Nepal Political unrest: नेपाल को 72 घंटे के आंदोलन में जलाकर उसे जीरो स्टेट बना चुके युवा एक बार फिर हिंसा का सहारा ले रहे हैं. वो यूथ जिसने सोशल मीडिया की ताकत के सहारे आंदोलन खड़ा कर अपदस्थ पीएम ओली समेत अन्य पूर्व प्रधानमंत्रियों हो हिला दिया. उन्ही युवाओं में अब भारी सियासी बिखराव असमंजस की स्थिति है. ऐसा इसलिए क्योंकि नेपाल के चुनाव आयोग के आखिरी डाटा के मुताबिक अब तक 132 पार्टियां रजिस्टर्ड हो चुकी हैं, वहीं करीब 32 नई पार्टियां प्रक्रिया में हैं. लेकिन इनमें एक भी पार्टी जेन-जी द्वारा रजिस्टर्डनहीं कराई गई है. तो क्या माना जाए जो कुछ महीने पहले आराजगता के चलते दुनिया फूंकने तैयार बैठे थे वो सब क्या हवा में तीर मार रहे थे.
जेन-जी के नेता किस बैनर के नीचे चुनाव लड़ेंगे?
जेन-जी आंदोलन के प्रमुख चेहरों की बात करें तो सुदन गुरूंग और अन्य ने एक भी पार्टी नहीं बनाई है. वहीं काठमांडू के मेयर बालेन शाह ने भी किसी दल से हाथ नहीं मिलाया है. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये है कि जेन जेडर्स के नेता आखिर किस पार्टी के बैनर तले चुनाव लड़ेंगे? दूसरी ओर पूर्व पीएम ओली और पुष्प दहल कमल प्रचंड जैसे नेता भी देश में हिंसा की नई लहर से सहमे हैं.

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