बंगाल में सभ्‍यता युद्ध, संघ हमारा मायका, BJP महासचिव बीएल संतोष की बेबाक राय

2 hours ago

Last Updated:December 30, 2025, 16:27 IST

BL Santhoshs on Bengal Election: भाजपा महामंत्री बीएल संतोष ने पाञ्चजन्य के 'सागर मंथन' में बंगाल की लड़ाई को सभ्यतागत युद्ध बताकर सियासी हलचल बढ़ा दी है. अपने पहले बड़े साक्षात्कार में उन्होंने साफ किया कि बंगाल जीतना भारत को जनसांख्यिक चुनौतियों से बचाने के लिए जरूरी है. उन्होंने संघ को भाजपा का मायका बताते हुए कहा कि पार्टी के लिए सत्ता भोग नहीं बल्कि राष्ट्रहित के विचारों को लागू करने का एक पवित्र मार्ग है.

बंगाल में सभ्‍यता युद्ध, संघ हमारा मायका, BJP महासचिव बीएल संतोष की बेबाक रायबीएल संतोष ने खुलकर अपनी बात कही.

नई दिल्‍ली. राष्‍ट्रीय स्‍वयं सेवक संघ (RSS) के मुखपत्र पाञ्चजन्य के ‘गोवा सागर मंथन’ के मंच पर भाजपा के ‘संकटमोचक’ और राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष ने बंगाल चुनाव पर खुलकर अपनी बात कही. उन्‍होंने बंगाल की धरती को केवल चुनाव का मैदान नहीं बल्कि सभ्यता की रक्षा का अंतिम मोर्चा करार देकर राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी. जब उनसे संघ के रिश्तों पर सवाल हुआ तो उन्होंने अपनी पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के गहरे जुड़ाव को मायके की संज्ञा देकर संबंधों की एक नई और भावुक परिभाषा लिख दी. पाञ्चजन्य के संपादक हितेश शंकर के साथ बातचीत में कहा कि भाजपा के लिए सत्ता केवल कुर्सी तक सीमित नहीं है. उन्होंने पश्चिम बंगाल की चुनावी लड़ाई को सभ्यतागत युद्ध करार देते हुए इसे भारत बचाने की मुहिम का हिस्सा बताया. यह साक्षात्कार केवल एक चर्चा नहीं बल्कि भाजपा की आगामी रणनीति का दस्तावेज है. इसमें संगठन के भीतर की लोकतंत्र प्रक्रिया से लेकर संघ के साथ रिश्तों की गहराई तक हर विषय पर बेबाकी से बात की गई है.

1. बंगाल: राजनीतिक नहीं, ‘सभ्यतागत युद्ध’
बीएल संतोष ने साफ शब्दों में कहा कि बंगाल जीतना भाजपा के लिए केवल एक चुनावी आंकड़ा नहीं है. उनके अनुसार, बंगाल में लड़ाई एक ऐसी विचारधारा के खिलाफ है जो भारत की जनसांख्यिकी को चुनौती दे रही है. उन्होंने इसे ‘सभ्यतागत युद्ध’ (Civilizational War) बताया. इसका अर्थ है कि भाजपा बंगाल को भारत की सांस्कृतिक अखंडता बचाने के मोर्चे के रूप में देख रही है.

2. अध्यक्ष चुनाव में देरी की इनसाइड स्टोरी
भाजपा अध्यक्ष के चुनाव में देरी को लेकर उठ रहे सवालों पर संतोष ने ‘पर्दा’ हटाया. उन्होंने बताया कि यह प्रक्रिया अचानक नहीं बल्कि 8-9 महीनों से चल रही थी. मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों और फिर लोकसभा चुनाव की व्यस्तता के कारण इसमें समय लगा. उन्होंने स्पष्ट किया कि भाजपा में निर्णय बंद कमरों की साजिश नहीं बल्कि एक लंबी सांगठनिक चर्चा का परिणाम होते हैं.

3. मायका है संघ: संबंधों की नई परिभाषा
अक्सर विपक्ष संघ और भाजपा के रिश्तों पर सवाल उठाता है. इस पर बीएल संतोष ने बेहद भावुक लेकिन तार्किक जवाब दिया. उन्होंने संघ को ‘मायका’ बताते हुए कहा कि यह हमारा सबसे बड़ा शुभचिंतक है. उन्होंने जोर दिया कि संगठन चलाने में भाजपा को 100% आजादी है लेकिन वैचारिक पोषण के लिए वे हमेशा अपने ‘मायके’ (संघ) से संवाद करते हैं.

4. सत्ता भोग नहीं, ‘विचार’ का माध्यम
बीएल संतोष ने एक बड़ा राजनीतिक संदेश दिया कि भाजपा चुनावी लाभ के लिए अपने मूल्यों से समझौता नहीं करती. उन्होंने ‘डीकॉलोनाइजेशन’ (उपनिवेशवाद से मुक्ति) का उदाहरण दिया. उन्होंने स्वीकार किया कि इससे कुछ ‘लिबरल’ वर्गों का समर्थन कम हुआ, लेकिन राष्ट्रहित के लिए यह जरूरी था. उनके अनुसार, सत्ता केवल इसलिए चाहिए ताकि पार्टी अपने विचारों और राष्ट्रहित के संकल्पों को जमीन पर लागू कर सके.

5. केंद्रीकृत नहीं ‘लोकतांत्रिक’ है संगठन
विपक्ष के ‘केंद्रीकृत पार्टी’ वाले आरोपों को खारिज करते हुए उन्होंने संगठन की मजबूती का हवाला दिया. उन्होंने बताया कि देश भर में भाजपा के 16,000 मंडल अध्यक्ष हैं, जो पार्टी की लोकतांत्रिक जड़ों को दर्शाते हैं. नियम भले ही संसदीय समिति बनाती है, लेकिन पार्टी का ढांचा लचीला है, जहाँ आंतरिक असहमति के लिए भी पूर्ण स्वतंत्रता और सम्मान है.

About the Author

Sandeep Gupta

पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्‍त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्‍कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...और पढ़ें

First Published :

December 30, 2025, 16:25 IST

homenation

बंगाल में सभ्‍यता युद्ध, संघ हमारा मायका, BJP महासचिव बीएल संतोष की बेबाक राय

Read Full Article at Source