Last Updated:October 18, 2025, 09:47 IST
Bangladesh Political Earthquake 25 पार्टियों ने मुहम्मद यूनुस की अगुवाई में 'जुलाई नेशनल चार्टर' साइन किया. यह पहल शेख हसीना की अवामी लीग के खिलाफ बड़ा पॉलिटिकल फ्रंट बन रही है और 2026 के बांग्लादेश चुनाव की दिशा तय कर सकती है.

Bangladesh Political Earthquake: बांग्लादेश की सियासत में शुक्रवार को एक बड़ा ट्विस्ट आया है. यह ट्विस्ट पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को लेकर है. दरअसल, बीते दिन बांग्लादेश की 25 पॉलिटिकल पार्टियों ने ‘जुलाई नेशनल चार्टर’ पर साइन किए है. इस चार्टर को रिफॉर्म्स का रोडमैप बताकर शेख हसीना की अवामी लीग को ‘फासिस्ट’ करार देने की कोशिश की जा रही है. इस पूरी साजिश में सरदार की भूमिका में चीफ एडवाइजर मुहम्मद यूनुस हैं, जिन्होंने इस कवायद को ‘ट्यून ऑफ यूनिटी गाना’ बताया है.
हालांकि यह बात दीगर है कि यूनिस की यह चाल को जनता को समझ आना शुरू हो गई है. इसकी बानगी शुक्रवार को बांग्लादेशों की सड़कों पर भी नजर आई. वहीं, जनता के मूड को देखते हुए कुछ सियासी दलों ने इस चार्टर से दूरी बना ली है. सड़कों पर जारी प्रोटेस्ट और कुछ अहम प्लेयर्स के बॉयकॉट ने यूनिस सरकार की इस सेरेमनी की चमक को फीका कर दिया. वहीं, फरवरी 2026 के इलेक्शंस से पहले ये चार्टर बांग्लादेश की पॉलिटिक्स में एक बार फिर नया क्राइसिस खड़ा कर सकता है.
जुलाई विद्रोह से चार्टर तक का सफर
पिछले साल जुलाई 2024 में विद्रोह ने शेख हसीना की 15 साल पुरानी गवर्नमेंट को उखाड़ फेंका था. इस विद्रोह के लिए स्टूडेंट्स और नौजवानों को मोहरा बनाया था. विद्रोह के बीच अवामी लीग के कई लीडर्स जेल में डाल दिया गया. कुछ लीडर्स खुद को बचाने के लिए फरार हो गए. वहीं, इस आग की झुलसन शेख हसीना तक पहुंचती, इससे पहले उन्होंने भारत में शरण ले ली थी. इस मूवमेंट की बुनियाद पर बना ‘जुलाई नेशनल चार्टर’ 80 से ज्यादा रिफॉर्म प्रपोजल्स का ब्लूप्रिंट तैयार किया गया. इसमें इलेक्शन सिस्टम, ज्यूडिशियरी, एजुकेशन और हेल्थ सेक्टर में बड़े बदलाव की बात है.
यूनुस की अगुवाई वाली नेशनल कंसेंसस कमीशन ने 8 महीने के लंबे डिस्कशन के बाद इसे फाइनल किया है. पार्लियामेंट के साउथ प्लाजा में हुई साइनिंग सेरेमनी में पूर्व PM खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP), जमात-ए-इस्लामी, लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी और खलिफा मजलिश जैसी 25 पार्टियां शामिल हुईं. इस दौरान, यूनुस ने कहा कि ये चार्टर जुलाई फाइटर्स की कुर्बानी का सम्मान है. हम बर्बरता से सिविलाइज्ड डेमोक्रेसी की ओर बढ़ रहे हैं.
विवादों ने डाला यूसुफ के मंसूबों पर खलल
यूसुफ के मंसूबों पर पहला रोड़ा उन्हीं ने अटकाया है, जिनके कंधों पर बंदूक रखकर बांग्लादेश में विद्रोह कराया गया था. दरअसल, जुलाई मूवमेंट का अहम हिस्सा रही स्टूडेंट्स की पार्टी नेशनल सिटिजन पार्टी (NCP) ने इस सेरेमनी का बॉयकॉट किया है. एनसीपी के कन्वीनर नहिद इस्लाम का कहना है कि ये चार्टर बिना लीगल बेसिस के साइन हुआ है. ये शहीदों की कुर्बानी का मजाक है. नेशनल सिटिजन पार्टी की तरह जमात-ए-इस्लामी ने भी पहले हिचक दिखाई, लेकिन आखिर में चार्टर पर साइन कर लिया.
सेरेमनी के बीच बांग्लादेश की सड़कों पर भी माहौल गरम रहा. सेरेमनी से पहले ढाका में प्रोटेस्टर्स और पुलिस में भिड़ंत हुई. जुलाई अपराइजिंग में घायल हुए लोगों ने स्टेट रिकग्निशन, रिहैबिलिटेशन और लीगल प्रोटेक्शन की मांग की. पत्थरबाजी और टीयर गैस के बीच एक पुलिस व्हीकल को आग के हवाले कर दिया गया. प्रोटेस्टर्स का गुस्सा था कि हमारी डिमांड्स चार्टर में क्यों नहीं है?” यूनुस गवर्नमेंट ने लास्ट मिनट में जुलाई फाइटर्स को इंडेम्निटी देने वाला क्लॉज जोड़ा, लेकिन ये नाकाफी साबित हुआ.
यूनुस का मास्टरप्लान और हसीना का भविष्य
ये चार्टर अवामी लीग और उनके कोअलिशन पार्टनर्स को इलेक्शंस से बाहर रखने का मास्टरप्लान लगता है. यूनुस ने इसे ‘न्यू बांग्लादेश’ का बायप्रोडक्ट बताया, लेकिन बिना अवामी लीग के इलेक्शंस कितने इंक्लूसिव होंगे, यह सवाल बड़ा है. हालांकि इस बीच दावा किया जा रहा है कि अगर रिफॉर्म्स सक्सेसफुल हुए तो बांग्लादेश में करप्शन कम होगा और डेमोक्रेसी मजबूत होगी. लेकिन एनसीपी जैसे अहम प्लेयर्स का बॉयकॉट और सड़कों पर गुस्सा दिखाता है कि यह रास्ता आसान नहीं है.
Anoop Kumar MishraAssistant Editor
Anoop Kumar Mishra is associated with News18 Digital for the last 6 years and is working on the post of Assistant Editor. He writes on Health, aviation and Defence sector. He also covers development related to ...और पढ़ें
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First Published :
October 18, 2025, 09:47 IST