Last Updated:March 17, 2025, 10:20 IST
India Summer Power Crisis News: भारत के टॉप ग्रिड ऑपरेटर ने मई-जून को लेकर चिंतित करने वाली भविष्यवाणी की है. उसकी यह बात अगर सच साबित हुई तो इस साल की गर्मी बेहद मुश्किल रहने वाली है.

देशभर में अभी गर्मी ठीक से पड़नी शुरू भी नहीं हुई, लेकिन इसे लेकर टेंशन अभी से बढ़ने लगी है.
हाइलाइट्स
मई-जून में बिजली की भारी किल्लत की संभावना है.गैर-सौर घंटों में 15-20 गीगावॉट की कमी हो सकती है.CEA ने ऊर्जा भंडारण समाधान की सिफारिश की है.देशभर में अभी गर्मी ठीक से पड़नी शुरू भी नहीं हुई, लेकिन इसे लेकर टेंशन अभी से बढ़ने लगी है. भारत के टॉप ग्रिड ऑपरेटर ने मई-जून को लेकर चिंतित करने वाली भविष्यवाणी की है. ग्रिड ऑपरेटर ने चेतावनी दी है कि इन दो महीनों में बिजली की भारी किल्लत का सामना करना पड़ सकता है. नेशनल लोड डिस्पैच सेंटर (NLDC) की रिपोर्ट के अनुसार, विशेष रूप से गैर-सौर घंटों (नॉन-सोलर ऑवर्स) में बिजली की मांग और आपूर्ति के बीच 15-20 गीगावॉट (GW) की कमी हो सकती है. ऐसे में अगर अभी से एहतियाती कदम नहीं उठाए गए तो भारी लोड शेडिंग करना पड़ सकता है.
इंडियन एक्सप्रेस ने NLDC की एक रिपोर्ट के हवाले से बताया है कि इस साल मई का महीना सबसे ज्यादा मुश्किल महीना साबित होगा. वहीं इसके बाद के महीनों में भी बिजली की भारी मांग बनी रहेगी. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इन महीनों में बिजली की मांग चरम पर पहुंचने और नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन में संभावित उतार-चढ़ाव के कारण सिस्टम की कमजोरियां बढ़ सकती हैं.
सुबह-शाम ज्यादा किल्लत
ग्रिड पर दबाव कम करने के लिए रिपोर्ट में डिमांड साइड मैनेजमेंट अपनाने की सलाह दी गई है, जिसमें औद्योगिक और वाणिज्यिक इकाइयों को बिजली उपयोग को गैर-पीक घंटों में स्थानांतरित करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है.
सौर ऊर्जा उत्पादन दिन के समय मांग को पूरा करने में मदद करता है, लेकिन इसकी अस्थिरता के कारण शाम और सुबह के समय बिजली आपूर्ति में कमी हो सकती है. वहीं, भारत की बेसलोड बिजली उत्पादन क्षमता, जो मुख्य रूप से कोयला आधारित संयंत्रों पर निर्भर है, पिछले कुछ वर्षों से स्थिर बनी हुई है, जिससे गैर-सौर घंटों में बिजली की मांग पूरी करने में कठिनाई हो रही है.
बिजली संकट की गंभीरता
रिपोर्ट के अनुसार, मई 2025 में लोड लॉस प्रायबिलिटी (LOLP) यानी मांग के मुकाबले बिजली आपूर्ति कम रहने की संभावना 19% है, जबकि औसत स्थिति में यह बढ़कर 31% तक पहुंच सकती है. जून में भी यह जोखिम 4.7% से 20.1% तक हो सकता है.
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘बिजली की अनुपलब्धता मुख्य रूप से मई और जुलाई 2025 में देखी जाएगी, जो अक्सर 15 गीगावॉट से अधिक हो सकती है. यह कमी खासतौर पर गैर-सौर घंटों में होने की संभावना है, क्योंकि सौर ऊर्जा के समय ग्रिड को पर्याप्त आपूर्ति मिलती है.’
बिजली भंडारण समाधान जरूरी
इस संकट से निपटने के लिए केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (CEA) ने 18 फरवरी को एक महत्वपूर्ण परामर्श जारी किया है, जिसमें सौर ऊर्जा संयंत्रों के साथ ऊर्जा भंडारण प्रणालियों बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम – BESS और पम्प्ड स्टोरेज प्लांट – PSP को स्थापित करने की सिफारिश की गई है. ये सिस्टम दिन के समय अतिरिक्त सौर ऊर्जा को स्टोर कर सकते हैं और रात में या मांग बढ़ने पर इसे ग्रिड में वापस छोड़ सकते हैं.
इस साल गर्मियों में बिजली की मांग 270 गीगावॉट तक पहुंचने का अनुमान है, जो पिछले साल के 250 गीगावॉट से अधिक है. ऐसे में ग्रिड प्रबंधकों के लिए यह चुनौतीपूर्ण समय साबित हो सकता है.
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First Published :
March 17, 2025, 07:39 IST