दिन में मजदूरी, रात में पढ़ाई, टूटे फोन से नीट की तैयारी, अब कर रहे हैं MBBS

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Last Updated:September 28, 2025, 11:59 IST

NEET Success Story: नीट दुनिया की सबसे कठिन प्रवेश परीक्षाओं की लिस्ट में शामिल है. इसमें सफल होने के लिए परीक्षार्थी कई-कई साल कोचिंग करते हैं. लेकिन अभ्यर्थियों की इसी भीड़ में से सरफराज ने बिना कोचिंग के नीट यूजी परीक्षा क्रैक कर ली.

दिन में मजदूरी, रात में पढ़ाई, टूटे फोन से नीट की तैयारी, अब कर रहे हैं MBBSSarfaraz NEET Success Story: सरफराज ने आर्थिक समस्याओं का सामना करते हुए नीट पास की

नई दिल्ली (NEET Success Story). यह कहानी दिहाड़ी मजदूर शेख सरफराज की है. अब आप सोचेंगे कि भला दिहाड़ी मजदूर की कहानी आपको क्यों जाननी. दरअसल, धूप-बारिश-ठंड.. हर मौसम में सिर पर ईंटें ढोने वाले इस दिहाड़ी मजदूर ने नीट यूजी परीक्षा पास करके एक मिसाल पेश की है. नीट दुनिया की सबसे कठिन प्रवेश परीक्षाओं में से एक है. इसमें सफल होने के लिए 12वीं पास उम्मीदवार लाखों की फीस देकर कोचिंग का सहारा लेते हैं. कई तो उसके बाद भी पास नहीं हो पाते हैं. लेकिन सरफराज की कहानी इनसे अलग है.

सरफराज पश्चिम बंगाल के पूर्व मेदिनीपुर जिले के रहने वाले हैं. उनका परिवार मजदूरी कर गुजर-बसर करता है. घर की आर्थिक स्थिति खराब होने की वजह से सरफराज भी मजदूरी में हाथ बंटाने लगे. वह रोजाना सुबह 6 से दोपहर 2 बजे तक सिर पर ईंटें ढोने का काम करते थे. इसके बदले में उन्हें रोजाना 300-400 रुपये मिलते थे. इसके बाद वह पढ़ाई में जुट जाते थे. उनका सपना एनडीए में जाने का था लेकिन वह उसे साकार नहीं कर पाए. उसके बाद उन्होंने डॉक्टर बनने का सपना देखा और उसकी तैयारी में जुट गए.

Motivational Story in Hindi: एनडीए की लिखित परीक्षा में हो गए थे पास

पश्चिम बंगाल के इस होनहार छात्र ने साल 2022 में एनडीए परीक्षा दी थी. वह एनडीए की लिखित परीक्षा में सफल भी हो गए थे. लेकिन नियति को उनके लिए कुछ और ही मंजूर था. एनडीए इंटरव्यू से 1 महीने पहले उनका एक्सीडेंट हो गया. इसके बाद वह एनडीए के मेडिकल परीक्षण में अयोग्य ठहरा दिए गए. उनकी जगह कोई और होता तो शायद किस्मत को दोष देता या हार मानकर बैठ जाता.. पर सरफराज तो किस्मत के आगे घुटने टेकने वालों में से थे नहीं और इसीलिए वह इसके तुरंत बाद नीट परीक्षा की तैयारी में जुट गए.

टूटे फोन से नीट की तैयारी

सरफराज के परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी खराब थी कि उनके पास स्मार्टफोन भी नहीं था. तब उन्होंने अपने शिक्षक से टूटी स्क्रीन वाला फोन उधार लिया. उनके पास कोचिंग जाने का बजट नहीं था. इसलिए उन्होंने उसी टूटी स्क्रीन वाले फोन पर ऑनलाइन लेक्चर अटेंड किए. 8 घंटे की मजदूरी से लौटने के बाद वह 1 घंटे आराम करते थे. फिर नीट का रिवीजन और पिछले सालों के पेपर हल करते थे. सरफराज और उनकी मां का सपना था कि वे डॉक्टर बनें. लेकिन उनके आस-पास के लोगों ने उनका मजाक उड़ाने में कोई कमी नहीं रखी थी.

इस मेडिकल कॉलेज में मिला एडमिशन

सरफराज ने साल 2024 में हुई नीट यूजी परीक्षा में सफलता हासिल कर अपने सपनों की मंजिल का एक पड़ाव पूरा कर लिया. नीट यूजी 2024 में उन्होंने 720 अंकों में से कुल 677 अंक हासिल किए. फिर कोचिंग संस्थापक अलख पांडे से आर्थिक मदद मिलने के बाद उन्हें नील रतन सरकार मेडिकल कॉलेज में दाखिला मिल गया. इन दिनों वह इसी मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे हैं. डॉक्टर बनने के बाद सरफराज गरीब तबके के लोगों का मुफ्त इलाज करना चाहते हैं.

Deepali Porwal

With over more than 10 years of experience in journalism, I currently specialize in covering education and civil services. From interviewing IAS, IPS, IRS officers to exploring the evolving landscape of academi...और पढ़ें

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First Published :

September 28, 2025, 11:59 IST

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