Last Updated:December 12, 2025, 21:18 IST
Property Dispute : कई बार ऐसा देखा गया है कि परिवार शहर में शिफ्ट हो जाता है और पोते को गांव की जमीन में हक नहीं मिलता है. गांव में रहने वाले दादा और चाचा भी उसे संपत्ति में हिस्सा देने में आनाकानी करते हैं. ऐसी स्थिति में पोते के पास क्या अधिकार हैं और कैसे वह दावा कर सकता है.
दादा की पैतृक संपत्ति में पोते को जन्म से ही अधिकार मिल जाता है. Property Right : ऐसा कई बार देखा गया है कि घर के युवा पढ़ाई और नौकरी करने बाहर चले जाते हैं या फिर उनका पूरा परिवार ही शहर में रहने लगता है. कई मामलों में पिता की मृत्यु के बाद बेटे को अपनी पैतृक संपत्ति में हिस्सा लेने में भी दिक्कतें आती हैं. गांव वापस आकर अपने दादा और चाचा से हिस्सा मांगना उन्हें भारी पड़ जाता है. कई बार तो दादा-चाचा की ओर से उन्हें हिस्सा ने देने की भी बात कही जाती है. ऐसी स्थिति में पोते के पास अपने हक के लिए क्या विकल्प बचते हैं और वह किस रास्ते से चलकर अपनी संपत्ति का दावा प्राप्त कर सकता है.
अमूमन संपत्ति के पारिवारिक विवाद आपस में ही बैठकर सुलझ जाते हैं, लेकिन अगर यह लड़ाई कानून के दरवाजे तक पहुंचती है तो फिर इसमें लंबा समय लग सकता है और दोनों ही पक्षों को इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है. लिहाजा इन पर आगे बढ़ने से पहले यह जानते हैं कि दादा की संपत्ति में पोते का कितना हक होता है, जबकि दादा ही उसे खुद न देना चाहे. अगर पिता जीवित हैं तब तो बेटे के लिए आसानी होती है, लेकिन उनके न रहने पर ज्यादा मुश्किल हो जाती है.
कितना होता है पोते का अधिकार
दादा की संपत्ति पर पोते का कितना अधिकार होता है, इसकी पहचान प्रॉपर्टी के प्रकार पर निर्भर करती है. इसका निर्धारण हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 के अनुसार होता है. सबसे पहले आाप यह समझिए कि संपत्ति मूल रूप से दो प्रकार की होती है. पहली पैतृक संपत्ति और दूसरी जो खुद की मेहनत से कमाकर एकत्र की जाती है. दोनों ही संपत्तियों में पोते का अधिकार अलग-अलग होता है. अगर संपत्ति पैतृक है तो उसमें सीधे तौर पर पीढ़ी दर पीढ़ी का नियम लागू होगा और यह संपत्ति पोते को मिल जाएगी. अगर पिता जीवित हैं तो पहले संपत्ति उनके नाम पर जाएगी और फिर बेटे के नाम पर.
दादा ने खुद से बनाई संपत्ति तो…
पैतृक संपत्ति में जहां पोते को जन्म से ही अधिकार मिल जाते हैं, वहीं दादा की ओर खुद अर्जित की गई संपत्ति पर सीधे तौर पर अधिकार नहीं मिलता है. इस कैटेगरी में ऐसी संपत्तियां आती हैं, जो दादा ने अपने जीवनकाल में नौकरी करके बनाई होती है या फिर कारोबार आदि के जरिये संपत्ति अर्जित की है. इस तरह की प्रॉपर्टी में दुकान, फ्लैट, जमीन, मकान और व्यावसायिक संपत्तियां आती हैं. ऐसी संपत्ति के एकमात्र मालिक दादा ही होते हैं और वे अपनी इच्छानुसार किसी को भी इसे दे सकते हैं. वह चाहें तो किसी को दान कर दें या फिर बेच भी सकते हैं. हालांकि, अगर दादा की मर्जी है तो वह इस संपत्ति को अपने पोते को भी दे सकते हैं.
बिना वसीयत की है संपत्ति तो क्या होगा
अगर दादा ने खुद से बनाई संपत्ति को किसी को भी नहीं दिया और बिना वसीयत किए ही उनकी मौत हो जाती है तो फिर इस प्रॉपर्टी पर भी हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम लागू होंगे. ऐसे में संपत्ति का विभाजन कानून में तय क्रम के हिसाब से किया जाएगा. ऐसे में संपत्ति पर पहली प्राथमिकता दादा की पत्नी यानी दादी, उनके सभी बेटे और बेटियों की बराबर रूप से होगी. हालांकि, अगर पिता नहीं हैं तो पोते के पास इस संपत्ति पर भी दावा करने का अधिकार होगा. कानून के हिसाब से ऐसे मामलों में पोते को अपने पिता का हिस्सा मिल जाता है और उसका अधिकार भी होता है.
पिता जीवित हैं क्या तब भी है अधिकार
हिंदू उत्तराधिकार कानून काफी मजबूत माना जाता है और इसमें पोते को जन्म लेते ही संपत्ति पर अधिकार मिल जाता है. अगर उसके पिता और दादा जीवित भी हैं तो भी पोते को संपत्ति में अपना हिस्सा मांगने का हक मिल जाता है. इसका मतलब है कि वह पिता और दादा के रहते हुए भी अपने हिस्से की संपत्ति का बंटवारा कर सकता है. हालांकि, दादा के खुद बनाई संपत्ति पर पोते को सीधे तौर पर दावा करने का अधिकार नहीं मिलता है.
कैसे करें अपने हक का दावा
सबसे पहले आप दादा की संपत्ति के सभी जरूरी दस्तावेजों की गहन रूप से जांच करें. इन डॉक्यूमेंट में प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री, दादा की बनाई वसीयत अगर है तो, दाखिल खारिज के रिकॉर्ड, खसरा-खतौनी और अन्य जमीन से जुड़े अभिलेखों की जांच करें. पहले तो कोशिश करें कि सारा मामला बातचीत से निपट जाए, इसके लिए रिश्तेदारों और मध्यस्थतों की मदद ले सकते हैं. अगर प्रॉपर्टी का विवाद फिर भी नहीं सुलझ रहा है तो फिर आपको सिविल कोर्ट का रुख करना चाहिए. इसके लिए आप प्रॉपर्टी के बंटवारे का मुकदमा दायर कर सकते हैं. किसी अच्छे वकील के जरिये अपनी बात कोर्ट में रखें और कुछ इंतजार के बाद प्रॉपर्टी में हिस्सा प्राप्त कर सकते हैं.About the Author
प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...और पढ़ें
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
December 12, 2025, 21:18 IST

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