न कंपनी बनाई और न माल बेचा, फिर भी रिफंड के नाम पर सरकार से वसूल लिए 645 करोड़

2 hours ago

Last Updated:November 14, 2025, 07:17 IST

GST Fraud : जीएसटी अधिकारियों ने एक बार फिर फर्जीवाड़े को उजागर किया है. दिल्‍ली-एनसीआर में हुई छापेमारी के दौरान पता चला है कि 229 फर्जी कंपनियों माध्‍यम से फर्जी इनपुट टैक्‍स क्रेडिट के जरिये 645 करोड़ रुपये वसूल लिए गए.

न कंपनी बनाई और न माल बेचा, फिर भी रिफंड के नाम पर सरकार से वसूल लिए 645 करोड़फर्जी कंपनियां बनाकर आईटीसी के जरिये जीएसटी फ्रॉड किया जाता है.

नई दिल्‍ली. सरकार ने जीएसटी जैसे नियम बनाकर देश के करोड़ों कारोबारियों को सहूलियत और आसान प्रक्रिया देने की कोशिश, लेकिन कुछ लोग इसका गलत फायदा उठाते हैं. ऐसे ही लोगों के एक गिरोह का हाल में भंडाफोड़ किया गया, जहां बिना किसी माल आपूर्ति या कंपनी के ही रिफंड के नाम पर सरकार से 645 करोड़ रुपये वसूल लिए गए. इसके लिए 229 फर्जी कंपनियां बनाई और इन कंपनियों के नाम पर इनपुट टैक्‍स क्रेडिट वसूला.

वित्‍त मंत्रालय ने बताया कि जीएसटी आसूचना महानिदेशालय (डीजीजीआई) ने दिल्‍ली-एनसीआर में कई जगहों पर छापेमारी की. इसमें जीएसटी अधिकारियों ने कथित तौर पर 229 फर्जी जीएसटी पंजीकृत फर्मों के माध्यम से 645 करोड़ रुपये के आईटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) की धोखाधड़ी करने वाले एक गिरोह का भंडाफोड़ किया. जीएसटी आसूचना महानिदेशालय (डीजीजीआई), दिल्ली क्षेत्रीय इकाई ने राष्ट्रीय राजधानी में कई परिसरों में तलाशी अभियान चलाया. इस दौरान बड़ी मात्रा में आपत्तिजनक दस्तावेज, डिजिटल उपकरण और बहीखाते बरामद हुए. इनसे पता चला कि यह फर्जी कंपनियां बिना किसी माल या सेवा की वास्तविक आपूर्ति के चालान जारी कर रही थीं.

तलाशी में क्‍या-क्‍या बरामद
तलाशी अभियान के दौरान बरामद किए गए सामानो में 162 मोबाइल फोन शामिल थे, जिनका उपयोग संभवतः जीएसटी और बैंकिंग उद्देश्यों के लिए ओटीपी प्राप्त करने में किया गया था. इसके अलावा 44 डिजिटल हस्ताक्षर और विभिन्न फर्मों की 200 से अधिक चेक बुक भी बरामद की गईं. इन कंपनियों और चेकबुक के जरिये ही फर्जीवाड़ा करने वाले अपने कारोबार को दर्शाते थे और इन कंपनियों के नाम पर फर्जी बिल बनाकर आईटीसी वसूलते थे.

कैसे चलता था फर्जीवाड़े का खेल
फर्जीवाड़े का सारा खेल आईटीसी वसूलने को लेकर होता था. आईटीसी यानी इनपुट टैक्‍स क्रेडिट, तब मिलता है जब कंपनी के कच्‍चे माल पर लगने वाली जीएसटी की दर उसके तैयार प्रोडक्‍ट से कम होती है. ऐसे में कंपनियां इन कच्‍चे माल पर लगने वाले जीएसटी और तैयार प्रोडक्‍ट के जीएसटी के बीच के अंतर को वापस लेने के लिए जीएसटी रिटर्न के रूप में दावा करती हैं. फर्जीवाड़ा करने वालों ने भी एक फर्म के जरिये कच्‍चे माल की आपूर्ति दिखाई, जिस पर ज्‍यादा जीएसटी लगता था. अपनी ही दूसरी कंपनी के जरिये तैयार प्रोडक्‍ट की फर्जी सप्‍लाई भी दिखा थी. इसके बाद दोनों प्रोडक्‍ट के बीच जीएसटी के अंतर को इनपुट टैक्‍स क्रेडिट के रूप में वसूलने के लिए रिटर्न भर दिया. इस तरह, सरकार से बिना किसी कच्‍चे माल या प्रोडक्‍ट की सप्‍लाई किए ही 645 करोड़ रुपये वसूल लिए.

पिछले साल 2 लाख करोड़ का फर्जीवाड़ा
आईटीसी के जरिये जीएसटी में सेंध लगाने का खेल इस नए कानून के लागू होने के बाद से ही चल रहा है. पिछले वित्‍तवर्ष के आंकड़े देखें तो 2024-25 में देशभर में फर्जी आईटीसी क्‍लेम करने के 25 हजार से भी ज्‍यादा मामले सामने आए और इसमें 1.95 लाख करोड़ रुपये का फ्रॉड किया गया. जबसे जीएसटी कानून लागू हुआ है, तब से अब तक करीब 5 लाख करोड़ रुपये से भी ज्‍यादा की राशि फर्जी आईटीसी क्‍लेम में जा चुकी है. इसमें से रिकवरी भी की गई, लेकिन कुल राशि में इसकी मात्रा काफी कम है.

Pramod Kumar Tiwari

प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्‍वेस्‍टमेंट टिप्‍स, टैक्‍स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...और पढ़ें

प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्‍वेस्‍टमेंट टिप्‍स, टैक्‍स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...

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Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

November 14, 2025, 07:17 IST

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