Earthquake in Delhi-NCR: मंगलवार की सुबह भारत ही नहीं बल्कि पड़ोसी देश नेपाल, तिब्बत, भूटान, बांग्लादेश और चीन में भी भूंकप के झटके महसूस किए गए. रिएक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 7.1 थी. इसका केंद्र तिब्बत के शिगाज़े में था. भूकंप से सबसे ज्यादा तबाही तिब्बत में हुई. इस भूकंप में 126 लोगों की जान चली गई और लगभग 3600 घर तबाह हो गए. पहला भूकंप सुबह 5:41 बजे 4.2 की तीव्रता का आया. इसके बाद दूसरे भूकंप 7.1 की तीव्रता का था. भूकंप का सिलसिला थमा नहीं. यहां बार-बार भूकंप के झटके महसूस किए गए. लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि भूकंप का केंद्र अक्सर नेपाल, पाकिस्तान, अफगानिस्तान या हिंदूकुश ही क्यों रहता है? हिंदूकुश उत्तरी पाकिस्तान से मध्य अफगानिस्तान तक फैली हुई एक 800 किमी लंबी पर्वत श्रृंखला है. यह पर्वतमाला हिमालय क्षेत्र के अंतर्गत आती है.
विशेषज्ञों के मुताबिक, भारत की जमीन लगातार खिसक रही है. इसीलिए इन इलाकों में बार-बार भूकंप आते हैं. दरअसल, इंडियन टेक्टोनिक प्लेट्स खिसकते हुए यूरेशियन और तिब्बत प्लेट्स को लगातार दबा रही हैं. इंडियन प्लेट्स के खिसकने के दौरान तिब्बत और यूरेशियन प्लेटों से होने वाले टकराव के कारण अफगानिस्तान, पाकिस्तान, नेपाल और हिंदूकुश में भूकंप का केंद्र बनता है. इसी कारण पाकिस्तान से लेकर भारत के पूर्वोत्तर राज्यों तक पूरे हिमालयी क्षेत्र में भूकंप का आना आम बात है.
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… तो आ सकते हैं भूकंप के तेज झटके
एशियाई देशों के नीचे मौजूद अलग-अलग टेक्टोनिक प्लेट्स के आपसी टकराव के कारण काफी ऊर्जा भी बन रही है. इंडियन टेक्टोनिक प्लेट हर साल 20 मिमी की रफ्तार से तिब्बतन प्लेट की तरफ बढ़ रही हैं. वहीं, तिब्बत की प्लेट खिसक ही नहीं पा रही हैं. ऐसे में टकराव के कारण पैदा होने वाली ऊर्जा भूकंप के हल्के और कभी-कभी तेज झटके के तौर पर बाहर निकलती है. अगर तिब्बतन प्लेट्स के नजदीक जमा होने वाली ऊर्जा तेजी से निकली तो भूकंप के बहुत तेज झटके आ सकते हैं.
हिमालयी क्षेत्र में बड़े भूकंप का खतरा
वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी हुई है कि हिमालय क्षेत्र में एक बड़ा भूकंप आने का खतरा मंडरा रहा है. अगर ऐसा हुआ तो बहुत बड़े इलाके में इसका असर दिखाई दे सकता है. आईआईटी कानपुर के अर्थ साइंस डिपार्टमेंट के प्रोफेसरों ने भी भविष्य में एक बड़े भूकंप की आशंका जताई है. उनका कहना है कि धरती के नीचे इंडियन प्लेट और यूरेशियन प्लेट के बीच टकराव लगातार बढ़ रहा है.
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दिल्ली-एनसीआर सबसे जोखिम भरा क्षेत्र
भू-वैज्ञानिकों ने दिल्ली-एनसीआर को भूकंप के जोन-4 में रखा है. इसका मतलब है कि यहां 7.9 तीव्रता तक का भूकंप आ सकता है. अगर इतनी तीव्रता का भूकंप आता है तो दिल्ली-एनसीआर में भयंकर तबाही का मंजर देखने को मिल सकता है. हालांकि इससे भी सबसे खतरनाक जोन-5 है. इस जोन में कश्मीर घाटी, हिमाचल प्रदेश का पश्चिमी हिस्सा, उत्तराखंड का पूर्वी हिस्सा, गुजरात में कच्छ का रण, उत्तरी बिहार का हिस्सा, भारत के सभी पूर्वोत्तर राज्य, अंडमान व निकोबार द्वीप समूह आते हैं.
दिल्ली-एनसीआर का इलाका भूकंप के जोन-4 में होने के अलावा इसलिए भी अधिक संवेदनशील है, क्योंकि यह हिमालय में टेक्टोनिक प्लेट्स के आपसी टकराव वाले क्षेत्र के बेहद नजदीक है. दिल्ली-एनसीआर से हिमालयी क्षेत्र की दूरी लगभग 250 किमी है. इसके अलावा दिल्ली-एनसीआर से तीन फाल्ट लाइनें गुजरती हैं. दिल्ली-एनसीआर भूंकप के लिहाज से दो संवेदनशील इलाकों के बीच पड़ता है.
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हर दिन आते हैं 55 से ज्यादा भूकंप
भू-वैज्ञानिकों का कहना है कि हिमालयी क्षेत्र में बहुत ज्यादा ऊर्जा इकट्ठी हो गई है. अगर ये ऊर्जा एकसाथ बाहर निकली तो भयंकर असर दिखाएगी. इस ऊर्जा की निकासी को भारत, पाकिस्तान, चीन, नेपाल ही नहीं कई एशियाई देश बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे. भूकंप पर नजर रखने वाली अमेरिकी साइट यूएसजीएस के मुताबिक, दुनियाभर में हर दिन करीब 55 भूकंप आते हैं. इनमें ज्यादातर हल्के होते हैं. फिर भी इनकी तीव्रता 5 के आसपास रहती है. वहीं, तीन से चार भूकंप की तीव्रता 6 से ज्यादा होती है.
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FIRST PUBLISHED :
January 8, 2025, 11:52 IST