कहते हैं, ‘कांग्रेस की हार का बड़ा कारण पार्टी की अंदरुनी राजनीति रही. मेरे समझ से दलित वोटों में बंटवारा हुआ है. लेकिन, इसके बावजूद सिरसा और आंबला इलाके में कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन किया है. कांग्रेस को जाट और अहीर सीटों पर बड़ा नुकसान होता दिख रहा है.’
जाट बनाम गैर जाट की रणनीति
सिंह आगे कहते हैं, ‘बीजेपी ने एससी में ही वंचित 52 प्रतिशत की आबादी को साध लिया. 36 जातियों को अपने पाले में लाने के लिए एससी में वर्गीकरण का फैसला किया है. हरियाणा कैबिनेट ने बीते 17 अगस्त को एससी के इन वंचित जातियों में 20 प्रतिशत कोटे में 50 प्रतिशत आरक्षण देना का फैसला किया था. एससी की कुल आबादी में इन 36 वंचित जातियों की आबादी हरियाणा में 52.40 प्रतिशत है. इस चुनाव में ये वंचित एससी ने बीजेपी के पक्ष में वोट किया.’
वेलफेयर स्कीम पर दांव
सिंह आगे कहते हैं, ‘हरियाणा में तकरीबन 21 प्रतिशत दलित आबादी है. जाट तकरीबन 23 प्रतिशत, पंजाबी वोटर्स 8 प्रतिशत हैं. वहीं, ब्राह्मण 7.5 से 8.5 प्रतिशत के बीच हैं. अहीर 5.14 प्रतिशत, वैश्य 5 प्रतिशत और जाट सिख 4 प्रतिशत हैं. मेव और मुस्लिम तकरीबन 4 प्रतिशत के आसपास हैं. राजपूत तकरीबन 3.5 प्रतिशत और गुर्जर भी करीब इतने के बराबर ही हैं. इन जातियों के वोट ज्यादतर वोट बीजेपी के पाले में आते दिख रहे हैं.’
दुष्यंत चौटाला से दूरी और आक्रमक प्रचार
इसके साथ ही सीएम बनते ही नायब सिंह सैनी का सीएम आवास का गेट 24 घंटे के लिए खोल देना भी काफी अहम रहा. लोगों की शिकायतों को न केवल सुना जाता था बल्कि तुरंत ही कार्रवाई भी होने पर जनता में नया विश्वास जगना. ये छोटी-छोटी बातें थीं, जो छह महीने में बड़ा बन गई. इसका मैसेज जनता में सही गया और लोगों का सैनी को लेकर नजरिया बदलने लगा. साथ ही चुपके-चुपके जातीय समीकरण को साधने के लिए कई योजनाएं और फिर चुनाव के घोषणा के बाद कैबिनेट द्वारा एससी कोटे के अंदर कोटे का दांव खेलना कांग्रेस की लुटिया डुबा दी.
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FIRST PUBLISHED :
October 8, 2024, 18:15 IST